इलेक्ट्रिक गाड़ियों ने लोगों के पसीने छुड़ा दिए हैं, इस शख्स की आपबीती ने सबकी धुकधुकी बढ़ा दी!
ऐसा वाक़ई में हो रहा है और इसका संबंध EV की कीमतों से नहीं है. हम कोई रिसर्च की बात भी नहीं करने वाले बल्कि हम तो एक रियल यूजर की आपबीती (EV charging and range problem) बताने वाले हैं. कैसे उनको अपनी EV की रेंज की वजह से बहुत परेशान होना पड़ा.
दिल की बीमारी, घबराहट, चिंता, बेचैनी और हाई ब्लड प्रेशर जैसी बीमारियों के होने के कई कारण हो सकते हैं. जितने शायद हमें पता होंगे, उतने ही शायद आपको भी पता होंगे. कई रिसर्च से पता चल चुका है कि प्रदूषण भी ऐसी बीमारियों की वजह बनता है. इसके आगे हम इस पर कछु नहीं बताने वाले वरना हमारी सेहत वाली साथी सरवत नाराज हो जाएंगी. इसलिए अगर आपको ज़्यादा जानकारी चाहिए तो आप हमारे सेहत के सेक्शन का रूख कर लीजिए. लेकिन हम आपको ये जरूर बतायेंगे कि ये सारी बीमारियां इलेक्ट्रिक कार (EV charging and range problem) की वजह से भी हो सकती हैं.
अगर ये पढ़कर आपको लग रहा है कि हम मसखरी कर रहे हैं तो नहीं जनाब. ऐसा वाक़ई में हो रहा है और इसका संबंध EV की कीमतों से नहीं है. और हां हम कोई रिसर्च की बात भी नहीं करने वाले बल्कि हम तो एक रियल यूजर की आपबीती बताने वाले हैं. कैसे उनको अपनी EV की रेंज की वजह से बहुत परेशान होना पड़ा. इसलिए आप अपनी गाड़ी का ब्रेक लगा लीजिए क्योंकि बात जरा लंबी है.
पहली राइड में ही सिर्फ परेशानीइलेक्ट्रिक कार है TATA Nexon EV और इसको चलाते हैं Siva Narayanan जो फिलहाल बेंगलुरु में रहते हैं. शिवा निकले बेंगलुरु से चेन्नई के लिए जो तक़रीबन 350 किलोमीटर दूर है. क्योंकि टाटा इस वाली कार में फुल चार्ज पर 400 किलोमीटर से भी ज़्यादा की रेंज का दावा करती है तो शिवा को लगा कि पहली आउट स्टेशन राइड मक्खन रहने वाली है. मगर उनके मक्खन में मक्खी गिर गई जब सिर्फ़ 180 किलोमीटर चलने पर बैटरी 45 फ़ीसदी पर आ गई.
कोई बात नहीं क्योंकि ऐसा हो सकता है. शायद उन्होंने स्पीड में गाड़ी दौड़ाई होगी या फिर ट्रैफिक में फंसे होंगे. लेकिन असल खेल तो उसके बाद हुआ. उन्होंने Nexon EV को 80 फ़ीसदी चार्ज किया और ये सोचकर एक्सीलेटर दबा दिया कि बचा हुआ 170 किलोमीटर तो बस यूं ही आ जाएगा. लेकिन जब बचे 45 किलोमीटर तो बैटरी बची 30 फ़ीसदी. अगले कुछ मिनट में 20 और अगले 2 मिनट में 10 और फिर 000000. अभी भी 35 किलोमीटर बचा था. सोचकर देखिए कि सिर्फ़ 10 किलोमीटर में 30 फ़ीसदी बैटरी उड़ गई. शिवा की धुकधुकी और घबराहट का अंदाज़ा आपको लग ही गया होगा.
किस्मत से वो हाइवे पर थे और शहर से नजदीक तो उनको टाटा की इमरजेंसी सर्विस मिल गई. टाटा की गाड़ी आई और उनकी गाड़ी को लादकर नजदीकी चार्जिंग स्टेशन पर छोड़ गई. यहां इमरजेंसी सर्विस के चालक ने उनको बताया कि ऐसी ही एक और कार 150 किलोमीटर दूर खड़ी है.
शिवा को सीख मिल गई और वापसी में उन्होंने पहले ही रुक-रुककर अपनी Nexon EV को चार्ज किया. हालांकि, चार्जिंग स्टेशन पर भी उनका अनुभव कोई अच्छा नहीं रहा. एक जगह लंबी लाइन थी तो एक जगह ऐप सही से काम नहीं कर रहा था. खैर, शिवा को अगली राइड के लिए चार्जकामनाएं (शुभकामनाएं). अपन समझते हैं कि आख़िर हुआ क्या.
Nexon EV में गड़बड़ है क्या?नहीं, एकदम नहीं. नेक्सॉन या दूसरी EV में कोई गड़बड़ नहीं बल्कि हमारे समझने में झोल है. कंपनी ने कहा कि फुल चार्ज में 400 किलोमीटर तो ऐसा वाक़ई में होगा लेकिन आइडियल कंडीशन में. मतलब एकदम ख़ाली और फ़्लैट सड़क हो, बोले तो कोई घाट या टर्न नहीं हों. आप गाड़ी मीटर देखकर 60 से ऊपर नहीं चलायें. मतलब होम लोन के टर्म एंड कंडीशन जैसा मामला. टाटा के पास जायेंगे तो वो 400 किलोमीटर चलाकर भी दिखा देंगे. इसलिए कंपनी को क्या ही दोष देना. ये वैसा ही है जैसे पेट्रोल कार में 20 का एवरेज बोला जाता है और वो 15 के ऊपर मुश्किल से जाती है.
अब बात करें 10 किलोमीटर में 30 फ़ीसदी बैटरी उड़ जाने की तो वो लिथियम-आयन (Li-ion) बैटरी का स्वाभाव ठहरा. वो 100-99-98 या 10-9-8 के हिसाब से डाउन नहीं होती. स्क्रीन पर भले आपको 20 फ़ीसदी दिखे मगर अचानक वो 5 हो जाती है. ऐसा कई वजहों से होता है. मसलन, बैटरी कितनी पुरानी है या आपने कैसे ड्राइव किया है. मौसम आग उगल रहा या फिर बर्फ गिर रही. ये भी बैटरी के परफॉर्मेंस को गिरा देता है. कहने का मतलब जो दिख रहा है, उसपर आंख बंद करके भरोसा मत कीजिए. भले आपके पास पेट्रोल कार ही क्यों ना हो. मतलब उसकी स्क्रीन पर भी अगर 100 किलोमीटर दिख रहा तो उस पर यकीन मत कीजिए. नजदीकी पेट्रोल पंप का रूख कीजिए.
रही बात इलेक्ट्रिक कार मालिकों की धुकधुकी का तो उसका हाल-फ़िलहाल कोई इलाज नहीं है. अपना ब्लडप्रेशर नहीं बढ़ाना तो सब पहले से प्लान कीजिए. मसलन, फुल चार्जिंग, फ़ास्ट चार्जर, चार्जिंग स्टेशन की लोकेशन वगैरा-वगैरा.
आपकी यात्रा इलेक्ट्रिकमय हो.
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