Date: June 27, 2023
By Pragya
टॉक्सिक रिश्तों से बाहर आना कितना मुश्किल?
श्रद्धा वाल्कर मर्डर
कई लोग अपने रिश्तों में शोषित होते हैं. फिर भी उससे बाहर नहीं निकल पाते. श्रद्धा वाल्कर मर्डर के बाद कई लोगों ने पूछा कि उसने आफताब को छोड़ा क्यों नहीं?
Pic Courtesy: India Today
मुश्किल है बाहर आना?
क्या सच में ऐसे टॉक्सिक रिश्तों से बाहर आना इतना मुश्किल होता है? इसके पीछे की वजह ट्रॉमा बॉन्डिंग है.
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क्या होती है ट्रॉमा बॉन्डिंग?
डॉक्टर ज्योति कपूर बताती हैं कि ट्रॉमा बॉन्डिंग डिसफंक्शनल कनेक्शन है. इसमें शोषित होने वाला शोषण करने वाले पार्टनर पर निर्भर होता है.
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नर्वस सिस्टम में बदलाव
इस तरह के रिश्ते में हमारे नर्वस सिस्टम में बदलाव आते हैं. हॉर्मोनल बदलाव भी होते हैं, ऐसे में दिमाग उस स्थिति में अडजस्ट करने की कोशिश करता है.
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खुद को दोष देना
शोषण भावनात्मक, शारीरिक, सेक्शुअल या तीनों तरह का हो सकता है. शोषित व्यक्ति खुद को दोष देता है. वो अपने पार्टनर की एक पॉजिटिव छवि बनाने लगता है.
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एक तरह की साइकल
शोषित पार्टनर सोचता है कि पार्टनर उसका अच्छा चाहता है. उसे परेशानी से बाहर निकालता है. दोनों पार्टनर एक-दूसरे पर निर्भर होते हैं. ये एक साइकल जैसा होता है.
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पार्टनर के बदलने की उम्मीद
शोषित पार्टनर को लगता है कि उसका पार्टनर बदल जाएगा. उसे नुकसान पहुंचाना बंद कर देगा.
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प्रोफेशनल मदद लें
ट्रॉमा बॉन्डिंग को पहचानना जरूरी है. अपने दोस्तों, परिवार, जिन लोगों पर विश्वास है उन्हें अपनी दिक्कत बताएं. प्रोफेशनल मदद भी लें.
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