ब्रेस्टफीडिंग है नैचुरल बर्थ कंट्रोल?
पहले यह माना जाता था कि कोई महिला अपने लैक्टेशन पीरियड में दोबारा गर्भवती नहीं हो सकती.
दरअसल प्रोलैक्टिन हार्मोन (Prolactin hormone), जो कि स्तनपान कराने वाली मां के शरीर में होता है, ओव्यूलेशन प्रक्रिया को रोकता है.
इस कारण ही ये माना जाता था कि ब्रेस्टफीड कराने वाली महिला गर्भवती नहीं हो सकती, लेकिन ये सही नहीं है.
ब्रेस्टफीड कराने वाली माताओं में ओव्यूलेशन की प्रक्रिया औसतन 6 सप्ताह के भीतर फिर से शुरू हो जाती है.
जिसकी वजह से स्तनपान कराने के बावजूद महिला में गर्भवती होने या गर्भधारण करने की संभावना होती है.
इसलिए महिलाओं को ब्रेस्टफीडिंग पीरियड में भी बर्थ कंट्रोल के उपायों को अपनाना चाहिए ताकि वो गर्भधारण न कर लें.
डॉक्टर्स का कहना है कि नॉर्मल डिलीवरी होने पर दो प्रेग्नेंसी के बीच कम से कम एक साल का अंतर होना चाहिए.
अगर सर्जरी के द्वारा डिलीवरी होती है तो ऐसी सूरत में कम से कम 2 साल का गैप होना चाहिए.
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