पेट्रोल-डीजल भरवाते वक्त सिर्फ '0' नहीं, डेंसिटी भी देखनी है, वरना सिर्फ कम तेल नहीं, लाखों जाएंगे!
आप 0 देखते रह गए, खेल डेंसिटी में हो रहा था!
पेट्रोल भराने से पहले फ्यूल डिस्पेंसर मशीन पर ‘जीरो’ देखना. पेट्रोल पंप पर ये काम हम आमतौर पर करते ही हैं. करना भी चाहिए. लेकिन एक और जरूरी चीज देखने की हम जहमत नहीं उठाते. जीरो नहीं देखने से हो सकता है पेट्रोल भरने वाला कुछ खेल कर जाए और पेट्रोल की मात्रा कम मिले, लेकिन हम जिस चीज की ओर ध्यान दिलाना चाहते हैं, उसे नहीं करने पर हो सकता है गाड़ी ही खराब हो जाए. बात कर रहे हैं डेंसिटी की, जिसका सीधा संबंध पेट्रोल/डीजल की शुद्धता से है. इसके मानक खुद सरकार ने तय किए हैं. क्या है ये शुद्धता का पैमाना और आप कैसे चेक कर सकते हैं, वो हम आपको बताते हैं.
डेंसिटी का मतलब क्या है?डेंसिटी का मतलब किसी पदार्थ या उत्पाद के घनत्व से है. और आसान भाषा में बताने की कोशिश करें तो डेंसिटी का मतलब पदार्थ या उत्पाद के गाढ़ेपन से है. ये गाढ़ापन उन पदार्थों या तत्वों की निश्चित मात्रा से तय किया जाता है, जिन्हें मिलाकर कोई प्रोडक्ट तैयार होता है. इन्हीं तत्वों की मौजूदगी की पहचान के आधार पर उत्पाद की क्वालिटी तय की जाती है. वाहनों में डलने वाले इंजन ऑयल का उदाहरण देकर समझते हैं. बेस ऑयल और ऐडिटिव्स को मिलाकर बनने वाला ये मोटर ऑयल प्रोडक्ट छूने में बहुत चिपचिपा और बहुत पतला महसूस नहीं होना चाहिए.
ज्यादा पतला या बहुत चिपचिपा होने का मतलब है कि उसमें बेस ऑयल और ऐडिटिव के अलावा कुछ और मिलाया गया है या निर्माण के वक्त ही जरूरी मटेरियल का इस्तेमाल नहीं किया गया है.
खैर हम अपने मुद्दे पर वापस आते हैं. पेट्रोल डेंसिटी की एक लिमिट है. अगर उसमें किसी किस्म की मिलावट हो जाए या कर दी जाए तो प्रोडक्ट में मौजूद तत्वों या पदार्थों के बीच दूरी आएगी. यही दूरी उत्पाद की क्वालिटी गिरने के लिए जिम्मेदार है. आपने गौर किया होगा कि कई बार इंजन ऑइल को उंगलियों में लगाकर देखते हैं. अगर पर्याप्त चिकनाई है तो दम है, नहीं तो बदलने का समय आ गया है. डेंसिटी चेक करने का ये तरीका भले देसी लगे, लेकिन कारगर माना जाता है. लेकिन पेट्रोल के लिए आपको पूरा प्रोसेस फॉलो करना होगा.
पेट्रोल और डीजल के लिए क्या लिमिटहर पदार्थ की एक तय डेंसिटी होती है. वैसे ही मामला ईंधन के लिए भी है. सरकार ने इसके मानक तय किए हैं. पेट्रोल की शुद्धता डेंसिटी 730 से 800 किलोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर (kg/m3) होती है. वहीं, डीजल की शुद्धता डेंसिटी 830 से 900 kg/m3 के बीच बताई जाती है.
आपके मन में सवाल आ सकता है कि आंकड़े फिक्स क्यों नहीं हैं. इसका कारण हैं तापमान में बदलाव. इसलिए इसकी एक रेंज तय की गई है. किसी भी पेट्रोल पंप पर अगर रेंज बताए गए आंकड़ों से नीचे या ऊपर है तो जाहिर सी बात हैं इसमें मिलावट हुई है. वैसे मिलावट क्या हुई वो तो चेक करने के बाद ही पता चल सकता है, लेकिन आमतौर पर पेट्रोल में सॉल्वेंट मिलाकर ये कारनामा अंजाम दिया जाता है. खराब पेट्रोल मतलब सीधा आपका नुकसान. गाड़ी कितनी खराब होगी वो खराब पेट्रोल के ऊपर निर्भर करेगा. हालांकि आप खुद इसको चेक कर सकते हैं.
# चेक करने के लिए कही जाने की जरूरत नहीं, क्योंकि ये डिटेल पेट्रोल भरने वाली मशीन पर डिस्प्ले होती ही हैं.
# पेट्रोल की रसीद पर भी इसकी जानकारी होती है. अगर आप इतने से संतुष्ट नहीं हैं तो डेंसिटी जार से इसकी जांच करवा सकते हैं.
# डेंसिटी चेक करने के लिए आपको 500 मिलीलीटिर का जार, हाईड्रोमीटर, थर्मोमीटर और ASTM (अमेरिकन सोसायटी फॉर टेस्टिंग ऑफ मटेरियल्स) कन्वर्जन चार्ज की जरूरत होगी. हाईड्रोमीटर किसी भी लिक्विड की डेंसिटी जांचने के लिए एक अच्छा उपकरण है.
# ये सभी चीजें पेट्रोल पंप पर उपलब्ध होती हैं.
# डेंसिटी जार में घनत्व का अलग-अलग टेम्प्रेचर पर डिफरेंस निकाला जाता है.
# कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट 1986 के मुताबिक, हर ग्राहक को पेट्रोल की शुद्धता मापने का अधिकार है.
# खुद इंडियन ऑइल ने इस प्रोसेस का वीडियो अपने यूट्यूब चेनल पर पोस्ट किया हुआ है.
इसके बाद अगर आपको लगे तो संबंधित एजेंसी से शिकायत करने का भी प्रबंध है.
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