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सरकारी मदद, इंडिया में असेंबलिंग, फिर भी 50 परसेंट महंगा क्यों है iPhone 15?

इंडिया में iPhone के दाम, खासकर नए मॉडल के, किसी और देश के मुकाबले बहुत ज्यादा है. अमेरिका से तुलना करें तो तकरीबन 40 फीसदी ज्यादा. दुबई जैसे देशों में आईफोन की कीमत में इतना अंतर है कि इंडिया से फ्लाइट पकड़कर जाने और वापस आने के बाद भी पैसे बच जाएंगे.

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Why iPhones are costlier in India despite local manufacturing and the govt PLI scheme
iPhone की कीमत भारत में 50 फीसदी ज्यादा है. (फाइल फोटो)
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सूर्यकांत मिश्रा
2 अक्तूबर 2023 (Published: 07:48 IST)
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सितंबर के महीने की एक खास रिवायत है. इस महीने में हर साल नया iPhone लॉन्च होता है. इस साल भी हुआ. आईफोन लॉन्च हो गए, लोगों ने लाइनों में लगकर खरीद भी लिए और अब तो चर्चा iPhone 16 की होने लगी है. इन सबके बीच एक सवाल हमेशा किसी कोने में दब जाता है. आईफोन इंडिया में महंगे क्यों हैं? महंगे या कहें बहुत-बहुत महंगे. आजकल तो ऐप्पल फैक्ट्री इंडिया में है. सरकार की इन्सेनटिव स्कीम (PLI) का भी फायदा मिल रहा है. फिर भी... जवाब तलाशने की कोशिश करते हैं.

इंडिया में आईफोन के दाम, खासकर नए मॉडल के, किसी और देश के मुकाबले बहुत ज्यादा है. अमेरिका से तुलना करें तो तकरीबन 40 फीसदी ज्यादा. दुबई जैसे देशों में आईफोन की कीमत में इतना अंतर है कि इंडिया से फ्लाइट पकड़कर जाने और वापस आने के बाद भी पैसे बच जाएंगे. क्या ऐप्पल इंडियन यूजर्स से बहुत पैसे बना रहा है?

iPhone 15 के उदाहरण से समझते हैं.

# भारत में आईफोन 15 के बेस मॉडल की कीमत 79,900 रुपये है, जबकि अमेरिका में इसकी कीमत 799 डॉलर (66,426 रुपये ) है.

# भारत में आईफोन 15 प्रो की शुरुवाती कीमत 1,34,900 रुपये है, वहीं अमेरिका में इसके लिए 999 डॉलर (83,048 रुपये ) चुकाने पड़ेंगे.

# आईफोन 15 प्रो मैक्स के टॉप वेरिएंट की कीमत भारत में 1,99,900 रुपये है, जबकि यही मोबाइल अमेरिका में 1,32,717 रुपये में मिल जाता है.

#  दुबई में आईफोन 15 प्रो 1 लाख के अल्ले-पल्ले मिल जाएगा. साफ समझ में आता है कि भारत में यूजर्स को आईफोन पर 30 से 50 फीसदी चुंगी लग रही है. लेकिन आजकल तो आईफोन इंडिया में ‘बनते’ हैं. फिर ऐसा क्यों

आईफोन इंडिया में बनते हैं, इसमें एक ट्विस्ट है. दरअसल भारत में आईफोन ‘बनते’ नहीं बल्कि ‘असेंबल’ होते हैं. आसान भाषा में कहें तो सारा टीम-टाम, कल-पुर्जे, अब्बा-डब्बा-चब्बा इंडिया में इम्पोर्ट होते हैं. सारे पार्ट्स को चेन्नई के पास श्रीपेरंबदूर में फॉक्सकॉन टेक्नॉलजी के प्लांट में असेंबल किया जाता है. सरकार इस पर कस्टम ड्यूटी, 2 फीसदी सोशल वेलफेयर सरचार्ज और 18 फीसदी GST वसूलती है. यहां पेच के अंदर एक और पेच है.

भारत में अभी सिर्फ आईफोन 15 और प्लस ही असेंबल होते हैं. प्रो और प्रो मैक्स मॉडल सीधे डब्बा बंद होकर आते हैं, जिनपर इम्पोर्ट ड्यूटी और दूसरे टैक्स मिलाकर आंकड़ा 40 फीसदी तक पहुंच जाता है. कहने मतलब, प्रो मॉडल्स को तो अलग ही कर देते हैं. लेकिन फिर सवाल बेस मॉडल का आता है. भईया ऐप्पल इनके दाम तो कम करो क्योंकि आपको सरकार की PLI स्कीम का फायदा मिलता है!

PLI मतलब प्रोडक्शन लिंक्ड इन्सेन्टिव स्कीम. ये भारत सरकार की एक पहल है, जिसका उद्देश्य विदेशी और देसी कंपनियों को देश में प्रोडक्शन बढ़ाने में मदद करना है. सरकार इसके तहत 4-6 फीसदी इन्सेन्टिव कंपनियों को देती है.

जाहिर है, ऐप्पल भी इसका हिस्सा है. फिर भी दाम कम क्यों नहीं होते? जवाब मिलता है बिजनेस स्टैंडर्ड की एक रिपोर्ट में. इस रिपोर्ट में मुताबिक, भारत अभी चार पॉइंट पर दुनिया के मुकाबले महंगा है. चारों पॉइंट एक-एक कर समझते हैं.

# असेंबल कॉस्ट: फोन भले भारत में असेंबल हो रहे हैं, फिर भी चीन के मुकालबले भारत में असेंबल कॉस्ट 7-8 गुना अधिक है.

# इम्पोर्ट ड्यूटी: आईफोन के सबसे जरूरी कंपोनेन्ट पर तगड़ी इम्पोर्ट ड्यूटी लगती है. 20 से 25 फीसदी के बीच. वहीं चीन में इम्पोर्ट ड्यूटी जीरो है.

# डिस्ट्रब्यूशन कॉस्ट: दुबई और अमेरिका जैसे देशों के मुकाबले भारत में डिस्ट्रीब्यूशन 8 से 10 फीसदी महंगा है.

# रुपया Vs डॉलर: ये भी बहुत बड़ा फैक्टर है. सिर्फ एक साल में मतलब आईफोन 14 से 15 के बीच डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमत 4 फीसदी और गिरी है.

कहने का मतलब, भले आईफोन इंडिया में असेंबल होने लगे हैं. अगले दो सालों में दुनिया का हर 5वां आईफोन भारत में बनाने का टारगेट भी है. फिर भी ऐप्पल मैनुफैक्चरिंग के लिए चीन प्लस वन की सोच रखता है. अब ये वन भारत भी हो सकता है. वियतनाम और दूसरे देश भी. एक वाक्य में कहें तो मोबाइल मैनुफैक्चरिंग में अभी हमें लंबा सफर तय करना है.

वैसे एक बात जो वाकई में हमारी ताकत दिखाती है. इस साल जून-जुलाई के महीने में आईफोन 13 के दाम इंडिया में अमेरिका से भी कम थे. वजह ई-कॉमर्स कंपनियों के डिस्काउंट और बैंक ऑफर्स. मतलब नया आईफोन भले महंगा हो मगर सिर्फ दो साल पुराना लेने में कोई बुराई नहीं. वैसे भी ऐप्पल ज्यादा बदलाव में यकीन नहीं रखता. यकीन नहीं होता. इधर क्लिक कर लीजिए.  

वीडियो: आईफोन 15 को टक्कर दे रहे हैं ये टॉप 5 एंड्रॉयड स्मार्टफोन

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