Pixel 9 Pro XL खरीदने से पहले ये जरूर पढ़ लें, पता चल जाएगा कितना 'परफेक्ट' है?
हम बात करने वाले हैं Pixel 9 सीरीज के सबसे बड़े भाई Google Pixel 9 Pro XL की. इस्तेमाल के पहले हमें भी वही लगा जो आपको लगा होगा. क्या गूगल वो शिकायत दूर कर पाया है जिसकी बात पिछले दो साल से हो रही है? जवाब हमें मिला दो महीने के इस्तेमाल के बाद.
हम आज एक ऐसे स्मार्टफोन की बात करने वाले हैं जो ‘देर आए दुरुस्त आए’ के बीच में कहीं झूल रहा है. हालांकि फ़ोन इस साल अपने तयशुदा वक्त से तक़रीबन दो महीने पहले लॉन्च हो गया, तो कह सकते हैं कि देर नहीं हुई. मगर फ़ोन ने अपनी असली ताक़त को दिखाने में 2 महीने की देरी की तो कह सकते हैं कि देरी तो हुई. हां, अगर-मगर लेकिन-वेकिन को पार करके जब फ़ोन आख़िरकार चल पड़ा तो कह सकते हैं कि सब वाक़ई में दुरुस्त है.
आपको लग रहा होगा कि इतने कनफूज काहे हो भईया. जनाब वो इसलिए क्योंकि हम बात करने वाले हैं Pixel 9 सीरीज के सबसे बड़े भाई Google Pixel 9 Pro XL की. रही बात उलझन की तो हमें भी वही लगा जो आपको लगा होगा. क्या गूगल वो शिकायत दूर कर पाया है जिसकी बात पिछले दो साल से हो रही है? जवाब हमें मिला दो महीने के इस्तेमाल के बाद.
डिजाइन: टेक दिग्गज ने इस साल पिक्सल सीरीज के 3 फ़ोन मार्केट में उतारे. पिक्सल 9, पिक्सल 9 प्रो और पिक्सल 9 प्रो XL. जो आपको लगे कि हम पिक्सल फोल्ड को भूल गए तो जनाब वो लीग का हिस्सा नहीं. वो भविष्य है जिसकी चर्चा भविष्य में करेंगे. फ़िलहाल बात करते हैं पिक्सल 9 प्रो XL की. बात करें इसकी डिजाइन लैंग्वेज की तो कंपनी ने बैक पैनल को पिछले फ़ोन के मुक़ाबले एकदम बदल दिया है. कैमरा असेंबली को गौर से देखने पर ऐसा लगता है मानो गूगल लिखा हो. बैक पैनल का ग्लास फिनिश एक किस्म के वैलवेट जैसा अनुभव देता है. मतलब फ़ोन का बिना दिखावे वाला नया डिज़ाइन और मिरर फिनिश वाला मेटल फ्रेम वाक़ई प्रीमियम फ़ील देता है.
डिस्प्ले: 6.8 इंच के Super Actua डिस्प्ले को को अगर शानदार कहें तो भी चल जाएगा, मगर बात उससे थोड़ा आगे की है. 3000 nits की पीक ब्राइटनेस की वजह से दिल्ली की तेज धूप वाली भरी दोपहरी में भी कलर और टेक्स्ट ऑन पॉइंट रहते हैं. डिस्प्ले पर कंपनी ने इस बार खूब काम किया है. बात कॉन्टेंट देखने की हो या फिर टाइपिंग करने और स्क्रीन पर स्क्रॉल करने की, सब मक्खन!
डिस्प्ले की बात हो रही है तो बताते चलें कि इसे Gorilla Glass Victus 2 की सेफ्टी लेयर मिली है और फिंगरप्रिंट सेंसर भी अल्ट्रासोनिक है. पुराने पिक्सल फ़ोन के मुक़ाबले फिंगरप्रिंट फ़ास्ट हुआ है, मगर अभी भी गूगल को इधर काम करना पड़ेगा. एक टिप दे देता हूं. जो आप पिक्सल फ़ोन को स्क्रीन गार्ड के साथ इस्तेमाल करते हैं तो गार्ड लगाने के बाद एक बार फिर अपने फिंगरप्रिंट रजिस्टर करें. अनुभव बेहतर होगा. लगे हाथ IP68 रेटिंग भी रख लीजिए. बारिश और पूल में कोई दिक्कत नहीं होगी.
चिपसेट और बैटरी: फ़ोन में लगी है Tensor G4 चिपसेट, जो कंपनी के मुताबिक आईफ़ोन और दूसरे एंड्रॉयड फ्लैगशिप के बरोबर काम करती है. हालांकि इसी चिपसेट को लेकर कंपनी की आलोचना भी होती रही है क्योंकि पिक्सल फ़ोन कुछ ज़्यादा ही गर्म हो रहे थे. अब नई चिपसेट आईफ़ोन और दूसरे फ्लैगशिप के मुकाबले कितनी अच्छी और कितनी बेकार, वो कहना ग़लत होगा. हां एक बात जरूर कह सकते हैं कि फ़ोन पिक्सल 8 सीरीज के मुकाबले बहुत अच्छा परफॉर्म करता है. मल्टीटास्क, मतलब भतेरे ऐप्स एक साथ ओपन करने और बंद करने पर फोन मार्केट में उपलब्ध किसी भी फोन से तेज काम करता है.
कंपनी वो करने में सफल हुई जो करना चाहती थी. मतलब फ़ोन गर्म नहीं होता, फिर चाहे चार्जिंग में खोंस रखा हो या फिर मोबाइल नेटवर्क पर घंटों रगड़ा हो. गुड जॉब गूगल! बैटरी कितने mAh की उससे कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता क्योंकि सारा खेल सॉफ्टवेयर ऑप्टिमाइजेशन का है. बैटरी पूरा दिन आपका साथ निभाएगी, मगर चार्जिंग थोड़ा दुखी करेगी. 37W चार्जिंग को फ़ास्ट चार्जर के साथ भी दो घंटे लग ही जाते हैं फुल चार्ज होने में.
फ़ोन में एक दिक्कत और थी. एंड्रॉयड 14 अपडेट के साथ पिक्सल और Jio नेटवर्क में कट्टी जैसा कुछ चल रहा था. हमने भी इस दिक्कत को महसूस किया, मगर पिछले हफ्ते आए एंड्राइड 15 के साथ ये समस्या भी दूर हो गई है.
ऑपरेटिंग सिस्टम: गूगल की असली ताक़त या कहें The Pixel Saga. पिक्सल ड्रॉप या पिक्सल फ़ीचर, जो मन करे वो कह लीजिए. हालांकि इस बार गूगल ने यहां देर कर दी. हमेशा पिक्सल फ़ोन के साथ नया एंड्रॉयड सिस्टम नत्थी होकर आता था, मगर इस बार ठीक दो महीने देर से आया. मगर जो आया तो क्या ही शानदार आया. एंड्रॉयड 15 अपने साथ फ़ीचर्स का पिटारा लेकर आया है जिसके बारे में हम बता चुके हैं.
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पिक्सल के साथ 7 साल का सॉफ्टवेयर अपडेट भी मिलने वाला है. कहने का मतलब सॉफ्टवेयर के मामले में आपको दूसरे एंड्रॉयड फ़ोन के मुक़ाबले महीनों आगे रहने का मौका हमेशा मिलने वाला है. स्टॉक एंड्रॉयड जिसमें फालतू का कोई भी ऐप गलती से भी नहीं मिलेगा, लेकिन कुछ और मिलेगा.
Pixel Drop: मतलब पिक्सल फ़ोन के लिए बने फीचर्स जो पूरे साल आते ही रहते हैं. मसलन पिछले हफ्ते इंस्टाग्राम के लिए Night Sight फ़ोटो का इंतज़ाम हुआ तो पानी के अंदर के फ़ोटो, मतलब Underwater फोटोग्राफी का इंतजाम भी हो गया. बोले तो ऐसे फ़ोटो के कलर अब अलग ही नजर आएंगे.
पिक्सल कैमरा: पिक्सल डिवाइस और कैमरा पर कुछ कहने की भी जरूरत नहीं. नाम लेने भर से शानदार फ़ोटो नजरों के सामने आ जाते हैं. पिछले कई सालों से पिक्सल डिवाइस कमाल के फोटो खींचते हैं. इस बार भी ऐसा ही है. पिक्सल 9 प्रो XL के कैमरे से ली गई कुछ फोटो को देखकर हमारी प्रोडक्शन टीम तो कहने लगी कि ये तो डीएसएलआर कैमरे से भी अच्छे हैं. तस्वीरें हमने भी खींचीं जो वाक़ई में बोलती हुई सी लगती हैं. मतलब जेब से फोन निकालो और बस फोटो खींच लो. कैमरे के बारे में ज़्यादा कुछ कहने की जरूरत नहीं क्योंकि हमारे कुछ साथी पिक्सल सीरीज इस्तेमाल कर रहे हैं, वो भी हमारे कहने पर. अगर कोई गड़बड़ होती तो फिर नए फ़ोन का रिव्यू भी नहीं लिखा जाता.
हालांकि सब अच्छा हो, वैसा भी नहीं. पोर्ट्रेट शॉट्स थोड़े फीके नजर आते हैं. लेकिन उम्मीद है कि गूगल बाबा सॉफ्टवेयर अपडेट से उसको ठीक करेंगे. नाइट फोटो और आसमान वाली फोटो में तो मास्टरी है ही. मुझे पर्सनली गूगल सेल्फ़ी सारे ही फोन में सबसे नेचुरल लगती है. बिला-वजह स्किन को चमकाती नहीं. अगर दाग हैं तो दिखना भी चाहिए. जो छुपाना होगा तो भतेरे सॉफ्टवेयर हैं.
वैसे इस बार वीडियो क्वालिटी भी खूब प्रभावित करती है. मतलब अगर अपनेआपको वीडियो का किंग कहने वाला डिवाइस 10 नंबर पर है तो पिक्सल 9वें पर आराम से आएगा. 8K वीडियो रिकॉर्डिंग होगी, मगर इंटरनेट बाबा लगेंगे उसके लिए.
AI की बारी नहीं आई: क्योंकि AI अभी ढंग से नहीं आई. मतलब ये कड़वी हक़ीक़त है, क्योंकि जो ChatGPT नहीं आता तो गूगल ने भी ठंडा पानी पीना था. भले गूगल असिस्टेंट अब Gemini हो गया हो. गूगल के तक़रीबन हर ऐप में उसका इंट्रीग्रेशन हो चुका हो. सच बात ये है कि सब अधूरा-अधूरा है. इंग्लिश में ठीक है मगर हिन्दी सहित दूसरी भाषाओं पर अभी बहुत काम होना है. एक साल बाद पैसे लगेंगे सो अलग.
बात करें सर्किल टू सर्च की या फिर ऑब्जेक्ट हटाने वाले मैजिक इरेजर और मैजिक एडिटर की तो यहां भी सच बात ये है कि ये फ़ीचर रोज़ इस्तेमाल नहीं होते. वैसे कई कमाल फ़ीचर हैं, मसलन स्क्रीन शॉट का अलग फ़ोल्डर और उसको सर्च करने का जुगाड़. जूम इनहेंस करने वाला फीचर भी काम का है, मगर इस साल का Add-Me फीचर कोई खास नहीं. हमारे अनुभव में बिना तैयारी का प्रोडक्ट है. उम्मीद है आगे जाकर मौज आएगी. इसलिए अभी आसमान को नीला रहने देते हैं और पानी को गीला.
AI से निबंध लिखवाया तो कुछ दिनों में खुद सब भूल जाएंगे. ख़ुद AI के गॉडफादर और इस साल के फिजिक्स के नोबेल विजेता Dr. Hinton भी ऐसा ही सोचते हैं. वो कहते हैं,
“इंसान इन पर इतना निर्भर हो रहा है कि जल्द ही उसके दिमाग को जंग लग सकता है. उनका मानना है कि इन सिस्टम के अंदर जो चल रहा है उससे बेहतर वो इंसानी दिमाग में चले तो ठीक रहे.”
रही बात Pixel 9 Pro XL की तो इस डिवाइस को ‘पिक्सल परफेक्ट’ कहने में हमें कोई गुरेज नहीं. अगर आपका बजट 1 लाख 25 हज़ार है तो कोई दिक्कत नहीं. अगर बजट कम है तो सबसे छोटे भाई पिक्सल 9 का कच्चा-चिट्ठा भी जल्द खोलेंगे.
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