IPL के बाद भारत का फोकस अब वर्ल्ड टेस्ट चैम्पियनशिप पर है. BCCI ने न्यूज़ीलैंड के खिलाफ फाइनल और इंग्लैंड सीरीज़ के लिए टीम का ऐलान कर दिया है.
टीम में चुने गए खिलाड़ियों से ज़्यादा चर्चा का विषय बैकअप खिलाड़ी अरजन नागवासवाला हैं. 23 साल के इस गुजराती पारसी क्रिकेटर पर सबकी नज़रें हैं.
वैसे तो अरज़न ने गेंदबाज़ी के दम पर टीम इंडिया में जगह बनाई. लेकिन वो जिस पारसी समुदाय से आते हैं, वहां से एक नया क्रिकेटर आने में सालों लग गए.
अरज़न पारसी समुदाय से भारतीय क्रिकेट टीम तक पहुंचने वाले आठवें क्रिकेटर हैं. अरज़ान 30 साल बाद भारतीय टीम तक पहुंचने वाले पारसी क्रिकेटर बने हैं.
भारतीय टीम में जगह बनाने वाले पहले पारसी क्रिकेटर का नाम है रुस्तमजी जमशेदजी. रुस्तमजी 41 साल की उम्र में भारत की सरज़मीं पर पहले भारतीय टेस्ट का हिस्सा थे.
इस लिस्ट में दूसरा नाम आता है रूसी मोदी का. रूसी मोदी ने 1946 से 1952 के बीच भारत के लिए 10 टेस्ट मैच खेले. जिसमें उन्होंने एक शतक और छह अर्धशतक जमाए.
भारतीय कैप में तीसरे पारसी क्रिकेटर रहे पॉली उमरीगर. पॉली 1948 से 1962 तक भारतीय टीम के अहम सदस्य रहे. उन्होंने 59 टेस्ट में 3631 रन और 12 शतक जमाए.
पूर्व कप्तान नारी कॉन्ट्रेक्टर ने 1955 में भारत के लिए डेब्यू किया और 1611 रन बनाए. साल 1962 में WI गेंदबाज़ चार्ली ग्रिफिथ की गेंद लगने के बाद वो फिर नहीं खेले.
इसके बाद अगला पारसी क्रिकेटर भारत को जल्द ही मिल गया. रूसी सुर्ती ने भारत के लिए 1967-68 के ऑस्ट्रेलिया-न्यूज़ीलैंड दौरे पर आठ टेस्ट मैचों में 700 रन बनाए थे.
फारुख इंजीनियर, भारत के आखिरी पुरुष पारसी क्रिकेटर. उन्होंने 1961 से 1975 तक कीपिंग की. उन्होंने 46 टेस्ट में मद्रास टेस्ट की यादगार 94 रनों की पारी के साथ 2611 रन बनाए.
डियाना इडुलजी, भारत की इकलौती पारसी महिला क्रिकेटर. डियाना ने भारत के लिए 1976 से 1991 तक 20 टेस्ट खेले. जिसमें उन्होंने भारत की कप्तानी भी की.