इलेक्ट्रिक कार है बेहतर या पेट्रोल कार जिंदाबाद? सारा कन्फ्यूजन आज खत्म हो जाएगा
घर वाले कह रहे इलेक्ट्रिक कार ले, यार-पड़ोसी पेट्रोल कार पर अड़े हैं. और जिसे कार लेनी है वो सिर खुजा रहा है. ये स्टोरी पढ़कर सारी कन्फ्यूजन दूर हो जाएगी.
कार लेने का सोचना बड़ा आसान है, लेना बहुत मुश्किल है. बीवी-बच्चों से लेकर परिवार के दूसरे सदस्यों से पूछना पड़ता है. यार भी कार एक्सपर्ट बनकर खड़े हो जाते हैं रास्ता रोकने के लिए. और अगर पड़ोसी की सलाह लिए बगैर कार ले ली तो पार्किंग को लेकर हमेशा पंगेबाजी होती रहेगी. ताने भी सुनने पड़ सकते हैं. अरे मुझसे तो पूछ लेते, फलां डीलर अपनी पास की बुआ का दूर का रिश्तेदार है, बढ़िया डिस्काउंट दिला देता.
अपन ने भी इस महान परंपरा का निर्वहन करते हुए सबसे पूछना चालू किया. सलाह तो मिली, लेकिन दिमाग को लगा इलेक्ट्रिक का झटका. घर वाले, दोस्त, पड़ोसी, जौनपुर वाली बुआ और भोपाल वाले मौसिया, सब एक सुर में बोले इलेक्ट्रिक लो इलेक्ट्रिक. लगा ‘आलू ले लो-कांदा ले लो’ की जगह ‘EV ले लो- EV ले लो’ चल रहा है. इनसे बचकर शोरूम पहुंचा तो वहां भी डीलर ने EV का टीवी ऑन कर दिया. ज्ञान मिला 1 रुपये किलोमीटर में फर्राटा भरेगी. थक-हार कर अपन पूछे भैया कितने की आती है.
दाम सुनकर दिमाग को लगा झटका. जहां बढ़िया फीचर वाली पेट्रोल कार लेने का काम 9-10 लाख रुपये खर्च करके हो सकता है, वहीं उसी रेंज की इलेक्ट्रिक कार के लिए कम से कम 15-17 लाख रुपये ढीले करने पड़ सकते हैं. सीधे-सीधे 8 लाख ज्यादा. आप कहोगे आजकल EV कार भी तो 10 लाख के अंदर आ रही हैं. ठीक बात है, लेकिन उसमें ऑप्शन का बड़ा मसला है. मतलब कंपनी और कार दोनों के ऑप्शन नहीं के बराबर हैं. इसलिए अभी तो इलेक्ट्रिक कार की सवारी 15 लाख के अल्ले-पल्ले ही बैठ रही.
कार के दाम का फर्ककीमत का फर्क देखकर लगा कि पेट्रोल कार में 8 लाख बच रहे. लेकिन फिर पेट्रोल के दाम और हर किलोमीटर पर खर्च याद आ गया. अगर पेट्रोल के दाम को औसत 100 रुपये और गाड़ी के एवरेज को 15 मानकर चलें तो आमतौर पर पेट्रोल कार का खर्च 6-7 रुपये प्रति किलोमीटर आता है. वहीं इतनी ही दूरी के लिए इलेक्ट्रिक कार केवल 1 से डेढ़ रुपये का खर्चा कराएगी. EV के खर्चे से जुड़ी डिटेल आपको कार कंपनियों की वेबसाइट पर मिल जाएंगी.
हालांकि इलेक्ट्रिक कार लेने में 8 लाख रुपये ज्यादा लगने वाली फीलिंग इसके बाद भी ना जाए तो? यहां मन में सवाल आता है कि क्या मैं 8 लाख का पेट्रोल इस्तेमाल करूंगा.
वैसे तो हर कार का माइलेज अलग-अलग होता है. फिर भी अपने आस-पास देखेंगे तो हर कार से मोटा-माटी 15 KM/L का एवरेज मिल जाता है. इसलिए इसी को मानक मानकर चलते हैं और दिनभर में 50 किलोमीटर गाड़ी चलाने का गणित समझते हैं.
इसके हिसाब से दिन का हुआ का तीन लीटर. सीधे 100 रुपये/लीटर से गुणा कर दें तो रोज के 300. महीने के पूरे 30 दिन भी जोड़ लें तो 9000 हुए. साल के 1,08,000. 8 लाख वसूल करने में 7 साल से भी ज्यादा लगेंगे. वैसे महीने के 30 दिन काम नहीं होता तो बात 7 साल से कहीं ज्यादा होगी. अब 50 की जगह 100 किलोमीटर भी कर दें तो भी लगभग 5 साल लगेंगे 8 लाख का पेट्रोल फूंकने में.
इसी गणित पर इलेक्ट्रिक कार को लेकर हिसाब लगाया महीने का खर्च बैठा 4500 रुपये. साल भर के 54 हजार. मतलब पेट्रोल के मुकाबले आधा. दूसरी तरफ EV पर इनकम टैक्स भी बचता है और कई राज्यों में सब्सिडी भी मिलती है.
लेकिन जो 8 लाख पहले लगे, उसको वसूलने में 14 साल लगेंगे. क्या इतने समय तक EV चलेगी. सबसे बड़ा सवाल, बैटरी की उम्र कितनी है और उसको बदलने का खर्चा कितना है. मुझे लगा अपने दिमाग को झटके देने से अच्छा एक्सपर्ट से बात करें. जानते हैं उनका क्या कहना है.
सूरज घोष ऑटो मोबाइल एक्सपर्ट और S&P ग्लोबल कंपनी के डायरेक्टर हैं. EV कारों पर उनकी जानकारी काफी ज्यादा है. दी लल्लनटॉप को सूरज घोष ने बताया,
"हाल फिलहाल के हिसाब से देखें तो एक कंपनी की EV और उसी सेगमेंट की पेट्रोल कार की तुलना करने पर EV महंगा सौदा लगता है."
लेकिन सूरज यहां एक जरूरी बात बताते हैं. उनके मुताबिक,
“EV की ऑपरेशनल कॉस्ट (प्रति किलोमीटर चलने का खर्चा ) कम है. जिसका जिक्र हम ऊपर कर चुके. कहने का मतलब अगर आपका फोकस सिर्फ रनिंग कॉस्ट है तो फिर कोई सवाल ही नहीं. लेकिन अगर पहले-पहल लगने वाला पैसा मुद्दा है तो पेट्रोल ठीक ऑप्शन है.”
फायदे और नुकसान का गणित इंश्योरेंस और RTO के खर्चे में भी है. सूरज ने हमें बताया कि जहां EV पर RTO का कोई खर्च नहीं लेकिन इंश्योरेंस महंगा है, वहीं पेट्रोल व्हीकल पर जीएसटी है, लेकिन इंश्योरेंस कम है. कार एक्सपर्ट का कहना है कि अभी EV का बाजार बहुत नया है तो इसकी रीसेल वैल्यू के बारे में कुछ नहीं कह सकते. वहीं 5-6 साल पुरानी पेट्रोल गाड़ी के ठीक दाम मिल जाते हैं.
कार खरीदने की इच्छा रखने वालों के लिए सूरज सलाह देते हैं,
“कौन सी गाड़ी महंगी और कौन सी सस्ती से जरूरी आपकी जरूरत है. अगर आप दिन के 100-150 किलोमीटर चला रहे हैं तो EV कोई बुरा ऑप्शन नहीं है. लेकिन जो रोज सिर्फ कुछ किलोमीटर का काम है तो पेट्रोल कार जिन्दाबाद.”
हालांकि इंडस्ट्री एक्सपर्ट होने के नाते सूरज इस बात के लिए आशान्वित हैं कि भविष्य में EV के दाम कम होंगे. चार्जिंग पॉइंट बढ़ेंगे और उनकी रेंज भी बढ़ेगी. तब तक आप अपनी जरूरत के हिसाब से कार लीजिए. रही बात बैटरी की तो उसके बारे में हमें सूरज ने विस्तार से बताया था. बस यहां क्लिक कर लीजिए.
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