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AI बनाने के बाद Geoffrey Hinton ने गूगल को क्यों छोड़ दिया? अब नोबेल मिला है

Geoffrey Hinton को साल 2024 का Nobel Prize मिला है. Physics का नोबेल इनको artificial neural networks डेवलप करने और machine learning पर शानदार जबरदस्त जिन्दाबाद काम करने के लिए मिला है. आज इसी नेटवर्क के तार सुलझाने की कोशिश करेंगे.

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Godfather of AI Geoffrey Hinton gets the 2024 Nobel Prize in Physics for his foundational discoveries and inventions enabling machine learning with artificial neural networks.
AI के परदादा (तस्वीर: नोबेल)
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सूर्यकांत मिश्रा
9 अक्तूबर 2024 (Updated: 9 अक्तूबर 2024, 19:08 IST)
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आज अपन बात करने वाले हैं Geoffrey Hinton की. वैसे तो इनकी बात करने के लिए अपने से कुछ लिखने या कहने की जरूरत नहीं, बल्कि AI से सीधे लिखवा लेते हैं. इतना पढ़कर आप पक्का कहोगे भईया अब तुम भी सब AI से लिखवाओगे तो फिर क्या मतलब. नहीं जनाब, हम खुद से लिखेंगे. मगर इन ‘पापा जी’ का मामला जरा दूजा है. महानुभाव AI के Godfather कहे जाते हैं (The Godfather of AI). वैसे AI का पापा कहना भी कम होगा. दादा, परदादा कहेंगे तो ज्यादा ठीक लगेगा. अल्पविराम... बता तो दें कि आज इनकी बात क्यों करनी है.

क्योंकि Geoffrey Hinton को साल 2024 का फिजिक्स का Nobel Prize मिला है. Artificial Neural Networks डेवलप करने और मशीन लर्निंग पर शानदार जबरदस्त जिन्दाबाद काम करने के लिए इन्हें ये सम्मान मिला है. अब आप ही बताओ, बात करना चाहिए कि नहीं. परिचय से स्टार्ट करते.

ब्रिटिश प्रवासी से नोबेल तक

76 साल के Dr. Hinton ब्रिटिश प्रवासी, AI के स्टूडेंट, AI के प्रोफेसर, AI के जनक, AI के सबसे बड़े आलोचक और 'शुरुआत' में नोबेल विजेता भी हैं. 'शुरुआत' जानकर लिखा क्योंकि इतने बड़े स्केल के आदमी के लिए ‘आखिरी’ कुछ होता नहीं. मीटर बिठा दिया, अब चलते साल 1972 में जब Dr. Hinton, University of Edinburgh में ग्रेजुएशन के स्टूडेंट थे. उन्होंने यहां Neural Network का आइडिया दिया. इस नाम से घबराने की जरूरत नहीं, क्योंकि इसके अंदर छिपा है नेचुरल.

Neural मतलब इंसानी दिमाग, शरीर या नर्व सिस्टम. इसका ही एक नेटवर्क बनाने का आइडिया, लेकिन गुणा-गणित के आधार पर. बोले तो एक ऐसा मैथमेटिकल सिस्टम जो नए स्किल सीख सके और डेटा विश्लेषण कर सके. आसान से आसान करें तो मशीनों के दिमाग में पहले काम, यादें, तस्वीरें, वीडियो, आवाजें इत्यादि भर देना और फिर निश्चित कमांड देकर काम करवाना. एकदम आपके लैपटॉप के माफिक. डॉक्टर साहब वैसे तो सिर्फ इसका आइडिया ही दिए थे मगर आगे चलकर यही उनकी जिंदगी का मकसद बना.

प्रोफेसर Robot Soldiers नहीं बनाएगा

साल आया 1980 जब डॉ. हिंटन, Carnegie Mellon University में कंप्यूटर साइंस के प्रोफेसर थे. वे AI या कहें न्यूरल नेटवर्क पर भी काम कर रहे थे. मगर अचानक से उन्होंने अमेरिका छोड़ा और कनाडा शिफ्ट हो गए. इसकी वजह बना अमेरिकी रक्षा विभाग Pentagon जो उस समय अधिकतर AI बेस्ड प्रोग्राम को फंड करता था. Pentagon पैसा देकर कुछ खतरनाक डेवलप करने के लिए बदनाम है. रिपोर्ट्स के मुताबिक अमेरिकी रक्षा विभाग युद्ध के लिए “robot soldiers” बनाने का सोच रहा था. एकदम Arnold Schwarzenegger की Terminator या Avengers: Age of Ultron टाइप. प्रोफेसर इसके खिलाफ थे. चल दिए सब छोड़कर कनाडा.

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साल 2012 में फिल्म बनी

अरे वो वाली नहीं जिसके बारे में आप सोच रहे. असल में इस साल Dr. Hinton और उनके दो स्टूडेंट Ilya Sutskever और Alex Krishevsky ने वाकई में न्यूरल नेटवर्क बना ही लिया. ये सिस्टम फोटो देखकर पहचान सकता था कि उसमें कुत्ता है या बिल्ली, इंसान है या परिंदा. फूल-पत्ती से लेकर हजारों ऑब्जेक्ट पहचान भी लेता और उनके जैसे दिखने वाले बना भी देता.

Dr. Hinton की मशहूरी इतनी कि उनकी कंपनी को गूगल बाबा ने 44 मिलियन डॉलर, मतलब 300 करोड़ रुपये में खरीद लिया. डॉक्टर और उनके स्टूडेंट्स का यही प्रोग्राम आगे चलकर ChatGPT, Google Bard/Gemini जैसे तमाम चैटबॉट का आधार बना. पता है-पता है, आप कहोगे कि कंपनी गूगल की तो ChatGPT कैसे पहले आया. क्योंकि जनाब..

गुरु गुड़ रहा और चेला शक्कर हो गया

दरअसल साल 2018 में Mr. Sutskever ने चीफ साइंटेस्ट के तौर पर ChatGPT की पेरेंट कंपनी OpenAI को जॉइन कर लिया था. Sam Altman और Mr. Sutskever की जोड़ी ने मिलकर ही 30 नवंबर 2022 को इसका पहला मॉडल दुनिया के लिए लॉन्च किया था. गूगल बाबा थोड़े पीछे रहे, मगर जल्द ही उन्होंने पहले बार्ड और बाद में उसका एडवांस मॉडल Gemini उतारा. पहले कोई भी आया हो मगर इसका पूरा श्रेय Dr. Hinton  को मिला और इसलिए उनको 'The Godfather of AI' कहा जाता है. साल 2018 में उनको अपने दोनों स्टूडेंट्स के साथ Turing Award मिला था. इसे आप Nobel Prize of Computing समझ लीजिए.

अभी कहानी खत्म नहीं हुई, क्योंकि सबसे बड़े आलोचक वाली बात तो रह ही गई.

गूगल को छोड़ा ताकि अपना डर जाहिर कर सकें

AI को लेकर दुनिया जहान के एक्सपर्ट में दो मत हैं. दूसरे मत के लोग इसके गलत इस्तेमाल और गंभीर परिणाम को लेकर चिंतित हैं. ऐसे लोगों का एक ग्रुप है जिसके अगुआ Eric Horvitz हैं. ये माइक्रोसॉफ्ट के चीफ साइंटिस्ट रहे हैं और OpenAI के डेवलपमेंट में इनका बड़ा योगदान था. आपकी जानकारी के लिए बता दें कि माइक्रोसॉफ्ट काफी पहले से OpenAI में पैसा लगा रही थी. अब तो बाकायदा वो इसकी मालिक है.

खैर बात Eric Horvitz की जिन्होंने 19 बड़े लीडर्स के साथ मिलकर AI के गलत इस्तेमाल पर चिंता जताते हुए एक चिट्ठी लिखी थी. तब Dr. Hinton ने इस पर कुछ नहीं कहा था, मगर अगले ही महीने उन्होंने गूगल को छोड़ दिया और फिर AI के खतरों पर मुखर होकर बात की.

दरअसल Dr. Hinton चैटबॉट से लेकर दूसरे AI मॉडल के इस तरह खुला और बिना किसी नियंत्रण के इस्तेमाल के पक्ष में नहीं थे. उनके मुताबिक, 

यह मशीनों के लिए तो भाषा को समझने और उत्पन्न करने का एक शक्तिशाली तरीका है, लेकिन यह मनुष्यों द्वारा भाषा को संभालने के तरीके से कमतर है.

उनके मुताबिक AI सिस्टम कई मायनों में मानव मस्तिष्क से कमतर है, लेकिन वो मानव बुद्धि को ग्रहण लगा रहा है. समझने के हिसाब से, इंसान इन पर इतना निर्भर हो रहा है कि जल्द ही उसके दिमाग को जंग लग सकता है. उनका मानना है कि इन सिस्टम के अंदर जो चल रहा है उससे बेहतर वो इंसानी दिमाग में चले तो ठीक रहे. वो इस तकनीक के बहुत तेजी से डेवलप होने से भी चिंतित हैं. जहां पिछले कई दशकों में जितना कुछ नहीं हुआ, उतना सिर्फ 5 साल में बदल गया.

गूगल को लेकर उनका कहना है,

कंपनी ने AI तकनीक का विकास बहुत संभालकर किया, मगर जब माइक्रोसॉफ्ट ने इसको अपने सर्च इंजन Bing में इनेबल किया तो खतरा बढ़ गया. AI से बनने वाले फोटो और वीडियो के इस्तेमाल से असली-नकली का फर्क खत्म हो रहा. ये सब कंट्रोल करना जरूरी है वर्ना बहुत कुछ बिगड़ने वाला है.

उनकी एक चिंता AI की वजह से लोगों की जॉब जाने को लेकर भी है. यू समझें कि Dr. Hinton को AI में ‘भस्मासुर’ नजर आता है.

आखिर में एक बात, Dr. Hinton की यात्रा University of Toronto में अभी भी जारी है. तो अब वो AI पर क्या सोचते हैं?

“I console myself with the normal excuse: If I hadn’t done it, somebody else would have.”

यानी मतलब “मैं नहीं करता तो कोई और करता.”

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