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हर पांच साल में फोन बदलना पड़ेगा, सरकार की नई पॉलिसी, सच हमसे जान लीजिए

सोशल मीडिया पर कई सारे पोस्ट में कहा जा रहा है कि सरकार स्मार्टफोन के लिए नई स्क्रैप पॉलिसी लाई है. इसके मुताबिक हर पांच साल में फोन को कबाड़ में डालना होगा. एकदम बकवास. ऐसा कुछ भी नहीं हैं. इससे जुड़े जरूरी फैक्ट हमसे जान लीजिए.

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A video is being shared where the person in the video claims that the government came up with a new scrapping policy for mobile phones and other electronics. The video also claims that the policy specified a time period for using each electronic gadget after which these should be scrapped. Let’s verify the claim made in the post.
पुराने मोबाइल कबाड़ में जाएंगे... वाकई में( तस्वीर साभार: पिक्सेल)
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सूर्यकांत मिश्रा
5 जनवरी 2024 (Updated: 5 जनवरी 2024, 14:03 IST)
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हे प्रभु, हे हरिराम कृष्ण जगन्नाथ प्रेमानंद ये क्या हुआ!

ये वाला मीम आपने देखा होगा. अगर नहीं देखा तो अब देख लीजिए.

हमारे कहने पर आपने देख लिया इसलिए आपका शुक्रिया. अब हम बताते हैं कि ये मीम हमने स्टोरी की शुरुआत में क्यों बताया. दरअसल हमारा भी हाल कुछ ऐसा ही था जब हमने सोशल मीडिया पर कुछ पोस्ट देखे. पोस्ट में कहा जा रहा कि आपको और हमें हर पांच साल में अपना स्मार्टफोन बदलना पड़ेगा. पुराना फोन कबाड़ में फेकना पड़ेगा क्योंकि सरकार नई स्क्रैप पॉलिसी (Government of India new scrap policy) लेकर आई है.

स्टोरी की शुरुआत में हमने मीम लगा दिया तो आपको समझ आ ही गया होगा कि ऐसे कोई पॉलिसी सरकार नहीं लाई है. अब यहां स्टोरी खत्म हो जानी चाहिए. मगर ऐसा नहीं है. क्योंकि पोस्ट में जो तर्क दिया जा रहा है वो बड़ा बेतुका है. और वो आपको जानना बहुत जरूरी है. कहने का मतलब अरे भाई कुछ भी बोले जा रहे हो तो कम से कम तर्क तो ढंग का दो.

ऐसी पोस्ट में कहा जा रहा है कि ऐसे स्मार्टफोन की SAR वैल्यू पांच साल में बढ़ जाएगी. अब ये सुनकर हमें फिर एक मीम याद आया लेकिन उसको स्किप करते हैं और बात करते हैं SAR वैल्यू की. स्पेशिफिक एब्जॉर्ब्प्शन रेट (SAR) मतलब कोई भी डिवाइस कितना रेडिएशन फैला रही है. वो पता करने का मानक. रेडिएशन मीटर समझ लीजिए.

कुछ सालों पहले इसके बारे में खूब बात हुई. कई किस्म के दावे भी किये गए. मसलन फोन का रेडिएशन ज्यादा है तो यह बीमारियों का कारण बन सकता है. कई बार यह दावा भी किया जा चुका है कि फोन का रेडिएशन कैंसर का कारण बन सकता है, हालांकि अभी तक ऐसा कुछ साबित नहीं हुआ. इतना ही नहीं यूएस के फेडरल कम्यूनिकेशन्स कमीशन (FCC) ने SAR लेवल तय किया है.

किसी भी डिवाइस का SAR लेवल 1.6 W/Kg से ज्यादा नहीं होना चाहिए. इसी स्टेंडर्ड को दुनिया मानती है. भारत सरकार ने भी इसी को मानक माना हुआ है और अपनी वेबसाइट पर इसके बारे में डिटेल में जानकारी दी हुई. ये मानक 1 सितंबर 2013 से लागू हैं और स्मार्टफोन से लेकर दूसरे तमाम प्रोडक्ट पर कड़ाई से लागू होता है. स्मार्टफोन के बॉक्स पर इसका लिखा होना भी जरूरी है, जो होता भी है. सार वैल्यू 1.6 W/Kg से ज्यादा नहीं होगी. हालांकि हर डिवाइस के हिसाब से अलग-अलग होती है.

फोन बॉक्स पर सार वैल्यू

सार वैल्यू के समय के साथ बढ़ने के भी कोई सबूत नहीं हैं. कमाल बात ये है कि इसको चेक करना भी चंद सेकंड का खेल है. आपने अपने स्मार्टफोन के डायल पैड में जाकर *#07# टाइप करना है. सार वैल्यू स्क्रीन पर फड़फड़ाती नजर आएगी. यकीन जानिए ये तय मानक से कम ही होगी. हमने जांचने के लिए एक चार साल पुराने फोन को परखा. नतीजा सामने है.

फोन की सार वैल्यू

मतलब साफ कि जो बोला जा रहा वो एकदम बेतुका. आपका फोन,  जब तक चल रहा चलाते रहिए. बदलना नहीं बदलना आपकी मर्जी. हालांकि स्मार्टफोन की एक्सपायरी भी होती है. लेकिन उसके अपने मानक हैं. डिटेल में हमने बताया है. बस यहां क्लिक करने की देर है.  

वीडियो: गेमिंग के दीवाने हैं लेकिन पैसा नहीं है, कम बजट में तगड़े गेमिंग स्मार्टफोन की लिस्ट यहां है

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