थेरेपिस्ट के पास जाना चाहिए या साइकोलॉजिस्ट के पास?  

21 Jan 2025 

Author: Shivangi

सभी के जीवन में कभी न कभी इमोशनल प्रॉब्लम्स जरूर आती हैं. जिसे पहले हम तो हम खुद सुलझाने की कोशिश करते हैं. लेकिन जब सुलझा नहीं पाते, तब अपनों की मदद लेते हैं.

कोशिश  

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लेकिन जब वहां से भी काम नहीं बन पाता, तब हम डॉक्टर से मदद लेने की सोचते हैं. लेकिन तब बड़ा सवाल ये आता है कि थेरेपिस्ट से मदद लें या साइकोलॉजिस्ट से.  

डॉक्टर  

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थेरेपिस्ट और साइकोलॉजिस्ट की ट्रेनिंग और एजुकेशन में अंतर होता है. इसके अलावा, दोनों के इलाज करने में भी फर्क होता है. साइकोलॉजिस्ट रिसर्च के बेसिस पर इलाज करते हैं.  वहीं, थेरेपिस्ट काउंसलिंग करते हैं.  

अंतर  

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थेरेपिस्ट और साइकोलॉजिस्ट दोनों ही मेंटल और इमोशनल हेल्थ को बेहतर करने के लिए काम करते हैं. दोनों के इलाज करने में एक समानता ये है कि दोनों बातचीत करके पेशेंट को समझने की कोशिश करते हैं.  

इमोशनल हेल्थ  

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कोई व्यक्ति अगर डिप्रेशन, एंग्ज़ाइटी या PTSD से पीड़ित है तो उसे साइकोलॉजिस्ट के पास जाना चाहिए.  

डिप्रेशन  

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अगर लंबे वक्त से बेहतर महसूस नहीं कर पा रहे हैं और इससे डेली लाइफ प्रभावित हो रही है, तो साइकोलॉजिस्ट की मदद ले सकते हैं.  

अच्छा महसूस  

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अगर अपने इमोशन्स को सुलझा नहीं पा रहे हैं, तो थेरेपिस्ट की मदद ले सकते हैं.  

इमोशन्स  

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नौकरी, परिवार, वैवाहिक जीवन में समस्या होने पर थेरेपिस्ट के पास जा सकते हैं. इसके अलावा, अगर डिसीजन मेकिंग में दिक्कत हो, तब भी थेरेपिस्ट की मदद ले सकते हैं.  

थेरेपिस्ट

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