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Shark Tank : अमेरिकी एक्ट्रेस से लड़ी कानूनी लड़ाई और भारत में खड़ा कर दिया करोड़ों का बिजनेस

Shark Tank India Season 3 में पहले पिचर के तौर पर आए मयंक प्लास्टिक फ्री क्लीनिंग प्रोडक्ट और कई तरीके के पेपर प्रोडक्ट जैसे टॉयलेट पेपर रोल बनाते हैं और वित्तीय वर्ष 22-23 में 14 करोड़ का कारोबार कर चुके हैं. मगर शार्क टैंक में उन्होंने कितना कमाल किया?

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Shark Tank India Season 3: The Honest Home Company secured 1 cr investment from cardesko amit jain
शार्क टैंक इंडिया सीजन 3 (तस्वीर साभार: SharkTank)
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सूर्यकांत मिश्रा
23 जनवरी 2024 (Updated: 23 जनवरी 2024, 17:19 IST)
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एक हैं अमेरिकी एक्ट्रेस और बिजनेस वूमेन Jessica Alba, और एक हैं उत्तरप्रदेश के धामपुर के मयंक प्रताप सिसोदिया. दोनों ने एक कानूनी लड़ाई लड़ी और इसमें मयंक जीत गए. लाइन पढ़कर आपको सबकुछ बेमेल लग रहा होगा, लेकिन ऐसा हुआ है Shark Tank India Season 3 के पहले एपिसोड में जो कल यानी 22 जनवरी 2024 को ऑन-एयर हुआ. अब सीजन 3 के पहले एपिसोड में पहले पिचर के साथ ‘Fantastic Four’ वाली जेसिका अल्बा का क्या झगड़ा है, वो हम आपको जरूर बताएंगे, मगर पहले मिलते हैं ‘The Honest Home Company’ के फाउंडर मयंक से.

Shark Tank India Seson 3 के पहले पिचर के तौर पर आए मयंक प्लास्टिक फ्री क्लीनिंग प्रोडक्ट और कई तरीके के पेपर प्रोडक्ट जैसे टॉयलेट पेपर रोल बनाते हैं और वित्तीय वर्ष 22-23 में 14 करोड़ का कारोबार कर चुके हैं. कमाल की बात ये है कि ये सब उन्होंने पिछले 3-4 सालों में किया है. मगर शार्क टैंक में उन्होंने कितना कमाल किया. कितना इनवेस्टमेंट मिला. कौन से शार्क से मिला और ‘रॉयल्टी’ कितनी मिली. जानते हैं लेकिन पहले मयंक और जेसिका अल्बा की कानूनी लड़ाई निपटा लेते हैं.

नाम को लेकर हुआ पंगा

जेसिका अल्बा की कंपनी का नाम The Honest Company और मयंक की कंपनी का नाम ‘The Honest Home Company’. हालांकि मयंक को इस बात की कोई जानकारी नहीं थी, जब तक उनको जेसिका की तरफ से लीगल नोटिस नहीं आया. ऐसा उन्होंने खुद बताया. बहरहाल, वो कानूनी लड़ाई जीत चुके हैं और अब भारत में उनकी कंपनी का नाम यही रहेगा.

अब बात करें उनके प्रोडक्ट की तो सारे प्रोडक्टस रोज काम आने वाले हैं. जैसे फ्लोर क्लीनर, किचन टॉवल, टिशू पेपर, हैन्ड वॉश वगैराह. प्रोडक्ट वैसे ही हैं जैसे दूसरी कंपनियों के होते हैं. इनमें केमिकल भी मिले हुए हैं. तो फिर अलग क्या है. अलग है इनकी पॅकिंग. मयंक की कंपनी के सारे प्रोडक्ट प्लास्टिक फ्री हैं. उदाहरण के लिए फ्लोर क्लीनर के लिए एक छोटा सा पाउच है, जिसको पानी में मिला दीजिए और बोतल भरकर मटेरियल तैयार हो गया.

जाहिर सी बात है ऐसा करने से प्रोडक्ट की कीमत कम होगी. मयंक के मुताबिक जहां आम फ्लोर क्लीनर का दाम 225 रुपये के अल्ले-पल्ले है तो उनके पाउच का दाम 75 रुपये है.

बढ़िया कॉन्सेप्ट

ऐसा हम नहीं, बल्कि शार्क टैंक के जजों ने कहा. शार्क नमिता थापर को छोड़कर बाकी चारों जज मयंक से प्रभावित नजर आए. मयंक का अपनी कंपनी बनाने से पहले पारले से लेकर हिंदुस्तान युनिलीवर जैसी कंपनियों में तकरीबन 10 साल काम करने का अनुभव भी इसमें खूब काम आया.  

पैसा मिला क्या?

मयंक ने अपनी कंपनी की 2 फीसदी हिस्सेदारी के बदले 1 करोड़ रुपये का इनवेस्टमेंट मांगा था. बोले तो 50 करोड़ की वैल्यूएशन. मयंक अपनी तरफ से अभी तक 2.5 करोड़ रुपये इस बिजनेस में लगा चुके हैं. ये पैसा उन्होंने फैक्ट्री सेटअप करने में लगाया है. जैसे हमने कहा कि बाकी शार्क मतलब CarDekho वाले Amit Jain, Sugar Cosmetics वाली नमिता, Boat वाले Aman और shadi.com वाले अनुपम मित्तल ने ‘The Honest Home Company’ में पैसा लगाने का मन बनाया.

जैसे होता है वैसे ही हुआ. चारों शार्क ने अलग-अलग ऑफर दिए. साथ में काम करने की बात भी कही लेकिन मयंक गए Amit Jain के साथ. अमित ने उनको 1 करोड़ का इनवेस्टमेंट दिया. इसके बदले उन्होंने कंपनी में 3 फीसदी की हिस्सेदारी ली. कंपनी की वैल्यूएशन हुई 33.33 करोड़ रुपये. हालांकि डील यहीं डन नहीं हुई, क्योंकि अमित ने डेढ़ करोड़ रुपये वापस मिलने के बदले 1 फीसदी की रॉयल्टी भी मयंक से ली. 

रॉयल्टी को आसान भाषा में समझ लेते हैं. इसका सीधा-सीधा कंपनी की बिक्री से लेना-देना है. मतलब बिक्री का एक तय हिस्सा इन्वेस्टर को मिलेगा. उदाहरण के लिए अगर एक करोड़ महीने की बिक्री है रॉयल्टी 5 फीसदी है तो उनको पांच लाख रुपये मिलेंगे. रॉयल्टी कितनी होगी वो आपस में तय होता है. माने कि इन्वेस्ट किया पैसा, दोगुना होगा या तीन गुना. ऐसा करने का सबसे बड़ा फायदा इन्वेस्ट करने वाले को मिलता है. क्योंकि एक तयशुदा समय में उनका पैसा वापस आ जाता है. शार्क ने इस तरह की शर्त के बारे में बताते हुए कहा, 

रॉयल्टी वाली बात ऐसे बिजनेस में होती है जिसमें बाहर निकलने की कोई आसान जुगाड़ नहीं होती. मतलब किसी वजह से डील टूटती है तो बीच में बाहर निकलने पर भी पैसा वापस आ सकता है.

मयंक के केस में अमित ने इसकी लिमिट 1.5 करोड़ रुपये रखी है. हालांकि समय सीमा का जिक्र एपिसोड में नहीं था.कॉन्ट्रेक्ट में जरूर होगा.

ये थी शार्क टैंक सीजन 3 के पहले एपिसोड के पहले पिचर की कहानी.    

वीडियो: शार्क टैंक के आखिरी एपिसोड में 'Girls Hostel' वाली पारुल गुलाटी ने कितनी फन्डिंग उठाई?

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