न्यूज़ीलैंड के साथ साउथैम्पटन में WTC Final में टीम इंडिया रेट्रो किट में नज़र आएगी. आइये एक नज़र में देखते हैं क्रिकेट टीम की जर्सी का सफर.
1985 में पहली बार टीम रंग बिरंगे कपड़ों में दिखी. भारतीय टीम की जर्सी का रंग चुना गया हल्का नीला, पीली पट्टी के साथ. इस कलरफुल जर्सी पर और कुछ नहीं था.
वर्ल्ड सीरीज़ में भारत की जर्सी का रंग एक बार फिर हल्का नीला ही रहा. लेकिन इस वर्ल्ड सीरीज़ में जर्सी पर इंडिया छप चुका था. साथ ही खिलाड़ियों के नाम भी.
1992 विश्वकप में इंडियन जर्सी का रंग हल्के नीले से गहरा नीला हो गया. अब भारत की जर्सी के कंधों पर संतरी, सफेद और हरे रंग को भी जगह मिल गई थी.
1996 विश्वकप में सभी टीमों को सेम डिज़ाइन की जर्सी पहनने के लिए कहा गया. भारत हल्के नीले रंग के साथ, पीले कॉलर और पतली धारियों के साथ उतरा.
1998 में शारजाह में खेले गए कोका कोला कप में दोनों बाजुओं के पास तिरंगा आ गया. ऑस्ट्रेलिया और न्यूज़ीलैंड के साथ खेली गई इस सीरीज़ को भारत ने जीता.
1999 वर्ल्डकप में जर्सी का रंग हल्का नीला रहा. बीसीसीआई के लोगों को डिज़ाइनर तरीके से पूरी जर्सी पर बिखेरा गया. सचिन, राहुल, गांगुली इस जर्सी में खूब जमे.
2003 विश्वकप में स्पॉन्सर्स पर बवाल हुआ. जर्सी पर सहारा नहीं लिखा गया. इस जर्सी के बिल्कुल बीच में तिरंगा पेंट किया गया. ये भारत की लकी जर्सी रही.
2007 विश्वकप में जर्सी पर बाजू के नीचे तिरंगा बनाया गया. इस जर्सी में 2007 में हमने वनडे विश्वकप गंवाया. जबकि कुछ महीने के बाद टी20 विश्वकप जीत भी लिया.
2011 विश्वकप में भारत जीता. इस जर्सी के कॉलर पर केसरी रंग का बॉर्डर, बाजू के नीचे पतला तिरंगा और भगवे रंग से टीम इंडिया का नाम लिखा गया.
2015 में ऑस्ट्रेलिया में विश्वकप खेलने पहुंची टीम इंडिया सोशल कॉज़ वाली जर्सी के साथ खेली. इस जर्सी को प्लास्टिक की बोतलों से तैयार किया गया था.
2019 विश्वकप में खिलाड़ियों के नाम और कॉलर पर पूरा ऑरेंज कलर डाला गया. कॉलर के नीचे से पीछे तक तिरंगे की एक पतली लाइन खींची गई.