चेहरे पर दाग-धब्बे होने से कई बार अच्छी शक्ल-सूरत वाले इंसान के अंदर भी आत्मविश्वास की कमी हो जाती है. समस्या स्थाई हो तो और भी परेशानी.
हाइपर पिगमेंटेशन ऐसी ही एक समस्या है. इसमें स्किन का कुछ हिस्सा भूरे रंग के पिग्मेंट मेलेनिन के जरूरत से ज्यादा मात्रा में जमा हो जाने के कारण काला दिखाई पड़ने लगता है.
हाइपर पिगमेंटेशन होने की कई वजहें हो सकती हैं. उदाहरण के तौर पर, ज्यादा देर तक सूरज की तेज रोशनी में रहने की वजह से इस तरह के डार्क स्पॉट हो सकते हैं.
इसी तरह से हार्मोनल चेंजेज की वजह से प्रेगनेंसी के दौरान चेहरे पर मेलस्मा हो जाता है, इसके अलावा बर्थ कंट्रोल पिल्स की वजह से भी हाइपर पिगमेंटेशन हो सकता है.
कुछ हाइपर पिगमेंटेशन हेरेडेटिकल भी होते हैं, जैसे फ्रेकेल्स. माता-पिता या परिवार के किसी अन्य सदस्य को होने पर ऐसा हाइपर पिगमेंटेशन बच्चों में भी हो सकता है.
चोट लगने के बाद या पिंपल्स के बाद और किसी सूजन के बाद पिगमेंटेशन हो सकता है, पर वक्त के साथ ये ठीक भी हो जाता है. इसलिए फिक्र करने की जरूरत नहीं होती है.
इस तरह की शिकायत होने पर व्यक्ति को तुरंत डर्मेटोलॉजिस्ट से मिलना चाहिए. ताकि समय रहते इलाज करवा कर इस परेशानी से छुटकारा पाया जा सके.
वैसे इस तरह की समस्या होने पर बहुत लंबे समय तक घरेलू नुस्खों पर नहीं डिपेंड रहना चाहिए, बल्कि कारण का पता कर उसका इलाज डॉक्टर्स से करवाना सही होता है.