एक पुरानी कहावत है, "All's fair in love and war", यानी प्यार और युद्ध में सबकुछ उचित है. ये कहावत पुरानी ही है. क्योंकि आजकल युद्ध के भी कुछ एथिक्स होतेहैं. हर हथियार और हर हमला जायज़ नहीं होता. कुछ वॉर-क्राइम यानी युद्ध-अपराध कीश्रेणी में भी आते हैं. रूस-यूक्रेन युद्ध में भी कुछ विवादित वेपन्स यूज़ करने केइल्ज़ाम लग रहे हैं.26 फरवरी 2022. CNN की एक टीम ने देखा कि रूस के कुछ ट्रक यूक्रेन की सीमा की सीमाकी ओर बढ़ रहे हैं. ये ट्रक रॉकेट लॉन्चर्स से लैस थे. ऐसे लॉन्चर्स जिनकी मददथर्मोबैरेक बॉम्ब लॉन्च किए जाते हैं. थर्मोबैरेक बॉम्ब का ही दूसरा नाम है वैक्यूमबॉम्ब.The russian army has deployed the TOS-1 heavy flamethrower which shootsthermobaric rockets, the was South of Belgorod. pic.twitter.com/XCxMI3bNB3— Frederik Pleitgen (@fpleitgenCNN) February 26, 202228 फरवरी 2022 को अमेरिका में यूक्रेन की राजदूत ओक्साना मारकारोवा ने रिपोर्टर्ससे बात की. उन्होंने आरोप लगाया कि रूस यूक्रेन के ऊपर वैक्यूम बॉम्ब का इस्तेमालकर रहा है. यूक्रेन के कुछ शहरों में क्लस्टर बॉम्ब से हमला करने की खबरें भी आ रहीहैं. ये वैक्यूम बॉम्ब और क्लस्टर बॉम्ब क्या होते हैं. और इस युद्ध में इनका यूज़प्रॉब्लमैटिक क्यों है? ये समझने की कोशिश करेंगे.रूस पर लगा है वैक्यूम बम के इस्तेमाल का आरोप. सांकेतिक तस्वीर (आजतक)वैक्यूम बॉम्ब से शुरुआत करते हैं. जिसे वैक्यूम बम कहा जा रहा है, उसके कई दूसरेनाम भी हैं. थर्मोबैरिक वेपन, एयरोसॉल बॉम्ब, फ्यूल एयर एक्सप्लोज़िव(FAE) आदि. येसाधारण बॉम्ब से कैसे अलग हैं? ये समझने के लिए हमें इनके काम करने का तरीका समझनाहोगा.वैक्यूम बॉम्ब: दो स्टेज में धमाकावैक्यूम बॉम्ब अलग-अलग उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए अलग पैकेजिंग और साइज़ मेंआते हैं. इन्हें रॉकेट्स के ज़रिए लॉन्च किया जा सकता है. इन्हें किसी एयरक्राफ्टकी मदद से भी गिराया जा सकता है.वैक्यूम बम में मुख्यत: दो कंटेनर होते हैं. इसलिए ये बम दो स्टेज में फटता है.पहली स्टेज में एक छोटा सा धमाका होता है. इससे पहला कंटेनर खुल जाता है. इसकेखुलने से इसके अंदर भरा एक्सप्लोज़िव मटेरियल एक क्लाउड यानी बादल बनकर फैल जाताहै. क्लाउड के फैल जाने के बाद दूसरी स्टेज शुरू होती है.दूसरी स्टेज में दूसरा कंटेनर फट जाता है. इससे एक्सप्लोज़न को ट्रिगर किया जाताहै. और चारों तरफ फैला हुआ एक्सप्लोज़िव क्लाउड धधक उठता है. वो एक बहुत बड़े आग केगोले में तब्दील हो जाता है. इससे एक भयानक धमाका होता है. और शॉकवेव्स निकलती हैं.अब धमाके के पीछे की थोड़ी सी साइंस समझ लीजिए.आग लगने को या धमाके को साइंस में कम्बशन रिएक्शन कहा जाता है. और कम्बशन के लिएऑक्सीजन बेहद ज़रूरी होती है. अगर आप जलती हुई मोमबत्ती के ऊपर ग्लास रख देंगे, तोवो बुझ जाएगी. क्योंकि उस मोमबत्ती की ऑक्सीजन सप्लाई खत्म हो जाएगी. किसी आग याधमाके को जितनी ऑक्सीजन मिलेगी, वो उतना भयंकर होगा.किसी साधारण बॉम्ब की सामग्री में मुख्यत: दो मटेरियल होते हैं. फ्यूल औरऑक्सीडाइज़र. फ्यूल वो चीज़ होती है, जो जलती है. ऑक्सीडाइज़र वो मटेरियल होता है,जो फ्यूल को एक्स्ट्रा ऑक्सीजन देकर जलने में मदद करता है. लेकिन वैक्यूम बॉम्ब मेंपेवर फ्यूल भरा होता है. इसमें ऑक्सीडाइज़र जैसी कोई चीज़ नहीं होती.वैक्यूम बॉम्ब में पेवर फ्यूल भरा होता है. सांकेतिक तस्वीर (आजतक)वैक्यूम बम इसी मायने में अलग है. ये वातावरण से ही खूब सारी ऑक्सीजन समेट लेता है.किसी साधारण बॉम्ब की तरह इसके अंदर का एक्स्प्लोज़िव मटेरियल एक छोटी सी जगह सीमितनहीं रहता. ये एक क्लाउड में कनवर्ट होता है. ये क्लाउड हर तरफ जगह बनाते हुए फैलताहै. छोटे-छोटे कूचे-कुलियों-दरारों से भी अंदर घुस जाता है. उसके बाद मेनएक्सप्लोज़न होता है. ताकि ज़्यादा जगह में नुकसान पहुंचा सके और ज़्यादा ऑक्सीजनखा सके.इसे वैक्यूम बॉम्ब इसलिए कहा जाता है, क्योंकि इसका क्लाउड धमाके के दौरान अपनेआसपास की ऑक्सीजन खत्म कर देता है. अपने आसपास वैक्यूम बना देता है. वैक्यूम कामतलब होता है खालीपन. किसी चीज़ की गैरमौजूदगी. ये बॉम्ब धमाके के बाद ऑक्सीजन कावैक्यूम बनाता है.ये तो इसके काम करने का तरीका हुआ. अब इस वैक्यूम बॉम्ब से होने वाले नुकसान कोडीटेल में समझते हैं.वैक्यूम बम शरीर को भाप बना सकता है. सांकेतिक तस्वीर (आजतक)शरीर को भाप बना देने वाला बमजैसा कि पहले बताया, वैक्यूम बॉम्ब अपने आसपास की सारी ऑक्सीजन खा जाता है. इसलिएइस धमाके के पास मौजूद लोग ऑक्सीजन की कमी से मर जाते हैं. इन लोगों के फेफड़े तकबुरी तरह डैमेज हो जाते हैं.वैक्यूम बॉम्ब के धमाके में बहुत भयंकर प्रेशर निकलता है. इस प्रेशर में लोग क्रशहोकर मर जाते हैं. कुचल जाते हैं. ये प्रेशर इतना ज़्यादा होता है कि लोगों केअंदरूनी अंग भी चिमट जाते हैं.वैक्यूम बॉम्ब का धमाका ज़्यादा देर के लिए टिकता है. इसमें तापमान भी बहुत ज़्यादाहोता है. ये इतना खतरनाक होता है कि इससे ह्यूमन बॉडी वेपराइज़ हो सकती है. यानीपूरा शरीर भाप बन जाता है.किसी दूसरे बॉम्ब के मुकाबले वैक्यूम बम बहुत ही इंटेंस और डिस्ट्रक्टिव होता है.ये अपने आसपास की ज़मीन और इमारतें भी बर्बाद कर देता है. वैक्यूम बॉम्ब के अंदर जोमटेरियल भरा होता है, वो भी टॉक्सिक और खतरनाक होता है.स्ट्रैटेजिकली वैक्यूम बॉम्ब का यूज़ बंद जगहों को निशाना बनाने के लिए होता है.जैसे कि लोग किन्हीं गुफाओं में या टनल जैसी जगहों पर छुपे हुए हैं. US नेअफगानिस्तान में इससे बहुत हमले किए थे. अलकायदा और इस्लामिक स्टेट के टेररिस्टगुफाओं में छुपे होते थे. उन्हें मारने के लिए वैक्यूम बॉम्ब इस्तेमाल किए गए थे.रूस-यूक्रेन युद्ध का आज 11वां दिन है. सांकेतिक तस्वीर (आजतक)वॉर-क्राइम?वैक्यूम बॉम्ब की हिस्ट्री दशकों पुरानी है. इसका शुरुआती इस्तेमाल वर्ल्ड वॉर 2में देखने को मिला. जर्मनी की सेना इन्हें यूज़ करती थी. इसके बाद इन्हें 60 के दशकदेखा गया. अमेरिका ने वियतनाम वॉर में वैक्यूम बॉम्ब से धमाके किए. और फिरअफगानिस्तान में भी US ने ये बॉम्ब चलाए ही थे. रूस भी पहले इन बॉम्ब्स का इस्तेमालकर चुका है. 1999 में चेचन्या के खिलाफ युद्ध में वैक्यूम बॉम्ब्स से हमले किए थे.2003 में अमेरिका ने सबसे ताकतवर थर्मोबैरिक वेपन तैयार किया. इसे नाम दिया गया -मदर ऑफ ऑल बॉम्ब्स. इसके जवाब में 2007 में रूस ने एक थर्मोबैरिक वेपन को टेस्टकिया. रूस का ये बॉम्ब अमेरिकी बॉम्ब से चार गुना ज़्यादा पावरफुल था. और रूस नेइसे नाम दिया - फादर ऑफ ऑल बॉम्ब्स. ये थर्मोबैरिक बॉम्ब्स सबसे पावरफुलनॉन-न्यूक्लियर वेपन्स हैं.वैक्यूम बॉम्ब्स को बैन करने के लिए फिलहाल कोई अंतरराष्ट्रीय कानून नहीं है. लेकिनआम नागरिकों के ऊपर इसे यूज़ किए जाने पर वॉर-क्राइम माना जाता है. 1899 और 1907 केहेग कन्वेंशन्स के मुताबिक. इसके लिए बाद में रूस को इंटरनेशनल कोर्ट में कन्विक्टकिया जा सकता है.क्लस्टर बॉम्बरूस-यूक्रेन युद्ध में वैक्यूम बॉम्ब के अलावा रूस के द्वारा एक और कॉन्ट्रवर्शियलवेपन यूज़ करने की खबरें हैं. इसका नाम है क्लस्टर बॉम्ब.क्लस्टर का मतलब होता है समूह. क्लस्टर बॉम्ब यानी छोटे-छोटे बॉम्ब्स को इकट्ठाकरके बनाया गया एक बड़ा बॉम्ब. क्लस्टर बॉम्ब के अंदर मौजूद इन छोटे-छोटे बॉम्ब्सको बॉम्ब्लेट्स कहते हैं.जब एक क्लस्टर बॉम्ब फायर किया जाता है, तो ये हवा में ही छितर जाता है. इसकेबॉम्ब्लेट्स फैल जाते हैं. और ज़मीन पर एक बड़े एरिया को कवर करते हैं. विशेषज्ञोंका कहना है कि ये बड़े एरिया में फैलने से कई आम लोगों को नुकसान पहुंचाते हैं. नकि एक स्पेसिफिक मिलिटरी टार्गेट को.क्लस्टर बॉम्ब के साथ एक और बहुत बड़ी दिक्कत है. युद्ध के दौरान कई बॉम्ब्लेट्स तोफट जाते हैं. लेकिन कई बिना धमाके के ज़मीन में पड़े रहते हैं. ये बॉम्ब्लेट्सपड़े-पड़े लैंड माइन्स की तरह हो जाते हैं. जो बाद में कभी भी फट सकते हैं.कई बार युद्ध खत्म होने के सालों बाद भी इनके ब्लास्ट से लोगों की मौत हो जाती है.सीरिया और यमन जैसे कई देशों में आज भी दशकों बाद कई क्लस्टर बॉम्ब्स फटने से आमलोग मारे जाते हैं.यूक्रेन में मौजूद सैनिक. (सांकेतिक फोटो: एपी)एक कनवेंशन है, जिसमें 120 देशों ने क्लस्टर बॉम्ब यूज़ नहीं करने पर सहमति बनाईथी. इसका नाम है कनवेंशन ऑन क्लस्टर म्यूनिशन्स. लेकिन रूस और यूक्रेन दोनों ही इसकनवेंशन का हिस्सा नहीं हैं. अमेरिका और इंडिया भी इस कनवेंशन का हिस्सा नहीं है.अमेरिका जैसे देश खुद क्लस्टर बॉम्ब्स और वैक्यूम बॉम्ब का यूज़ करते आए हैं. लेकिनअभी ये दूसरी तरफ हैं, तो उसके ऊपर ज्ञान दे रहे हैं. शास्त्रों में इसे हिपोक्रिसीकहा गया है. खैर, फैक्ट ये है कि वैक्यूम बॉम्ब और क्लस्टर बॉम्ब से कई निर्दोष लोगमारे जाते हैं. इनसे बहुत ही क्रूर और अमानवीय मौत होती है.आप कहेंगे कि युद्ध में बहुत से निर्दोष लोग मारे ही जाते हैं. ये तो युद्ध काबाईप्रॉडक्ट है. लेकिन मुद्दा ये है कि ऐसे वेपन्स के इस्तेमाल से निर्दोष लोगों कीमौत का प्रपोर्शन बढ़ जाता है. इसलिए ह्यूमन राइट्स ग्रुप्स लंबे अरसे से इन्हेंबैन करने की मांग कर रहे हैं. लेकिन इनके यूज़ पर कोई लगाम लगती नहीं दिख रही है.