03 Apr 2025
Author: Ritika
क्लाइमेट चेंज हो रहा है. दशकों से इसे लेकर जागरूक भी किया जा रहा है. इसके बावजूद बढ़ते तापमान पर बात काफी कम की जाती है.
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धरती का तापमान बढ़ रहा है. गर्मी का मौसम इतना चुभने वाला होता है कि दोपहर के समय लोगों को बाहर ना निकलने की हिदायत दी जाती है. ताकि हम बीमार न पड़ जाए.
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Ottawa University के Human and Environmental Physiology Research Unit (HEPRU) की रिसर्च के मुताबिक, मनुष्य पहले के मुकाबले से कहीं कम गर्मी सहन कर सकता है.
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रिसर्च में 12 वॉलंटियर्स को 43 डिग्री सेल्सियस और 57 फीसदी ह्यूमिडिटी में रखा गया. ये 62 डिग्री सेल्सियस के ह्यूमिडेक्स के बराबर है. ऐसा टेम्परेचर कंट्रोल की लिमिट टेस्ट के लिए किया.
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इस दौरान वॉलंटियर्स के शरीर का तापमान काफी बढ़ गया. कई लोग 9 घंटे का टेस्ट पूरा नहीं कर पाए. इससे साफ है कि एक बार शरीर का तापमान बढ़ गया तो शरीर उसे खुद ठंडा नहीं कर सकता है.
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रिसर्च में पता लगा कि आने वाले समय में जल्द ही कई जगहों पर गर्मी और ह्यूमिडिटी का लेवल जीवित रहने की सीमा से ज्यादा हो सकता है.
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रिसर्च में thermal-step protocols का यूज किया. ये मानव ताप सीमा का अनुमान लगाने का पुराना तरीका है. लेकिन पता लगा कि ये सीमाएं पिछले मॉडलों से काफी कम है.
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स्टडी में हीटवेव के तेज होने के साथ गर्मी से जुड़ी बीमारियों के जोखिम को भी हाइलाइट किया गया. खासकर कमजोर आबादी के लिए.
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