अक्सर लोग दोपहर में खाना खाने के बाद सुस्ताने लगते हैं और उन्हें नींद की झपकी लेना अच्छा लगता है. कुछ लोग तो दोपहर में सोने को अपनी दिनचर्या का हिस्सा मानते हैं.
लेकिन आयुर्वेद के मुताबिक, सुबह 10 से 2 बजे के बीच पित्त दोष रहता है. इस समय भोजन को ऊर्जा और ईंधन में बदलने की क्षमता बहुत अच्छी होती है.
चूंकि शरीर की ऊर्जा भोजन को पचाने में खर्च होती है, इसलिए कई बार व्यक्ति का झपकी लेने का मन करता है.
दोपहर के वक्त सोना अच्छा नहीं होता, क्योंकि इससे व्यक्ति के शरीर में कफ और पित्त दोष के बीच असंतुलन हो सकता है. इस वजह से दोपहर में सोने से मना किया जाता है.
हालांकि आयुर्वेद में गर्मियों के दिनों में जो लोग स्वस्थ हैं, उन्हें दिन में झपकी लेने की इजाजत है. क्योंकि गर्मियों में दिन बड़े होने के कारण पानी की कमी हो सकती है.
इसके अलावा बुजुर्ग, छात्र, कुपोषित और हाल ही में ऑपरेशन कराने वाले व्यक्तियों को भी दोपहर में सोने की इजाजत है.
इसके साथ ही कुछ लोगों के लिए दोपहर में सोना एकदम मना है. मोटापे से ग्रस्त लोगों को और वजन घटाने की कोशिश में लगे लोगों को दिन में सोने से बचना चाहिए.
इसके अलावा अगर आप तला-भुना खाते हैं या आपको डायबिटीज की समस्या है तो भी दोपहर में सोने से परहेज करना चाहिए.