वैज्ञानिकों की 20 साल की इस तगड़ी रिसर्च के बाद क्या सच में कैंसर का इलाज मिल गया है?
स्पेन में हुई इस रिसर्च की बहुत चर्चा हो रही है. वैज्ञानिकों ने कैंसर के लिए जिम्मेदार मुख्य जीन को रोकने में सफलता पाई है.
किसी बीमारी से लड़ने के लिए जितनी जरूरी दवाइयां हैं, उतनी ही जरूरी है एक उम्मीद. उम्मीद के कई नाम और रूप हो सकते हैं. कुछ इसको पॉजिटिव एटीट्यूड कहते हैं, तो कोई डॉक्टर को ही सबसे बड़ी उम्मीद मानता है. बीमारी अगर कैंसर जैसी हो, तो उम्मीद सबसे बड़ा फैक्टर होती है. और ऐसी ही उम्मीद अब कुछ रिसर्चर्स ने बांधी है. दरअसल, कैंसर के इलाज पर काम कर रहे कुछ रिसर्चर्स ने इसके एक जीन (Gene) से लड़ने में प्रारंभिक सफलता पाई है.
शोधकर्ताओं की रिपोर्ट के मुताबिक, कैंसर पैदा करने वाले जीन MYC से मुकाबला करने वाली दवा पहले चरण के परीक्षण में इसकी प्रोग्रेस को रोकने में सफल हुई है. आपकी जानकारी के लिए बता दें कि इसके पहले कोई भी दवा इतने सुरक्षित और प्रभावकारी तरीके से इस जीन से निपटने में कामयाब नहीं हुई थी. बार्सिलोना के Vall d'Hebron Institute of Oncology (VHIO) के Early Drug Development Unit की डायरेक्टर डॉक्टर Elena Garralda ने आरंभिक ट्रायल में मिले नतीजों के बारे में कहा,
MYC कैंसर में मोस्ट वांटेड है क्योंकि ये अकेला जीन कई तरह के कैंसर का मुख्य कारण है. जैसे ब्रेस्ट कैंसर, प्रोस्टेट, फेफड़े और ओवरी के कैंसर में ये जीन मुख्य भूमिका अदा करता है. MYC को रोकने के लिए अभी तक किसी भी दवा को स्वीकृति नहीं मिल पाई है.
अब वैज्ञानिकों ने ये कैसे किया, वो जानने से पहले जरा ये समझते हैं कि आखिर ये MYC है क्या? MYC का मतलब mandates tumor cell. कैंसर होने का सबसे प्रमुख जरिया. कैंसर, मतलब किसी कोशिका के असामान्य तरीके से बढ़ने की बीमारी. आमतौर पर, हमारे शरीर की कोशिकाएं नियंत्रित तरीके से बढ़ती हैं और विभाजित होती हैं. जब सामान्य कोशिकाओं को नुकसान पहुंचता है या कोशिकाएं पुरानी हो जाती हैं, तो वे मर जाती हैं और उनकी जगह स्वस्थ कोशिकाएं ले लेती हैं.
कैंसर में कोशिका के विकास को नियंत्रित करने वाले संकेत ठीक से काम नहीं करते हैं. कैंसर की कोशिकाएं बढ़ती रहती हैं और जब उन्हें रुकना चाहिए तो कई गुना बढ़ जाती हैं. दूसरे शब्दों में कहें, तो कैंसर में कोशिकाएं, स्वस्थ कोशिकाओं वाले नियमों का पालन नहीं करती हैं. और ऐसा होता है एक जीन की वजह से. अब तक आपको नाम पता चल चुका होगा. ये MYC एक ऐसा ही जीन है, जो कई तरह के कैंसर का कारण है. MYC ट्यूमर माइक्रो एन्वायरमेंट में परिवर्तन करता है, जिसमें एंजियोजेनेसिस की सक्रियता और इम्युनिटी पर बहुत असर पड़ता है.
VHIO के वैज्ञानिकों ने क्या किया है?स्पेन स्थित इस संस्थान के शोधकर्ताओं ने बीस साल की मेहनत के बाद एक छोटा प्रोटीन (mini-protein) तैयार किया है. इसका नाम है, OMO-103. जो कोशिकाओं के अंदर बोले तो एकदम सीधे nucleus तक पहुंच सकता है. प्रयोगशाला और चूहों पर किए गए परीक्षण में पता चला है कि OMO-103, MYC की ग्रोथ को रोकने और ब्लॉक करने में सक्षम है. इस ड्रग का ट्रायल सिर्फ चूहों पर हुआ हो, ऐसा भी नहीं है.
डॉक्टर Elena Garralda ने अप्रैल 2021 में 22 कैंसर मरीजों पर इसके पहले चरण का क्लीनिकल ट्रायल किया. ट्रायल में OMO-103 के सुरक्षित होने और कैंसर पर इसके असर को बारीकी से परखा गया. ट्रायल में हर किस्म के कैंसर के मरीज शामिल थे. सारे मरीजों का पहले से ही इलाज चल रहा था.
कैसे हुआ ट्रायल?मरीजों को नसों के माध्यम से हफ्ते में एक दिन OMO-103 के छह डोज दिए गए. मरीज के वजन के हिसाब से 0.48 से 9.72 mg/kg दवा नसों में डाली गई. शोधकर्ताओं ने ट्रायल से पहले मरीजों के ट्यूमर की बायोप्सी भी की. बीते 10 अक्टूबर 2022 को जब इन मरीजों की दोबारा से जांच की गई, तो 12 में से आठ मरीजों में कैंसर की ग्रोथ रुक गई थी. अच्छी बात ये है कि दवा सभी तरह के कैंसर के मरीजों पर असर कर रही है.
डॉक्टर Elena Garralda के मुताबिक, अब दवा का ट्रायल आरंभिक दौर में है लेकिन हमने कई मरीजों में कैंसर को स्थिर होते देखा है. इलाज के बाद एक मरीज का ट्यूमर आठ प्रतिशत तक कम हो गया. वहीं एक दूसरे मरीज में ट्यूमर को बढ़ाने वाले DNA में कमी देखी गई. उनके मुताबिक, सबसे अच्छी बात ये है कि OMO-103 MYC जीन को सही से टारगेट कर रहा है और इसके बुरे प्रभाव भी बहुत कम हैं. ये ट्रायल OMO-103 को कैंसर के दूसरे इलाज जैसे कीमोथेरपी के साथ जोड़ने में मदद करेगा. उन्होंने कहा कि विश्लेषण से संकेत मिलता है कि OMO-103 रक्त सीरम में कम से कम 50 घंटे तक बना रहता है और अब हम ट्रायल के दूसरे चरण के लिए एकदम तैयार हैं. इसके लिए डोज को बढ़ाकर 6.48mg/kg किया जाएगा.
आगे क्या होगा?आगे क्या होगा, ये जानने से पहले ये समझ लीजिए कि ऐसा ट्रायल कोई पहली बार नहीं हुआ है. कैंसर के इलाज के लिए दुनियाभर के शोधकर्ताओं ने बहुत से प्रयास किए हैं. 2013 की बीबीसी रिपोर्ट के मुताबिक, वैज्ञानिकों का कहना है कि कैंसर पर चल रहे शोध में कुछ ऐसे तथ्य सामने आए हैं, जो इस बीमारी के कारणों का पता लगाने की दिशा में महत्वपूर्ण साबित हो सकते हैं.
वैज्ञानिकों ने ट्यूमर के ज़्यादातर मामलों में होने वाली 21 आनुवांशिक तब्दीलियों का पता लगाया है. आनुवांशिक कोड में अचानक हुआ बदलाव आम तौर पर होने वाले 30 प्रकार के कैंसर के लगभग 97 फ़ीसदी मामलों में ज़िम्मेदार कारक होता है. लेकिन MYC जीन को आजतक टारगेट नहीं किया गया था. अगर आगे होने वाले ट्रायल के नतीजे उम्मीद के मुताबिक रहे और बीमारी की जड़ को ही रोक दिया गया, तो इससे अच्छा कुछ नहीं होगा.
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