"जातिवादी जाटों ने...", हरियाणा चुनाव के बाद मायावती के निशाने पर आया जाट समाज
BSP Chief Mayawati की पार्टी का खाता तक न खुला. कुल 1.82% वोट मिले हैं. उन्होंने इस हार का ठीकरा बंटे हुए वोटबैंक और हरियाणा के जाट समुदाय पर फोड़ दिया है.
हरियाणा चुनाव के नतीजों पर बसपा सुप्रीमो मायावती की प्रतिक्रिया आई है. उन्होंने इस हार का ठीकरा बंटे हुए वोटबैंक और हरियाणा के जाट समुदाय पर फोड़ दिया है (Mayawati on Jats. कहा कि जाट समाज के ‘जातिवादी’ लोगों ने बसपा को वोट नहीं दिया. इसके अलावा उत्तर प्रदेश के जाटों और हरियाणा के जाटों में फर्क़ भी बता डाला.
उन्होंने अपने X अकाउंट पर पोस्ट किया है:
आज आए परिणाम से स्पष्ट है कि जाट समाज के जातिवादी लोगों ने बीएसपी को वोट नहीं दिया, जिससे बीएसपी के उम्मीदवार कुछ सीटों पर थोड़े वोटों के अन्तर से हार गए... यूपी के जाट समाज के लोगों ने अपनी जातिवादी मानसिकता को काफ़ी हद तक बदला है और वे बसपा से विधायक और सरकार में मंत्री भी बने हैं. हरियाणा प्रदेश के जाट समाज के लोगों को भी उनके पदचिह्नों पर चलकर अपनी जातिवादी मानसिकता को जरूर बदलना चाहिए.
मायावती ने अपनी पार्टी के लोगों को रवायतन मोटिवेट किया. 'पूरी दमदारी के साथ चुनाव लड़ने के लिए हार्दिक आभार' प्रकट किया. आश्वस्त भी किया कि उनकी मेहनत बेकार नहीं जाएगी. निराश न होने और हिम्मत न हारने की भी नसीहत दी.
हरियाणा चुनाव में बसपा का खाता तक नहीं खुला है. पार्टी को कुल 1.82% वोट मिले हैं.
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INLD-बसपा गठबंधन के साथ-साथ जेजेपी-आजाद़ समाज पार्टी (कांशीराम) गठबंधन का उद्देश्य था कि जाटों और दलितों को जुटाया जाए. सिर्फ़ INLD दो सीटें जीत पाई. उसके अलावा न जेजेपी, न बीएसपी और न एएसपी (के) का खाता तक नहीं खुला. पिछली बार सिर्फ़ एक सीट जीतने वाली INLD को इस चुनाव में 4.14% वोट मिले, जबकि बीएसपी को 1.82% वोट मिले.
लोकसभा चुनावों में BSP के लचर प्रदर्शन के बाद भी पार्टी प्रमुख की इसी तरह की प्रतिक्रिया आई थी. तब उन्होंने हार का ठीकरा मुसलमानों के सिर फोड़ा था. कहा था कि लोकसभा चुनाव में पार्टी ने मुस्लिम समाज के उम्मीदवारों को उचित प्रतिनिधित्व दिया था, लेकिन इसके बावजूद मुस्लिम समाज के लोग पार्टी को नहीं समझ पाए. ऐसे में पार्टी बहुत सोच-समझकर ही आगे के क़दम उठाएगी.
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