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फ्लाइट में जब इंटरनेट और वाईफाई नहीं, तो कार्ड से लेनदेन का जादू कैसे होता है?

फ्लाइट में कार्ड से कुछ खरीदा तो बैंक अकाउंट से पैसा बाद में कटता है, ऐसे में अगर ज्यादा माथा चलाया और गड़बड़ी करके पैसा कटने से बचाया तो जो होगा, वो कसम से जिंदगी भर भूल नहीं पाएंगे

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how credit card transactions happened in flights without internet: in flight commerce
फ्लाइट में लेनदेन (सांकेतिक तस्वीर)
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सूर्यकांत मिश्रा
30 अगस्त 2023 (Updated: 30 अगस्त 2023, 11:49 IST)
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आप फ्लाइट में बैठे हैं और लगी है जोर की भूख. मगर पैसे तो हैं नहीं. बोले तो कैश नहीं है. अब क्या करें... जमीन पर होते तो दन्न से स्मार्टफोन निकालते, क्यूआर कोड स्कैन करते और मन का खाकर लंबी डकार लेते. यहां तो क्रेडिट कार्ड भी नहीं चलेगा. लेकिन तभी आप देखते हैं कि एयर होस्टेस हाथ में स्वाइप मशीन लेकर घूम रही हैं. पैसेंजर बाकायदा खरीददारी कर रहे हैं. अब शायद आपको लगेगा कोई स्पेशल व्यवस्था है. इसके लिए विशेष किस्म के क्रेडिट कार्ड की जरूरत होगी. एक्स्ट्रा पैसा देना पड़ता होगा. नहींहींहींहींहींहींहीं... ऐसा कुछ भी नहीं बल्कि तकनीक का कमाल है. सब बताते हैं.

In-flight commerce (IFC) का कमाल

फ्लाइट में बिना इंटरनेट और वाईफाई के लेनदेन के लिए जिस तकनीक का इस्तेमाल होता है उसे इन-फ्लाइट कॉमर्स (IFC) कहते हैं. इसके लिए जो स्वाइप मशीन इस्तेमाल होती हैं वो मेमोरी बेस्ड होती हैं. मशीन जिस बैंक से प्रोसेस हुई है वो इनके इस्तेमाल के लिए एक विशेष किस्म के कोड भी जनरेट करते हैं. जिन्हें मर्चेन्ट कैटेगरी कोड (MCC) कहते हैं. उदाहरण के लिए ड्यूटी फ्री प्रोडक्ट के लिए अलग कोड होगा और फ्लाइट में उपलब्ध प्रोडक्ट कैटलॉग के लिए अलग कोड होगा. गेमिंग से लेकर मिसलेनियस प्रोडक्टस के लिए भी बाकायदा इन्टर्नल कोड जनरेट होते हैं. ऐसा इसलिए किया जाता है ताकि ऐसी मशीनों का इस्तेमाल सिर्फ फ्लाइट में ही हो. कोड होने से मशीन को उपलब्ध प्रोडक्टस को मेमोरी में सेव करने में भी हेल्प मिलती है. 

बाकी सब एक नॉर्मल कार्ड जैसे होता है. मतलब किसी विशेष किस्म के कार्ड की कोई जरूरत नहीं होती. जैसे ही कार्ड स्वाइप होता है तो लेनदेन का पूरा विवरण मशीन में स्टोर हो जाता है. इसके बाद जैसे ही फ्लाइट लैंड होती है और नेटवर्क मिलता है तो आपके कार्ड से पैसे कट जाते हैं. लेनदेन के लिए कोई एक्स्ट्रा चार्ज नहीं देना होता. मतलब आपके कार्ड पर अगर कोई फीस लगती है तो अलग बात है लेकिन मशीन का कोई पैसा नहीं लगता. इतना पढ़कर आपको लगेगा जब हवा में पैसा कटना ही नहीं है तो क्या नकली या एक्स्पायर्ड कार्ड भी दे सकते हैं.

बिल्कुल दे सकते हैं क्योंकि जाहिर सी बात है मशीन के पास कार्ड के डिटेल वेरीफाई करने का कोई जुगाड़ नहीं है. जो होगा वो जमीन पर आने के बाद होगा. वैसे खुश होने की जरूरत नहीं है. क्योंकि जैसे ही आपका लेनदेन निगेटिव होगा. एयर लाइन की तरफ से आपको नो-फ्लाइ जोन में डाल दिया जाएगा. कहने का मतलब जो फर्जीवाड़ा करके आप जमीन पर टच हुए तो फिर कभी हवा में उड़ना संभव नहीं होगा. केस दर्ज होगा सो अलग.

इसलिए बेहतर होगा कि खुराफाती दिमाग लगाने की जगह असल कार्ड स्वाइप करके फ्लाइट में भोजन का आनंद लिया जाए. 

वीडियो: क्रेडिट कार्ड लिमिट, मिनिमम अमाउंट ड्यू, कैशबैक जैसे शब्दों का 'सही' मतलब ये है

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