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Google-Microsoft की जंग का मजा लेकर Apple ने साल भर में कमाए 13,32,00,00,00,000 रुपये

Google, Apple प्रोडक्ट जैसे iPhone, iPad और MacBook के अंदर डिफॉल्ट ब्राउजर बने रहने के लिए अरबों रुपये देता है. लेकिन कितना, उसको लेकर सालों से सिर्फ अंदाजे लगते रहे. मगर अब जाकर असल रकम का पता चला है.

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Google reportedly pays billions annually to Apple, Samsung, and others to remain as the default search engine on their smartphones.
माइक्रोसॉफ्ट और गूगल की लड़ाई में ऐप्पल की मौज. (तस्वीरें- ट्विटर और Unsplash.com)
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सूर्यकांत मिश्रा
27 अक्तूबर 2023 (Updated: 27 अक्तूबर 2023, 20:41 IST)
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चित भी मेरा पट भी मेरा और सिक्का भी मेरे बाप का. कहावत सुनी हुई होगी और एकदम मुफीद बैठती है Apple पर. ऐप्पल का सगा बनने के लिए Microsoft और Google आपस में लड़ लिए. ऐप्पल दूर बैठ मजे लेती रही और नतीजे के बाद उसकी जेब में गिरी 1 लाख 33 हजार करोड़ रुपये से भी ज्यादा की रकम. ऊपर से तुर्रा ये कि ऐप्पल को इसके लिए कुछ करना भी नहीं है. मतलब अगर दोनों कंपनियां उसको पैसे नहीं देंगी तो वो अपने ऑपरेटिंग्स सिस्टम में उनका एक्सेस सीमित कर देगी. चलिए गोल-गोल घुमाना बंद करते हैं और पूरा मामला बताते हैं.

गूगल ऐप्पल प्रोडक्ट जैसे iPhone, iPad और MacBook के अंदर डिफॉल्ट ब्राउजर बने रहने के लिए अरबों रुपये देता है. लेकिन कितना, उसको लेकर सालों से सिर्फ अंदाजे लगते रहे. मगर अब जाकर असल रकम का पता चला है, जब माइक्रोसॉफ्ट ने ऐप्पल को ऑफर की हुई रकम का खुलासा किया.

ऐप्पल ने ठुकराए 1 लाख करोड़!

कुछ महीनों पहले माइक्रोसॉफ्ट के सीईओ सत्य नडेला ने अमेरिका में गूगल पर चल रहे antitrust ट्रायल के दौरान अपना दुखड़ा रोया. नडेला ने कहा कि माइक्रोसॉफ्ट के सर्च इंजन Bing के पीछे रहने की एक वजह गूगल और ऐप्पल का याराना है. ऐसा इसलिए क्योंकि गूगल ऐप्पल के सभी प्रोडक्टस में डिफॉल्ट ब्राउजर का रोल अदा करता है.

डिफॉल्ट ब्राउजर मतलब जब भी आप ऐप्पल प्रोडक्ट में कोई लिंक ओपन करेंगे तो सीधे गूगल पर ओपन होगा. हालांकि ये कोई लॉक फीचर नहीं है. माने कि यूजर अपने हिसाब से सेटिंग्स में जाकर दूसरे ब्राउजर, जैसे सफारी, भी चुन सकता है. हालांकि आमतौर पर यूजर्स ऐसा कम ही करते हैं. वैसे ऐप्पल ऐसा फोकट में नहीं करता, क्योंकि गूगल बाबा इसके लिए बहुत भारी, मतलब सच में बहुत भारी रकम अदा करता है. कितनी वो थोड़े विलंब के बाद बताते हैं. पहले जरा वो रकम जानते हैं जो इसी काम के लिए माइक्रोसॉफ्ट ने ऐप्पल को ऑफर की थी.

नडेला के मुताबिक माइक्रोसॉफ्ट ने 15 बिलियन डॉलर यानी लगभग सवा लाख करोड़ रुपये (अभी के रेट के हिसाब से) साल के ऑफर किए थे. ऐप्पल ने विनम्रता से इनकार कर दिया. वैसे विनम्रता दिखाने की एक बड़ी वजह गूगल से मिला ऑफर भी था. ट्रायल के दौरान पता चला है कि साल 2021 में गूगल ने ऐप्पल को मोटा-माटी 18 बिलियन डॉलर मतलब लगभग डेढ़ लाख करोड़ रुपये का भुगतान किया. उस समय एक अमेरिकी डॉलर की कीमत 72 से 74 रुपये के बीच थी. इस हिसाब से 18 बिलियन डॉलर हुए एक लाख 33 हजार 200 करोड़ रुपये के आसपास. अभी के रेट के हिसाब से देखें तो ये रकम करीब डेढ़ लाख करोड़ रुपये बनती है.

वैसे गूगल ने ऐसी ही डील सैमसंग और Mozilla ब्राउजर के साथ भी की हुई है. मतलब सिर्फ अपुन का राज चलेगा टाइप. कहने का मतलब कोई लड़े-कोई मरे, ऐप्पल का मोटा फायदा. वैसे ऐप्पल और गूगल के इस याराने ने फ़ेसबुक का भी खूब बैंड बजाया है. आप यहां क्लिक करके पढ़ सकते हैं.  

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