योगी आदित्यनाथ की भारी जीत के सामने सपा की सुभावती शुक्ला को कितने वोट मिले?
गोरखपुर सदर सीट पर क्या रहा वोटों का सीन?
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अपना पहला विधानसभा चुनाव लड़ रहे उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) ने भारी मतों से गोरखपुर सदर (Gorakhpur Urban) सीट जीत ली है. उन्होंने समाजवादी पार्टी की अपनी मुख्य प्रतिद्वंदी सुभावती शुक्ला (Subhavati Shukla) को लगभग 1,02,000 वोट के अंतर से हरा दिया है.
दरअसल, गोरखपुर सदर विधानसभा सीट पर इस बार सबकी नजरें थीं. इस सीट से इस बार यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ चुनावी मैदान में थे. समाजवादी पार्टी ने इस बार उनके सामने सुभावती शुक्ला को उतारा. वहीं बहुजन समाज पार्टी ने ख्वाजा शमसुद्दीन और कांग्रेस ने चेतना पांडेय को टिकट दी. वहीं इस सीट से आजाद समाज पार्टी के चंद्रशेखर आजाद भी मैदान में थे. बीजेपी का गढ़ है गोरखपुर सदर गोरखपुर सदर विधानसभा सीट को भारतीय जनता पार्टी का गढ़ कहा जाता है. 1980 में बीजेपी के बनने के बाद से अबतक पार्टी इस सीट पर आठ बार अपना परचम लहरा चुकी है. वहीं इससे पहले दो बार भारतीय जन संघ और एक बार जनता पार्टी ने इस सीट को अपनी झोली में डाला. साल 2002 के विधानसभा चुनाव में अखिल भारतीय हिंदू महासभा के उम्मीदवार ने जीत हासिल की थी. कांग्रेस भी इस सीट को पांच बार अपने नाम कर चुकी है. हालांकि, 1990 के बाद से दबदबा पूरी तरह से बीजेपी का ही रहा है.
भारतीय जनता पार्टी के शिव प्रताप शुक्ला ने 1989 से लेकर 1996 तक लगातार चार बार इस सीट को जीता. इसी तरह साल 2002 से लेकर 2017 तक राधा मोहन दास अग्रवाल भी लगातार चार बार इस सीट से विधायक बने. इनमें से तीन चुनाव 2007, 2012 और 2017 उन्होंने बीजेपी की टिकट पर लड़े. 2002 का चुनाव हिंदू महासभा की टिकट पर लड़ा और जीता.
गोरखपुर लोकसभा सीट की बात करें तो योगी आदित्यनाथ यहां से लगातार पांच बार सांसद रह चुके हैं.
एक चुनावी सभा के दौरान यूपी के मुख्यमंत्री Yogi Adityanath. (फोटो: ट्विटर)
वहीं अगर समाजवादी पार्टी की उम्मीदवार सुभावती शुक्ला की बात करें तो उनका नाता बीजेपी से रहा है. सुभावती शुक्ला बीजेपी के प्रदेश उपाध्यक्ष रहे उपेंद्र दत्त शुक्ला की पत्नी हैं. उपेंद्र दत्त शुक्ला राजनीतिक तौर पर योगी आदित्यनाथ के उत्तराधिकारी माने जाते थे. हालांकि, 2019 के लोकसभा चुनाव में गोरखपुर से उन्हें बीजेपी ने टिकट नहीं दिया. दो साल पहले यानी 2020 में उपेंद्र के निधन के बाद उनके पूरे परिवार ने बीजेपी का दामन छोड़ दिया.
इधर बसपा के ख्वाजा शमसुद्दीन ने भी पहली बार विधानसभा चुनाव लड़ा. वे बीते 20 सालों से पार्टी से जुड़े हैं और कई पदों पर अपनी सेवाएं दे चुके हैं. फिलहाल बसपा गोरखपुर के प्रभारी हैं. इधर कांग्रेस की चेतना पांडेय गोरखपुर विश्विद्यालय में छात्र संघ की पूर्व उपाध्यक्ष भी रह चुकी हैं. 2017 में उन्होंने शाहजनवा सीट से निर्दलीय चुनाव लड़ा था. दो साल बाद वो कांग्रेस पार्टी में शामिल हो गई थीं. चंद्रशेखर ने भी दी चुनौती चंद्रशेखर आजाद ने साल 2014 में सतीश कुमार और विनय रतन के साथ मिलकर भीम आर्मी की स्थापना की. साल 2017 में सहारनपुर में हुए जातिगत संघर्ष के दौरान चंद्रशेखर चर्चा में आए. उनके खिलाफ मामला दर्ज हुआ. राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत कार्रवाई हुई. साल 2020 में उन्होंने आजाद समाज पार्टी के गठन की घोषणा की. इस दौरान चंद्रशेखर आजाद केंद्र और राज्यों की बीजेपी सरकारों को अलग-अलग मुद्दों पर घेरते रहे. चुनावी मुद्दे गोरखपुर सदर सीट की बात करें तो एक बड़ा मुद्दा बंद हुए हथकरघा और पावरलूम हैं. इससे बड़ी संख्या में मजदूर बेरोजगार हुए हैं. इसके साथ-साथ स्वास्थ्य सेवाएं और खराब सड़कें भी यहां के लोगों के लिए बड़े मुद्दे हैं. पिछले विधानसभा चुनाव की बात करें तो गोरखपुर सदर सीट पर बीजेपी के राधा मोहन अग्रवाल ने भारी मतों से जीत हासिल की थी. उन्होंने कांग्रेस और सपा गठबंधन के राणा राहुल सिंह को हराया था. वहीं बसपा के जनार्दन चौधरी तीसरे नंबर पर रहे थे.