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गाड़ी में पेट्रोल भरते ही नोजल की खटाक आवाज तो सुनी होगी, अब इसकी वजह भी जान लें

आपने गौर किया होगा, मतलब किया ही होगा की पेट्रोल पंप पर टंकी फुल होते ही फटाक से खटाक की आवाज आती है और पेट्रोल भरना अपने आप बंद हो जाता है. सवाल ये कि टंकी फुल होते ही तेल के नोजल को कैसे पता चल जाता है कि अब काम खत्म रे बाबा. टंकी का पेट भर गया.

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Ever wondered how fuel pumps detect a full tank? You drive to the filling station, park your vehicle near the fuel pump, and put the nozzle in the fuel tank’s opening. When the fuel tank is full, the nozzle automatically shuts off and cuts the fuel supply. But what’s the working principle behind it?
पेट्रोल पंप पर टंकी फुल होने वाला जादू या साइंस? (तस्वीर- Unsplash.com)
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सूर्यकांत मिश्रा
17 जुलाई 2024 (Updated: 17 जुलाई 2024, 24:25 IST)
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पेट्रोल पंप पर पेट्रोल या डीजल भरवाते समय आपने एक चीज पर गौर किया होगा. टंकी फुल होते ही या जरूरत के हिसाब से पेट्रोल डलते ही खटाक की आवाज आती है. अगर आप इसे जादू समझते हैं तो ये आपकी बड़ी मिस्टेक है. आज इसी मिस्टेक को ठीक करेंगे. बताएंगे कि टंकी फुल होते ही तेल के नोजल को कैसे पता चल जाता है कि अब काम खत्म रे बाबा, टंकी का पेट भर गया.

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नोजल के कोने में लगे होल का खेल है क्या?

आपने ज्यादा गौर फरमाया हो तो आपको नोजल के मुहाने पर एक छोटा सा होल दिखा होगा. अब तो पक्का आपने मान ही लिया होगा कि यही छोटा सा होल चौकीदार है. इसके मुंह लगा तो हाथ आया. लेकिन नहीं जनाब, ये होल बाबू तो सिर्फ सिग्नल देते हैं. असल काम तो एयर प्रेशर और हैन्डल पर लगे ऑटोकट मैकेनिज्म का है.

नोजल के मुंह पर जो होल होता है वो एक पाइप से जुड़ा होता है. इस पाइप को कहते हैं Venturi Port. इस नाम को याद रखिएगा क्योंकि इस पूरी प्रोसेस का हीरो यही है. नोजल से जब फ्यूल बाहर आता है तो ये पाइप हवा बाहर खींचता है. जब टंकी फुल हो जाती है तो जाहिर सी बात है कि ये पाइप महाशय फ्यूल को खींचने की कोशिश करते हैं.

How Do petrol Pumps know When Your Fuel Tank Is Full: process of auto-cut mechanism
नोजल के होल का पाइप 

महाशय अपने मकसद में कामयाब भी हो जाते हैं, मगर यहीं बाजी मार ले जाती है पेट्रोल की प्रॉपर्टी. क्योंकि पेट्रोल की डेन्सिटी हवा से काफी ज्यादा होती है तो यहां बनता है तगड़ा एयर प्रेशर. प्रेशर क्या करता है वो तो बताएंगे ही, मगर ये भी जान लीजिए कि इनकी डेन्सिटी में आखिर फर्क होता कितना है.

सामान्य तौर पर हवा की डेन्सिटी 1.225 किलोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर होती है तो फ्यूल की 715-780 किलोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर. डेंसिटी का मतलब किसी पदार्थ या उत्पाद के घनत्व से है. और आसान भाषा में बताने की कोशिश करें तो डेंसिटी का मतलब पदार्थ या उत्पाद के गाढ़ेपन से है. इसके बारे में हमने डिटेल में बताया है. लिंक नीचु मिलेगा.

अब बात एयर प्रेशर की जो फ्यूल और हवा के बीच ‘पहले हम-पहले हम’ के चक्कर में बना था. पाइप भईया फ्यूल खींच लिए और फंस गए. अब इससे जो प्रेशर बना था वो कहीं तो रिलीज होगा. टंकी की तरफ तो गला भरा हुआ है तो ये अचानक से बना प्रेशर रिलीज कहां होता है, नोजल के हैन्डल वाले इंटरनल पार्ट पर. इस प्रोसेस में यहां से प्रेशर बाहर होता है और साथ में हैन्डल के पास लगे लॉक को भी ऊपर उठा देता है. नोजल के अंदर के हिस्से को देखने पर साफ पता चलता है कि प्रेशर के निकलने के लिए पर्याप्त जगह नोजल लॉक के नीचु है. 

How Do petrol Pumps know When Your Fuel Tank Is Full: process of auto-cut mechanism
हैन्डल का अंदरूनी हिस्सा 

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बस इतना ही है, मगर जैसे हमने कहा था कि Venturi Port को याद रखना. ये जो पूरा प्रोसेस है उसे विज्ञान की भाषा में Venturi Effect कहते हैं. प्रेशर के इस प्रोसेस की खोज 18वीं शताब्दी में भौतिक विज्ञानी Giovanni Battista Venturi ने की थी. प्रेशर रिलीज का ये प्रोसेस सिर्फ पेट्रोल पंप के नोजल तक महदूद नहीं है. इसका इस्तेमाल एयरक्राफ्ट में भी होता है.

जानकारी समाप्त.

अब जो आपको लगे कि ये बताने की क्या जरूरत थी, तो भइयो हर चीज के पीछू साइंस है और साइंस जितना भी जान लो, कम ही रहेगा.

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