17 June 2024
Credit: Shivangi
अमेजन के जंगल हमारे देश से लगभग दोगुने आकार का है. दुनिया के जीव-जंतुओं की 10% प्रजातियां यहां रहती हैं.
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वहीं दुनियाभर के समुद्रों में रोजाना जितना ताजा पानी गिरता है, उसका करीब 15% अमेजन नदी से आता है.
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जब समंदर की ओर से पानी, भाप बनकर जमीन की तरफ बढ़ता है. तो रास्ते में नमी खोता जाता है. पर अमेजन जंगल से सप्लाई हो रही जलवाष्प की वजह से, यहां के बादलों के बराबर नमी बनी रहती है.
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वातावरण में स्थित धूल वगैरह के कण जब इस नमी के साथ मिलते हैं, तो उनके चारों तरफ पानी चिपक जाता है. फिर कण बूंद में बदल जाता है. ऐसी लाखों बूंदे मिलकर अमेजन में बारिश करती हैं.
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इसे समझने के लिए डॉ नोबरे ने दो रशियन भौतिक वैज्ञानिकों की बॉयोपंप थ्योरी की मदद ली. जिसके मुताबिक जंगलों की वजह से निगेटिव प्रेशर बनता है.
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जो नमी को बेहतर तरीके से खींच सकता है. जिससे ज्यादा बारिश होती है. इससे यहां के जंगलों में भी नमी बनी रहती है.
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ये नमी हवाओं के साथ मिलकर पूर्व से पश्चिम की ओर चलती है. फिर एंडिज पहाडों से टकराकर बारिश करते हुए, उत्तर से दक्षिण की तरफ बढ़ती है.
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फिर दक्षिण में पहुंचकर और बारिश करती हैं. माने ये नमी यहां के जंगलों के ऊपर एक तय पथ पर चलती रहती है. जैसे कोई अदृश्य और उड़ती नदी हो.
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