अकेले लोग बार-बार क्यों देखते हैं ASMR वीडियो?
ASMR वीडियो देखने वाले कहते हैं कि उन्हें ये वीडियो देखकर बढ़िया नींद आती है. दिल की धड़कन रेस लगा रही हो, तो नॉर्मल हो जाती है. टेंशन कम हो जाती है.
क्या आपको भी ऐसा लगता है कि यूट्यूब-इंस्टाग्राम पर कुछ भी चल जा रहा है? मतलब, कुछ भी?
कितने ही वीडियो हैं, जिनमें ऐसी कोई तोप चीज़ होती दिखाई नहीं देती. कोई माइक में फुसफुसा रहा है. कोई बाल काटने की ऐक्टिंग कर रहा है, तो कोई अपनी उंगलियां अलग-अलग चीजों पर टक-टक बजा रहा है. जी. ऐसे वीडियो इंटरनेट पर हैं. और आपने भले न देखे हों, इन्हें करोड़ों लोग देखते हैं. रोज़. एक आदत की तरह.
लोग कहते हैं कि उनको ये वीडियो देखकर बढ़िया नींद आती है. दिल की धड़कन रेस लगा रही हो, तो नॉर्मल हो जाती है. टेंशन कम हो जाती है. मन शांत रहता है. मतलब एक वीडियो के आगे 20 जड़ी बूटियां फेल. इन वीडियोज़ को एक नाम भी मिला हुआ है - ASMR.
क्या है ये ASMR? ये इतने मज़े क्यों देता है? इसके पीछे कोई विज्ञान है भी या ये सिर्फ हवाई बातें हैं?
आज साइंसकारी में इसी ASMR की दुनिया में गोता लगाएंगे और जानेंगे कि ये हमारे दिमाग में क्या करामात करता है.
ASMR क्या है?ASMR को पूरा बोलें तो Autonomous Sensory Meridian Response होता है.
-Autonomous मतलब कुछ अपने आप बिना किसी कंट्रोल के हो जाना;
-Sensory मतलब इंद्रियों से रिलेटेड. जैसे देखना, सुनना, छूना वगैरह;
-Meridian मतलब परम आनंद मिल जाना और;
-Response मतलब किसी चीज़ पर अपनी प्रतिक्रिया या रिएक्शन देना
ये सब एक साथ सुनने में किसी बड़े मुहावरे सा लगता है. लेकिन इसका सीधा मतलब है अपनी खोपड़ी, गर्दन और पीठ पर एक लल्लनटॉप सनसनी महसूस करना.
YouTube और Spotify पे ASMR के नाम पर आपको तमाम तरह की प्लेलिस्ट मिल जाएंगी. कुछ वीडियो नीचे शेयर कर रहे हैं. देख लीजिए फिर होगी आगे की बात.
देख आए वीडियो? कुछ अच्छा महसूस हुआ? अगर हुआ है तो बधाई हो. आप उन 20% लोगों में से हैं जो ASMR महसूस कर सकते हैं.
बहुत से लोगों का ऐसा मानना है कि जब भी वो ASMR वाले वीडियो देखते हैं तो उन्हें ऐसा फ़ील होता है जैस सर में पीछे से लेकर रीढ़ की हड्डी से होते हुए एक सिहरन सी दौड़ रही हो. वैसी ही फीलिंग, जो तब मिलती है जब सर में कोई तेल मालिश करता है.
लेकिन कुछ भी फ़ील नहीं हुआ तो?यहाँ ये जानना भी ज़रूरी है कि हर किसी को नहीं मिलता ASMR ज़िंदगी में. ASMR को लेकर अलग-अलग लोगों की प्रतिक्रिया अलग-अलग हो सकती है. इसीलिए अगर आपको वीडियो देखकर मौज नहीं मिली तो दो बातें हो सकती हैं -
-पहली तो ये कि शायद आप ASMR महसूस करने वालों में से नहीं हैं.
-दूसरी ये, कि ज़रूरी नहीं है एक ASMR जो हम पर काम कर गया वो आप पर भी करे.
थोड़ा टेक्निकल होकर बोला जाए तो हर ASMR में एक ‘ट्रिगर’ होता है जिस पर आपका दिमाग प्रतिक्रिया देता है और आप कुछ-कुछ महसूस करते हैं. कोई उस ASMR से ट्रिगर हो सकता है जिसमें मेकअप किया जा रहा हो तो किसी को उस ASMR में ज़्यादा मज़ा आता है जिसमें बस पन्ने पलटे जा रहे हों. तो हो सकता है कि आप को किसी और तरह के 'ट्रिगर' पर मज़े मिलें. इसीलिए, खोज करते रहिए. कबीर ने कहा भी था - जिन खोजा, तिन पाइया.
ASMR और प्यार - दोनों के मूल में है अटेंशन
वैसे तो ASMR वाले वीडियो कई तरह के हो सकते हैं लेकिन ये ज़्यादातर हमारी रोजमर्रा की ज़िंदगी के आसपास के ही सीन दिखाते हैं. जब आपकी स्क्रीन पर एक एक्टर ASMR वाली हरकतें कर रहा होता है तो उसकी कोशिश यही होती है कि आपको ‘पर्सनल अटेंशन’ मिले. ये ‘पर्सनल अटेंशन’ आपको ऐसा महसूस करवाता है कि कोई आपकी केयर कर रहा है.
उदाहरण के लिए एक ASMR वीडियो में मौजूद एक्टर जब कैमरा में देख कर बात करता है तो आपको लगता है कि वो सीधे आप से ही बात कर रहा है. वहीं अगर वीडियो में कोई एक्टर कैमरा में देखकर बाल काटने ये मेकअप करने की एक्टिंग कर रहा हो तो आपको ऐसा लग सकता है जैसे ये आप ही के साथ हो रहा है.
अगर आप उनमें से हैं जिसे सैलून में जा कर बाल कटाना पसंद है, आपको अच्छा लगता है जब कोई आपके बालों में स्प्रे से पानी छिड़के, कंघी करे, धीरे-धीरे कैंची चलाये. तो हो सकता है ये आपके अंदर ASMR ट्रिगर कर दें. अगर ये आपका टाइप नहीं है तो आप पर ये वीडियो कोई असर नहीं डालेगा.
शायद इसीलिए ASMR पर सब अलग-अलग तरह से रिएक्ट करते हैं क्योंकि आपको कैसा अटेंशन अच्छा फील करवायेगा, वो आप पर निर्भर करता है. ये अटेंशन आपके subconscious यानी अवचेतन में कोई ऐसी याद ट्रिगर कर सकता है जो आपको हल्का, बेहतर महसूस करवाती हो.
अब एक ही चीज़ आपको हमेशा अच्छा महसूस कराए, ऐसा तो हो नहीं सकता. इसीलिए कुछ मामलों में ये भी देखा गया कि लोग एक से ASMR वीडियो देखकर बोर होने लगते हैं. एक तरह के ASMR से बोर होने पर आप दूसरे तरह का ASMR ट्राई कर सकते हैं. नहीं तो एक ब्रेक लेकर फिर से शुरू कर सकते हैं.
लेकिन ये जादू हो कैसे रहा है? अरे जादू नहीं है, साइंस है.
ASMR का साइंसपहले तो सीधी बात. इतना पॉप्युलर होने के बाद भी ASMR की साइंस पर सवालिया निशान लगते रहते हैं. इस पर इतनी रिसर्च भी नहीं हुई है. जहां हुई वहां कोई ठोस निष्कर्ष भी निकल कर नहीं आ पाया.
बाकी हर खुराफात की तरह ASMR की शुरुआत भी हमारे दिमाग से ही होती है. Scientific American की रिपोर्ट में एक रिसर्च का जिक्र है. रिसर्च में लोगों को ASMR वीडियो दिखाते वक़्त उनके MRI स्कैन किए गए. स्कैन में कुछ रोचक बातें सामने आई:
-पहली ये कि ASMR ट्रिगर होने पर कुछ मामलों में दिमाग में dopamine (डोपामीन), oxytocin (ऑक्सीटोसिन) और endorphin (एंडॉर्फिन) रिलीज होने की संभावना देखी गई.
Oxytocin (ऑक्सीटोसिन)जिसे लव हार्मोन' भी बोला जाता है का काम होता है अपने को आराम और शांति फ़ील करवाना. यही आराम और शांति किसी-किसी को ASMR का अनुभव करने पर मिल जाती है. यानी कहा जा सकता है कि एक पैटर्न तो है. हो सकता है कि oxytocin (ऑक्सीटोसिन) का ASMR से कोई गहरा कनेक्शन हो. ऐसा इसलिए क्योंकि आमतौर पर जिन हरकतों से oxytocin (ऑक्सीटोसिन) रिलीज होता है, ASMR भी उन्हीं हरकतों से ट्रिगर होता है.
ASMR वीडियो में एक्टर आपसे धीमी आवाज़ में बात करता है, आपको प्यार से देखते हुए आपकी देखभाल करता सा लगता है. ऐसे में अपने दिमाग को लगता है कि सामने वाले से अपने को कोई खतरा नहीं है. फिर oxytocin (ऑक्सीटोसिन) रिलीज होने लगता है और दिमाग के कुछ हिस्सों में लाइट जलने लगती है.
रिसर्च में वैज्ञानिकों को दिमाग के prefontal cortex (प्रीफ्रंटल कॉर्टेक्स) वाले हिस्से में भी कुलबुलाहट मिली. ये हिस्सा आपके सामाजिक माहौल में हो रहे बर्ताव, आपसी ताने बाने वगैरह से जुड़ा हुआ है. यानी वही केयर वाली बात.
-इसके अलावा दिमाग के उस हिस्से में भी हलचल देखी गई जो आमतौर पर तब एक्टिव होता है जब आप ईमोशनल हो जाते हैं या फिर जब आप कुछ जीतते हैं या आपको इनाम मिलता है. इससे अपन थोड़ा-बहुत अंदाज़ा तो लगा ही सकते हैं कि शायद ASMR सामाजिक जुड़ाव और रिश्तों से मिलने वाली खुशी और सुकून की नकल करता है.
लेकिन इस रिसर्च के साथ एक समस्या भी है. इस रिसर्च में वो लोग शामिल नहीं थे जिन पर ASMR असर नहीं डालता. तो ये जानना मुश्किल है कि वो इस रिसर्च में क्या प्रतिक्रिया देते. PLOS में छपी एक रिसर्च में बताया गया कि ASMR वीडियो देखने के बाद लोगों का मन शांत हुआ, दिल की धड़कन कम हुई लेकिन ये बदलाव केवल ASMR से प्रभावित लोगों में ही मौजूद थे. ASMR से वो लोग ही ज़्यादा प्रभावित होते लगे जिनमें चिंता करने की प्रवृत्ति ज़्यादा होती है.
एक और स्टडी में ये सामने आया कि हो सकता है कि ASMR अनुभव करने वाले लोगों के दिमाग के ताने-बाने बाकी लोगों से अलग हों. हम सबके दिमाग में neurotransmitters (न्यूरोट्रांसमिटर्स) होते हैं. ये वो डाकिए होते हैं जो यहां से वहां संदेश भेजते हैं. ऐसी संभावना हो सकती है कि जिन लोगों को ASMR फ़ील होता है उनके neurotransmitters (न्यूरोट्रांसमिटर्स) ज़्यादा संवेदनशील होते हों. और इसी वजह से वो ASMR जैसे कॉम्प्लेक्स ईमोशन महसूस कर पाते हों.
निचोड़ ये कि अभी भी कुछ पुख्ता नहीं कहा जा सकता. साइंस को इस तरफ और रिसर्च करने की ज़रूरत है.
खैर, अंत में जाते-जाते ये वीडियो देखिये.
इसमें एक बंदर दूसरे बंदर के सर से जूँ निकाल रहा है. ये ताड़ने के लिए आपको साइंस समझने की ज़रुरत नहीं है कि दोनों में से कौनसा बंदर मौज में है. कुछ ऐसे ही मज़े जो लोग ASMR अनुभव कर पाते हैं उन्हें फील करते देखा गया है. अब जो फ़ील कर रहा है वो तो कर रहा है. और किसी के मज़े में हम क्यों खलल डालें.
इसलिए ASMR के ऊपर भले ही बहुत विवाद हों लेकिन इस बात में भी कोई शक नहीं है कि कुछ लोगों पर ASMR के थेरपी जैसे फायदे देखे गए.
दूसरी तरफ के लोगों की दलील में भी दम है. जहां एक तबका इसे pseudoscience यानी नकली विज्ञान तक करार कर चुका है, वहां कुछ का कहना है कि सोशल मिडिया के दौर में ये जनरेशन आपस में इतनी जुडी हुई हो कर भी बहुत अकेली हो चुकी है. और वो इसी वजह से पर्सनल अटेंशन देने वाले ASMR कंटेंट को देखती है.
इन दो गुटों की लड़ाई में ये तो तय है कि हमें अभी भी ASMR के पीछे के विज्ञान के बारे में बहुत कुछ सीखना बाकी है. उम्मीद है कि आगे ये विवाद ही अब साइंटिस्ट लोगों को इस तरफ और रिसर्च करने की मजबूत वजह देगा.
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