27 Jan 2025
Author: Shivangi
सिंगल पेरेंटिंग का मतलब है, बच्चे की परवरिश का जिम्मा किसी एक पेरेंट पर आना. सिंगल पेरेंटिंग में बच्चे की ज़िंदगी में भी कुछ निगेटिव, पॉजिटिव बदलाव आते हैं. इसके अलावा जिम्मेदारी और चुनौतियां भी आती हैं.
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मनोचिकित्सक के मुताबिक सिंगल पेरेंटिंग करने पर बच्चे और पेरेंट दोनों के लिए नई चुनौतियां आती हैं. लेकिन इसके अलावा इसके अपने फायदे भी हैं.
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सिंगल पेरेंटिंग में ज्यादातर बच्चे और पेरेंट के बीच के रिश्ते में मजबूती होती है. बच्चों को इंडिपेंडेंट बनाने में मदद मिलती है. उन्हें अपनी जिम्मेदारी समझ में आने लगती है.
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सिंगल पेरेंटिंग में बच्चे किसी भी समस्या से लड़ने के तरीके जल्दी सीख लेते हैं. इसके अलावा पेरेंट के साथ बच्चे का संबंध भी दोस्ताना होता है.
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सिंगल पेरेंटिंग में बच्चे अकेला फील कर सकते हैं. कई बार बच्चे डिप्रेशन का शिकार भी हो जाते हैं. कई केस में बच्चे का स्वभाव गुस्सैल और जिद्दी भी हो जाता है.
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सिंगल पेरेंटिंग करने का सबसे अच्छा तरीका है टाइम मैनेजमेंट. इसमें बच्चों के साथ समय जरूर बिताएं. बच्चे के साथ घूमने जरूर जाएं.
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बच्चों से बात करते समय उन्हें सुनें और समझने की कोशिश करें. उनके साथ प्यार से पेश आएं. बच्चों के साथ दोस्त जरूर बनें.
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बच्चे और अपने बीच काम को न आने दें. घर आते ही ज्यादा से ज्यादा वक्त बच्चे को दें. खाना साथ खाएं. और साथ में कुछ खेल सकते हैं, कुछ ऐक्टिविटी कर सकते हैं या कोई TV शोज देख सकते हैं.
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