Date: Sep 24, 2023

By Shivangi Priyadarshi 

रघुराजपुर के पट्टचित्रों की अनोखी दुनिया.

रघुराजपुर गांव 

ओडिशा के पुरी शहर से सिर्फ 10 किमी की दूरी पर बसा है रघुराजपुर.

Pic Courtesy: abc.com

12वीं शताब्दी

पट्टचित्र कला की शुरुवात 12वीं शताब्दी में हुई थी. आज रघुराजपुर के हर एक घर की दीवारों पर पट्टचित्र की पेंटिंग बनी दिखाई देती है.

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पट्टचित्र शब्द

पट्टचित्र दो शब्दों को जोड़ कर बना है पट्टा और चित्र. पट्टा का मतलब है कपड़े का टुकड़ा और चित्र मतलब पेंटिंग.

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हिन्दू पौराणिक कथा

पट्टचित्र कला हिन्दू पौराणिक कथाओं पर आधारित होते है जिसमे हिन्दू देवी देवता, पौराणिक दृश्य, फूल और पत्तियां इत्यादि होती हैं.

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कलाकार

पट्टचित्र बनाने में रघुराजपुर के लगभग 300 कलाकारों का योगदान है. इस गांव को अपनी कला की परांपरा बनाए रखने के लिए भी जाना जाता है. 

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प्राकृतिक चीजों

पट्टचित्र कला को प्राकृतिक चीजों से बनाया जाता है. जैसे रंग के लिए फूलों का इस्तेमाल और गोंद के लिए ईमली के बीजों का.

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कैनवास

पट्टचित्र के कैनवास के लिए सूती साड़ी या नारियल के पेड़ के पत्तों का इस्तमाल किया जाता है.

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'कल्चर हेरिटेज विलेज'

साल 2000 में रघुराजपुर को 'कल्चर हेरिटेज विलेज' उपाधि से नवाजा गया.

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