17 June 2024
Credit: Shivangi
दरअसल यह रिसर्च, अमेरिका की यूनिवर्सिटी ऑफ साउथ कैलिफोर्निया के साइंटिस्ट्स ने की है. रिसर्च से जुड़े साइंटिस्ट्स का कहना है कि कोर के घूमने की रफ्तार धीमी हुई है.
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जिसकी वजह से हमारे दिन की लंबाई पर भी असर पड़ सकता है. हालांकि यह असर सेकंड के बहुत छोटे हिस्से जितना होगा.
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आपने फिल्मों में भूकंप आने पर कागज में टेढ़ी-मेढ़ी लकीरें बनाने वाली मशीन देखी होंगी. जिसमें एक सुई जैसी चीज से कागज पर जिग-जैग लाइनें बनती हैं. दरअसल यही टेक्निकल भाषा में साइज्मग्राम है.
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जिसमें एक निश्चित जगह पर धरती के हिलने का हिसाब रखा जाता है. इसमें दो चीजों को रिकार्ड किया जाता है. एक तो टाइम और दूसरा धरती कितनी हिली.
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इसी साइज्मग्राम की मदद से वैज्ञानिक धरती के भीतर के स्ट्रक्चर का अंदाजा लगाते हैं. कि धरती के भीतर क्या-क्या है. इसमें भूकंप हमारी मदद करते हैं.
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दरअसल जब भी कोई भूकंप आता है. तो उसकी वजह से कई तरह की तरंगे निकलती हैं. जो धरती के नीचे से सतह तक आती हैं.
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इस रिसर्च में विडाल और उनके साथियों ने, साल 1991 से लेकर 2023 तक के 121 भूकंपों का डेटा देखा. साथ में कई परमाणु धमाकों के टेस्ट्स का डेटा भी देखा गया. जिससे साइंटिस्ट्स बता रहे हैं कि इनर कोर धरती की सतह से धीरे घूम रहा है.
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जिसकी शुरुआत 2010 के आसपास हुई होगी. वैज्ञानिकों का अनुमान है कि तरल लोहे की गति की वजह से पैदा हुआ चुंबकीय क्षेत्र या फिर गुरुत्वाकर्षण बल इसके पीछे की वजह हो सकते हैं.
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