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एंड्रॉयड में लाइट वर्जन ऐप्स के ये फायदे आपको पता नहीं होंगे

फ़ेसबुक लाइट से लेकर इंस्टा लाइट तक. एंड्रॉयड में ऐप्स के हल्के वर्जन की लिस्ट बहुत लंबी है.

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लाइट एंड्रॉयड ऐप्स को हल्के में मत लेना(image-memegenerator)

स्मार्टफोन में आजकल 4 जीबी 6 जीबी रैम बहुत कॉमन हैं. प्रोसेसर भी उसी हिसाब से लगे होते हैं. कहने का मतलब कुछ चुनिंदा भारी भरकम ग्राफिक्स वाले गेम्स को छोड़ दें तो ये सभी स्मार्टफोन बढ़िया काम करते हैं. कोई लैग नहीं आता लेकिन फिर भी ऐप डेवलपर्स अपने फ्लैग्शिप एंड्रॉयड ऐप्स के लाइट वर्जन (Android lite apps) लॉन्च करते हैं. आपको लगेगा अब ऐसा कहां होता है तो बंधु सिर्फ दो दिन पहले ही माइक्रोसॉफ्ट ने एंड्रॉयड के लिए आउटलुक का लाइट वर्जन लॉन्च किया. फ़ेसबुक लाइट, जीमेल गो, मैप्स गो, इंस्टाग्राम लाइट, मतलब लिस्ट बहुत लंबी है. जाहिर है इती बड़ी कंपनियां ऐसे ऐप्स लॉन्च करती हैं तो कुछ तो ठोस कारण होगा. कारण भी बताते हैं और इससे आपको होने वाला फायदा भी.

ऐप के फुल वर्जन और लाइट वर्जन के बीच साइज का अंतर ही आंखें खोल देने के लिए काफी हैं. फ़ेसबुक ऐप जहां 70.19 MB का है वहीं फ़ेसबुक लाइट सिर्फ 1.68 MB. इसके आगे कुछ बोलने की जरूरत है क्या. गूगल मैप में तो अंतर और ज्यादा है. रेगुलर ऐप 37 mb जगह घेरता तो मैप्स गो सिर्फ 377 KB. स्टोरेज की कहानी तो जितनी तू मिलती वाले गाने जैसी है. मतलब हमेशा कम ही लगती है. ऐसे में कम स्टोरेज के लिए तो ऐसे ऐप्स बहुत काम के हैं.

एंड्रॉयड ऐप्स लाइट वर्जन

बेहतर परफॉर्मेंस

आपके मन में सवाल आएगा कि डेवलपर्स इनकी परफ़ोर्मेंस के साथ समझौता करते होंगे. करते हैं लेकिन वैसा नहीं जैसा आप सोच रहे. मतलब उतना ही जितना एक मीठी चाय और फीकी चाय के बीच चीनी का समझौता होता है. कहने का मतलब लाइट वर्जन बिना शक्कर वाली नहीं बल्कि कम शक्कर वाली चाय होती है. थोड़ा सा UI बोले तो यूजर इंटरफेस में बदलाव, हल्के ग्राफिक्स, और कुछ फीचर्स में बदलाव. बन गया लाइट वर्जन. इसको ऐप के इतर अगर एक कार के उदाहरण से समझें तो एक इंट्री लेवल कार को जीरो से 100 तक पहुचने में थोड़ा वक्त लगता है, मतलब वो सारे रिसोर्स का कम इस्तेमाल करती है. दूसरी तरफ कई टॉप एंड गाड़ियां तीन सेकंड में 100 का आंकड़ा छू लेती हैं लेकिन सबको पता है इसमें कितनी ताकत, कितने रिसोर्स लगते हैं.

डेटा का विज्ञान

आज भी देश में सीमित डेटा वाले लोग बहुतायत में हैं. मतलब 1.5 और 2 जीबी रोज डेटा वाले. उसमें ही पूरा दिन निकालना है. ऐसे में लाइट वर्जन जेब हल्की नहीं होने देते. दूसरा बड़ा फायदा इनके आराम से चलने का भी है. स्लो इंटरनेट स्पीड में भी ये चलते रहते हैं वहीं रेगुलर ऐप्स के लिए तो स्पीड सबसे जरूरी फेक्टर है.

एक और महत्वपूर्ण पॉइंट ये है कि आज भी देश में बहुत सारे स्मार्टफोन 2 जीबी 3 जीबी रैम वाले मौजूद हैं. ऐसे में लाइट वर्जन देश और दुनिया की बड़ी आवाम के लिए फायदे का सौदा है. आउटलुक का लाइट वर्जन तो 1 जीबी वाले मोबाइल को भी सपोर्ट करता है.

एंड्रॉयड लाइट ऐप्स आपको इस्तेमाल करना चाहिए या नहीं

ये आपके ऊपर निर्भर करता है. अगर आपके पास ढेर सारी रैम और शानदार प्रोसेसर है. डेटा है अनलिमिटेड तो क्या चिंता. लेकिन आपका फोन भी एक औसत स्पेसिफिकेशन वाला है तो लाइट ऐप्स आजमाने में कोई दिक्कत नहीं. एक बात और गेम खेलने का शौक रखते हैं और फोन नॉर्मल वाला है तो ये ऐप्स खूब काम के हैं. रैम से लेकर स्टोरेज तक बची रहेगी जो गेमिंग का ठीकठाक अनुभव देने में मदद करेगी.

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