कार क्रैश टेस्ट में यूज़ होने वाले डमी को रबर का पुतला समझते हैं, तो ग़लत हैं आप, ये अलग अजूबा है
कारों के क्रैश टेस्ट में इस्तेमाल होने वाला डमी (Crash Test Dummy) सिर्फ पुतला नहीं है. क्योंकि इसमें ऐसा काफी कुछ है, जो इंसानी शरीर में होता है. अगर इतने में भी आपको यकीन नहीं होता तो इसकी कीमत बता देते हैं. कम से कम डेढ़ करोड़ रुपये. अधिकतम...? बताते हैं, पढ़िए...
आपकी और मेरी जिंदगी सुरक्षित रहे, हमारी हड्डियां 206 की जगह 412 ना हों, इसके लिए एक एक भाई साब, या चाहें तो बहन जी भी कह सकते हैं, जब-तब अपनी हड्डियां तुड़वाते रहते हैं. कई बार मुंडी भी टूटती है, तो कई दफा रीढ़ की हड्डी का चूरा-चूरा हो जाता है. फिर भी बेचारे लगे रहते हैं. पढ़कर चिंता हुई आपको? चिंता मत कीजिए क्योंकि हम बात कर रहे हैं कारों के क्रैश टेस्ट में इस्तेमाल होने वाले डमी की. अब आप कहोगे क्या मजाक करते हो मियां. वो कोई इंसान थोड़े ना है, पुतला है पुतला!
नहीं जनाब, वो पुतला नहीं है. क्योंकि इसमें ऐसा काफी कुछ है जो इंसानी शरीर में होता है. अगर इतने में भी आपको यकीन नहीं होता, तो इसकी कीमत बता देते हैं. कम से कम डेढ़ खोका मतलब डेढ़ करोड़ रुपये. अधिकतम...? बताते हैं, पहले जरा स्टोरी को तो क्रैश होने से बचा लें.
Crash Test Dummy में है ममीबात चाहे Global NCAP की हो या हाल ही मैं स्टार्ट हुए Bharat NCAP की. कार क्रैश की रेटिंग तय करने के लिए जब उसको दीवार से या फिर किसी और ऑब्जेक्ट से भिड़ाया जाता है, तो एक बात कॉमन होती है. इसमें बैठा पुतला, जिसे कहते हैं Crash Test Dummy (CTD). जैसे हमने लिखा ये कोई प्लास्टिक या रबर का पुतला नहीं है. इसकी तीन कमाल क्वालिटी हैं जो इसको बेहद खास बनाती है.
# इसमें लगे होते हैं उन्नत किस्म के सेंसर और कैमरे. हर छोटी बड़ी हरकत को रिकॉर्ड करते हैं.
# रबर जैसी दिखने वाली इसकी बॉडी बनी होती है असल इंसानी त्वचा और मांस से. इसकी वजह से क्रैश के असल इम्पैक्ट का पता चलता है.
# इस ममी को (अब क्यों डमी कहें) दुनिया में सिर्फ एक कंपनी बनाती है. नाम है Humanetics.
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70 साल हैं इनके पासक्योंकि 70 मिनट तो किंग खान के पास हैं ना! कहने का मतलब कंपनी ने आज से 70 साल पहले पहला डमी बनाया था. उनकी भाषा में इनको anthropomorphic test device (ATD) कहते हैं. आज की तारीख में Humanetics कई तरह के डमी बनाती है. मसलन Frontal Impact ATD, Side Impact ATD, Child ATD और Aerospace & Military ATD. यानी की हर कंडीशन में क्रैश टेस्ट करने का जुगाड़.
CTD या ATD को बनाते वक्त इंसानी शरीर के रिस्पॉन्स और उसके ऊपर चोट के इम्पैक्ट का ध्यान रखा जाता है. इंसान के शरीर के वजन से लेकर वो किस जगह रहता है, उसका भी ध्यान रखा जाता है. गाड़ी की स्पीड, टायर पंचर होने पर गाड़ी के बैलेंस खोने से लेकर आगे या पीछे से टक्कर लगने का भी गुणा-गणित किया जाता है. इसलिए कीमत करोड़ों में होती है. करोड़ों में क्यों? अरे भाई कम से कम तो डेढ़ करोड़ है, मगर प्रीमियम और अल्ट्रा प्रो प्रीमियम कारों में इनका दाम 15 करोड़ तक पहुंच जाता है. जाहिर सी बात है सेंसर का सेंस बढ़ाने के लिए.
क्रैश खत्म. अब जब भी कभी आपके सामने कार की सेफ़्टी रेटिंग की बात हो, तो बेचारे CTD को डेढ़ सौ रुपिया देना मत भूलना.
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