कई बार देखने को मिलता है कि नवजात शिशु के शरीर पर जन्म से ही कुछ निशान होते हैं, इन्हें बोलचाल में जन्मदाग या बर्थमार्क कहा जाता है.
बर्थमार्क को लेकर कई तरह की मान्यताएं हैं, कई लोग मानते हैं कि मां द्वारा प्रेग्नेंसी के वक़्त पेट को बार-बार छूने की वजह से ये हो जाते हैं तो कई लोग धार्मिक कारण भी देते हैं.
बर्थमार्क को लेकर मेडिकल साइंस कहता है कि ये कोई बीमारी नहीं है, क्योंकि यह किसी को नुकसान नहीं पहुंचाता. वैसे मान्यताएं कई हैं.
चेहरे पर बर्थमार्क होने से कइयों का आत्मविश्वास डगमगा जाता है. ऐसे में मरीज की इच्छा और किस तरह का बर्थमार्क है, उसके आधार पर इलाज किया जाता है.
लाल रंग के बर्थमार्क को हिमेनजियोमा कहते हैं और ये कई छोटी रक्त वाहिकाएं जमा होने से बनता है. ये 2 प्रकार के हैं- स्ट्रोबेरी हिमेनजियोमा और कैवर्नस हिमेनजियोमा.
स्ट्रोबेरी हिमेनजियोमा ऊपर लाल रंग के दिखते हैं, पर कैवर्नस हिमेनजियोमा त्वचा में अंदर तक होते हैं और इनका रंग नीला दिखाई देता है.
इन मार्क के होने पर बच्चों को दवाएं दी जाती हैं और इनका इलाज करने के लिए सर्जरी की ज़रूरत नहीं होती है.
पिगमेंट बर्थमार्क एक जगह पर कोशिकाओं के जमा होने से होते हैं, और ये तिल या मस्से जैसे दिखते हैं. इलाज सर्जरी है, लेकिन निशान पूरी तरह से चला जाए ये ज़रूरी नहीं है.