सोशल मीडिया अकाउंट को लेकर आप भी तो नहीं कर रहे ये गलतियां!
सावधानी और सुरक्षा के तरीके अपनाकर आप सोशल मीडिया अकाउंट को हैक होने से बचा सकते हैं.
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प्रधानमंत्री मोदी का ट्विटर अकाउंट एक बार फिर से हैक हो गया और ऐसा 14 महीने में दूसरी बार हुआ है. अकाउंट प्रधानमंत्री का था तो समय रहते रीस्टोर हो गया, लेकिन यदि ऐसा आपके साथ हुआ तो शायद रीस्टोर होने में समय लगेगा. हो सकता है कि आपको अपना अकाउंट हमेशा के लिए खोना पड़े और आपकी मेहनत से बनाई प्रोफाइल पर किसी जोकर की फोटो लगी दिखे. यहां बात सिर्फ ट्विटर की नहीं है, बल्कि आपके सारे सोशल मीडिया अकाउंट की हो रही है, क्योंकि हैकिंग तो किसी भी सोशल मीडिया अकाउंट की हो सकती है. आपको ऐसे में क्या करना चाहिए कि आपका अकाउंट हैक होने से बचा रहे और यदि हैक हो भी जाए तो रीस्टोर करने में ज़्यादा परेशानी न हो.
पहले आमतौर पर ऐसा देखा जाता था कि वेरिफाइड अकाउंट जिनपर ब्लू टिक लगा होता है वो कम हैक होते हैं. मगर पिछले कुछ दिनों में कई वेरिफाइड अकाउंट भी हैक हो रहे हैं, जैसे अभी कुछ महीने पहले ही AIMIM (All India Majils-e-Ittehadul-Muslimeen) के आधिकारिक ट्विटर को हैक करके उसका नाम बदलकर Elon Musk कर दिया गया था. भाजपा नेता और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के मीडिया सलाहकार शलभ मणि त्रिपाठी का अकाउंट भी करीब महीने भर पहले ही हैक हुआ था. उनका दावा था कि इस दौरान उनके फॉलोअर्स कम हो गए थे.
वेरिफाइड अकाउंट का समय रहते रीस्टोर हो जाना समझ आता है, लेकिन आपके साथ ऐसा हुआ तो परेशानी होना तय है. आजकल सोशल मीडिया अकाउंट सिर्फ फोटो और न्यूज देखने तक सीमित नहीं है. बहुत लोगों का तो पूरा व्यापार ही सोशल मीडिया से चल रहा है. ऐसे में अकाउंट हैक हो गया तो मानसिक के साथ आर्थिक नुकसान भी होगा. हैकिंग एक सच्चाई है जिससे आप पीछा नहीं छुड़ा सकते और रोज नए नए तरीके भी ईजाद हो रहे हैं. ऐसे में सावधानी रखकर और नीचे बताए कुछ स्टेप्स फॉलो करके इससे काफी हद तक बचा जा सकता है. Two Step Verification डिजिटल वर्ल्ड में यह ककहरे जैसा है. चाहे कोई भी सोशल मीडिया अकाउंट हो. ईमेल से लेकर वॉट्सऐप में भी यह सुविधा होती है. टू स्टेप वेरिफिकेशन या टू फैक्टर ऑथेंटिकेशन आपके मोबाइल नंबर को आपके अकाउंट से जोड़ कर रखता है. मतलब किसी नए मोबाइल या डिवाइस पर लॉग इन करते वक्त आपको एसएमएस पर एक कोड मिलेगा जिसको इंटर करने पर ही आप लॉगइन कर पाएंगे. इस प्रोसेस का फायदा ये है कि यूजर नेम और पासवर्ड के साथ ऑथेंटिकेशन कोड भी डालना पड़ेगा तभी जाकर लॉग इन होगा. आप जिस भी ऐप का इस्तेमाल करते हैं उसकी सेटिंग के अंदर प्राइवेसी में सिक्योरिटी का एक पूरा ऑप्शन मिल जाएगा. यहां आप टू स्टेप वेरिफिकेशन को इनेबल कर सकते हैं. टू स्टेप वेरिफिकेशन के साथ आप ऐप ऑथेंटिकेशन को भी इस्तेमाल कर सकते है जिसमें आपको ऐप पर पॉप अप मिलेगा लॉगइन के वक्त. ये प्रोसेस थोड़ी मुश्किल है, इसलिए आप करना चाहें या नहीं वो आप पर निर्भर है. मगर टू स्टेप वेरिफिकेशन होना ही चाहिए.
Two Step Verification
SMS लिंक या ईमेल से सावधान आजकल ये सबसे कॉमन तरीका है आपके सोशल मीडिया अकाउंट को हैक करने का. आपको एक मेल या एसएमएस मिलेगा जिसमें लिखा होगा कि हमने अपनी पॉलिसी में कुछ बदलाव किए हैं और आपको उनको एक्सेप्ट करने के लिए नीचे दी गई लिंक पर क्लिक करने के लिए कहा जाएगा. पहली नजर में मेल की भाषा और स्टाइल ऐसी लगेगी जैसे वो मेल कंपनी ने ही भेजा है.
Sms Or Email Link
मतलब ऐसा मेल जो आपको शायद पहली बार अकाउंट खोलते वक्त आया होगा. हमारे एक साथी हैं. उनके साथ भी ऐसा ही हुआ पिछले हफ्ते जब उनको एकदम असली दिखने वाला मेल आया. उन्होंने तो उस लिंक पर क्लिक नहीं किया और आपको भी नहीं करना है. मेल के नकली होने के बारे में आप सेंडर पर क्लिक करके देख सकते हैं, जहां कंपनी की जगह आपको कोई और नाम मिल जाएगा. कंपनी जब भी आपसे संपर्क करना चाहेगी तब वो आधिकारिक अकाउंट को इस्तेमाल करेगी. किसी निजी अकाउंट को नहीं. इसका हमेशा ध्यान रखिए और रही बात पॉलिसी या किसी बदलाव की तो उसके लिए कंपनी अपने ऐप अपडेट में जानकारी देती है, या फिर जब आप उस ऐप को यूज कर रहे होते हैं तब आपको पॉप अप आता है नए बदलाव का. ये सब तो आपको ऐप में मिलता है लेकिन कंपनियां किसी भी बड़े बदलाव को सार्वजनिक तौर पर अपनी वेबसाइट पर विस्तार से बताती हैं. कुछ केस में तो मामला अखबार तक पहुंच जाता है. आपको याद होगा कि इस साल के शुरुआत में वॉट्सऐप ने आपके डेटा को लेकर अपनी पॉलिसी में कुछ बदलाव किए थे जिसकी चर्चा सभी जगह हुई थी. वॉट्सऐप पर अपने यूज़र्स की निजता के हनन का आरोप भी लगा था. जिस पर Meta के इस मैसेजिंग प्लेटफॉर्म अखबार पूरे पन्ने का विज्ञापन देकर सफाई भी दे दी थी. यानी सबकुछ सबके सामने.
इतना सब होने पर भी आपको भरोसा नहीं है तो मेल की ऑथेंटिसिटी के लिए आप ऐप के हेल्प सेंटर पर जा सकते हैं. हर ऐप के हेल्प सेंटर में आपको ये सुविधा मिल जाएगी जहां आप अपनी प्रॉब्लम के हिसाब से टॉपिक देखकर मदद ले सकते हैं. आमतौर पर हैकर्स आपको अपने जाल में फंसाने के लिए डायरेक्ट मैसेज का सहारा लेते हैं. कुछ भी संदिग्ध दिखे तो सबसे पहले दूरी बनाइए. अगर संभव हो तो ब्लॉक कीजिए या साथ में रिपोर्ट कीजिए. मल्टीपल ईमेल एड्रैस ये थोड़ा उबाऊ लेकिन काम का तरीका है. अपने सभी सोशल मीडिया अकाउंट के लिए अलग-अलग ईमेल एड्रैस रखिए. इस तरीके के दो फायदे हैं. यदि आपका एक सोशल मीडिया अकाउंट हैक हो गया तो सिर्फ उस अकाउंट से जुड़ा ईमेल रिस्क में होगा. मतलब आपकी पूरी जानकारी हैकर्स तक नहीं पहुचेगी. यदि हैकिंग उस ईमेल एड्रैस की हुई है तो रिस्क सिर्फ एक सोशल मीडिया प्रोफाइल का है. एक बात और....अपने बैंक अकाउंट और अन्य निजी जानकारी वाले ईमेल एड्रैस से सोशल मीडिया अकाउंट नहीं बनाएं. मान लीजिए हैकिंग हो भी गई, कम से कम खतरे में सबकुछ तो नहीं रहेगा. पासवर्ड मैनेजमेंट किसी भी अकाउंट का पासवर्ड सबसे जरूरी है और वो जितना मजबूत और अलग होगा, उतना सेफ़्टी के लिए ठीक रहेगा. आजकल वैसे भी ऐप्स नॉर्मल पासवर्ड जैसे LUVU या 123456 नहीं लेते हैं, लेकिन पासवर्ड जितना मजबूत हो सके उतना बेहतर. मजबूत पासवर्ड के लिए उसमें नंबर्स, अल्फान्यूमेरिक कैरेक्टर्स और लेटर्स, सबका इस्तेमाल कीजिए. लंबा पासवर्ड बनाइये. मजबूत पासवर्ड के साथ सेव पासवर्ड या रीमेम्बर पासवर्ड के ऑप्शन को मत रखिए. वैसे ये सुविधा काम की होती है. मगर कुछ काम अपनी याददाश्त के लिए भी छोड़ दीजिए. बैंकिंग ऐप्स या फिर वेबसाइट के साथ ऐसा होता है, जहां आपको हर बार पासवर्ड डालना पड़ता है तो सोशल मीडिया ऐप्स के साथ भी ऐसा किया जा सकता है. बैकअप कोड इस शानदार फीचर के बारे में पता नहीं क्यों कम बात होती है, लेकिन ये आपके लिए रामबाण साबित हो सकता है. हर सोशल मीडिया ऐप पर आपको सिक्योरिटी सेटिंग्स में ये ऑप्शन मिल जाएगा. बैकअप कोड एक बार यूज होने वाला कोड है जिससे आपको अपने अकाउंट को रिकवर करने में मदद मिलेगी. यदि अकाउंट हैक हो गया तो आपको बहुत से डिटेल्स उस कंपनी को भेजने पड़ते हैं ताकि आपकी पहचान पुख्ता हो सके. यदि आपने बैकअप कोड दे दिया तो काम बहुत आसान हो जाएगा. बैकअप कोड सिक्योरिटी से जनरेट कीजिए और उसका स्क्रीनशॉट संभाल कर रखिए. बैकअप कोड आपके डिवाइस के खो जाने पर भी लॉगइन में काम आएगा लेकिन ये कोड सिर्फ एक बार काम आ सकता है. अगली बार के लिए आपको नया कोड जनरेट करना पड़ेगा.
बैकअप कोड
आर्काइव डेटा या अकाउंट इनफॉर्मेशन सभी Social Media अकाउंट पर आर्काइव डेटा या अकाउंट इंफॉर्मेशन या डेटा डाउनलोड करने की सुविधा होती है. ये इनफॉर्मेशन उस सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर आपकी जन्म कुंडली जैसी है.आपने कब अकाउंट खोला, क्या यूजर नेम है. इस तरह की तमाम जानकारियां. इसको भी आप चाहें तो सेव कर लीजिए. डेटा डाउनलोड करने के लिए आपको ऐप पर रिक्वेस्ट भेजना होगा जिसके बाद आपको अगले 48 घंटे में ये आपके मेल पर उपलब्ध हो जाएगा.
आर्काइव डेटा या अकाउंट इनफॉर्मेशन
ऐप्स और वेबसाइट कनेक्टिविटी सोशल मीडिया एक दूसरे से जुड़े रहने के काम आता है. इसके चक्कर में हम कई बार अवांछित ऐप्स या वेबसाइट से अपना यूजर नेम शेयर कर देते हैं और पता ही नहीं चलता. इस पर नजर रखिए और जहां जरूरत न हो वहां से अपना डेटा हटा दीजिए. हर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म में यह सुविधा है. जैसे कि Instagram पर ऐप्स एण्ड वेबसाइट. Twitter पर ऐप्स एण्ड सीजन. यहां पर जाकर आप जान सकते हैं कि आपने किस ऐप्स या वेबसाइट से डेटा साझा किया है. अब यहां अपने मन मुताबिक कार्रवाई कीजिए.
ऐप्स और वेबसाइट कनेक्टिविटी
इतना सब करने से आप हैकिंग से पूरी तरह से बच जाएंगे. इसकी कोई गारंटी नहीं है. लेकिन आप बहुत हद तक सुरक्षित रहेंगे ये तय है. सावधानी हमेशा बनाए रखिए जैसे कि अपने फॉलोअर्स पर ध्यान दीजिए. मतलब जरूरी न हो तो ऑन रिक्वेस्ट ऑप्शन रखिए. सार्वजनिक वाई-फाई का इस्तेमाल मत कीजिए. कुछ भी अजीब लगे, जैसे कि कोई पॉप अप बार-बार आने लगे. ऐप बार-बार क्रेश होने लगे. फॉलोअर्स अपने आप घटने लगें. फ्रेंड्स ब्लॉक हो जाएं, या फिर कोई ऐसे गेम का नोटिफिकेशन बार-बार आने लगे जिसका आपकी सोशल मीडिया एक्टिविटी से कोई लेना देना नही है तो बाकी सारे काम छोड़कर पासवर्ड बदलिए. और एक बार फिर अपने अकाउंट को सिक्योर कीजिए.