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खतरनाक बीमारी Sleep Apnea क्या है? जिसे Apple की नई Watch ट्रैक करेगी

नई Apple Watch Series 10, Sleep Apnea नाम की बीमारी को ट्रैक करेगी.जिसे ये बीमारी होती है उसे इसके बारे में जानकारी नहीं होती. सबकुछ जानिए डॉक्टर से.

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Apple watch Sleep Apnea
Apple Watch ने काम बहुत आसान कर दिया (तस्वीर : Apple/आज तक)
11 सितंबर 2024 (Updated: 11 सितंबर 2024, 22:12 IST)
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Apple event में आईफोन 16 के साथ Apple Watch भी लॉन्च हुई है. हर साल लोगों को इस वॉच का इंतजार रहता है. कंपनी ने इसका 10वां संस्करण बाजार में उतारा है. Apple Watch Series 10 की सबसे बड़ी खूबी Sleep Apnea ट्रैकिंग है. नाम से ही जाहिर है इस बीमारी का संबंध नींद से है. ये एक किस्म की गंभीर बीमारी है जिसमें सोते हुए अक्सर ऑक्सीजन की सप्लाई कम हो जाती है. इस बीमारी के परिणाम गंभीर हो सकते हैं. चलिए समझते हैं इस बीमारी के बारे में.

इंडियन एक्सप्रेस में छपी ख़बर के मुताबिक, हिंदुस्तान में 14 प्रतिशत पुरुषों और 12 प्रतिशत महिलाओं को ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया की समस्या है. यहां इसके लगभग 3 करोड़ 40 लाख पेशेंट हैं. वैसे तो ये डिसऑर्डर काफी आम है, लेकिन डराने वाली बात ये है कि जिन लोगों को ये समस्या है, उन्हें खुद नहीं पता कि वो किसी मेडिकल प्रॉब्लम से जूझ रहे हैं.

अगर आपको सोते समय खर्राटे आते हैं, नींद बार-बार टूटती है, तो ये ख़तरे की घंटी है. इसलिए आज बात करते हैं ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया के बारे में. डॉक्टर्स से जानते हैं ये क्या होता है, इसका कारण क्या है, कौन लोग इसके ज़्यादा रिस्क पर हैं, कैसे पता करें आपको ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया है और साथ ही जानते हैं इसका इलाज. 

ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया क्या होता है? ये हमें बताया डॉक्टर मनोज गोयल ने

Sleep Apnea
डॉक्टर मनोज गोयल, डायरेक्टर, पल्मोनोलॉजी, फ़ोर्टिस हॉस्पिटल, गुरुग्राम

-ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया में सोते समय गले की मांसपेशियां कोलैप्स हो जाती हैं

-जिसके कारण सोते समय सांस की नली में हवा नहीं जा पाती है.

-ऐसे में एयर फ्लो ऑब्सट्रक्शन होता है यानी सांस लेने में रुकावट आती है.

-इसे ऑब्सट्रक्टिव एपनिया इसलिए कहते हैं क्योंकि इसमें सांस लेने में रुकावट होती है.

-नींद में ऐसा होता है इसलिए स्लीप शब्द का इस्तेमाल होता है. कारण -ये ज़्यादातर उन लोगों में होता है जिनका वज़न ज़्यादा है.

-गला छोटा होता है.

-गले के आसपास ज़्यादा चर्बी होती है.

-ज़ुबान बड़ी होती है.

-ठुड्डी नीचे की तरफ़ झुकी होती है.

-नीचे वाला जबड़ा छोटा होता है.

-इन वजहों के कारण गले में एयर स्पेस कम हो जाता है.

-रात में सोते समय शरीर की सारी मांसपेशियां रिलैक्स होती हैं.

-गले की मांसपेशियां और भी ज़्यादा रिलैक्स हो जाती हैं.

-जिससे सांस के आने-जाने का रास्ता पूरी तरह से बंद हो जाता है.

-ऐसे में पूरे रात सांस न ले पाने की तकलीफ बनी रहती है.

-लंग्स तक हवा जा नहीं पाती.

-जिसके कारण शरीर में ऑक्सीजन की कमी हो जाती है.

-क्योंकि ब्रेन को ऑक्सीजन नहीं मिल पाता, इसलिए नींद बार-बार टूटती है.

-जब नींद टूटती है तो इंसान उठ जाता है.

-उठने के बाद सांस दोबारा आना शुरू हो जाती है.

-जब मांसपेशियां वापस से टाइट हो जाती हैं.

-सांस का रास्ता खुल जाता है.

-पर पेशेंट जब दोबारा सोता है तो फिर वही दिक्कत होती है.

-ये साइकिल पूरी रात चलती रहती है.

Sleep Apnea
एपनिया के पेशेंट्स में ऑक्सीजन गिर जाता है
लक्षण:-

-ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया में रात में सोते समय दम घुटता है.

-नींद खराब होती है.

-बहुत जोर से खर्राटे आते हैं.

-कई बार सांस लेना एकदम बंद हो जाता है.

-कई लोगों को सीधा लेटने में दिक्कत होती है.

-करवट के बल लेटने पर ही नींद आती है.

-रात में न सो पाने के कारण दिन में ज़्यादा नींद आती है.

-दिनभर सुस्ती रहती है.

-काम करने की ताकत नहीं रहती.

-चिड़चिड़ापन रहता है.

-सोचने की क्षमता में कमी आती है.

-गाड़ी चलाते समय आंख लग जाती है, जिससे एक्सीडेंट का ख़तरा भी बना रहता है.

-ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया उतना ही आम है जितना डायबिटीज और हाइपरटेंशन.

-करीब 5 प्रतिशत लोगों को सीवियर ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया होता है.

हेल्थ रिस्क:

-आमतौर पर शरीर में ऑक्सीजन का लेवल 90-95 होना चाहिए, भले ही सो रहे हों या जाग रहे हों.

-पर ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया के पेशेंट्स में ऑक्सीजन गिर जाता है.

-75 से 50 तक चला जाता है.

-जब भी शरीर में ऑक्सीजन की कमी होती है तो बाकी अंगों पर भी असर पड़ता है.

-कार्डियक अरेस्ट हो सकता है.

-दिल की धड़कन पर असर पड़ सकता है.

Sleep Apnea
आमतौर पर शरीर में ऑक्सीजन का लेवल 90-95 होना चाहिए, भले ही सो रहे हों या जाग रहे हों

-दिल पर प्रेशर पड़ सकता है.

-स्ट्रोक पड़ सकता है.

-डायबिटीज और हाइपरटेंशन हो सकता है.

-जिन लोगों को ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया की दिक्कत है, उन्हें अपने लक्षणों को सीरियसली लेना चाहिए

-लक्षण दिखने पर डॉक्टर से सलाह ज़रूर लेनी चाहिए. इलाज -इलाज के लिए स्लीप स्टडी की जाती है.

-ये देखा जाता है कि हवा कितनी ज़्यादा रुक रही है.

-शरीर में ऑक्सीजन की कितनी कमी हो रही है.

-इन चीज़ों से बीमारी की गंभीरता का पता लगाया जाता है.

-उसके बाद डॉक्टर की सलाह अनुसार इलाज किया जाता है.

बचाव:

-नियमित एक्सरसाइज करें.

-जो रिस्क फैक्टर्स हैं जैसे शराब का ज़्यादा सेवन, उससे ये दिक्कत ज़्यादा होती है.

-शराब और स्मोकिंग को अवॉइड करें.

-वज़न को कंट्रोल में रखें.

-ज़्यादा शुगर और फैट से दूर रहें. और मेडिकल प्रॉब्लम्स जैसे डायबिटीज, हाइपरटेंशन और दिल की बीमारियों का इलाज करवाएं.

-जिन लोगों को ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया के साथ डायबिटीज, हाइपरटेंशन है, उन लोगों में स्लीप एपनिया को कंट्रोल करना ज़्यादा ज़रूरी है.

-इसके लिए अपने वज़न को कंट्रोल में रखना बेहद ज़रूरी है.

-कई बार इसके इलाज के लिए एक मशीननुमा चीज़ दी जाती है, जिसको रात में सोते समय लगाना होता है.

-ये नाक पर एक छोटा सा मास्क होता है.

-इसे लगाने से पॉजिटिव प्रेशर पड़ता है.

-हवा सही मात्रा में जाती रहती है.

-जिससे सांस का रास्ता खुल जाता है.

Sleep Apnea
जिन लोगों को ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया के साथ डायबिटीज, हाइपरटेंशन है, उन लोगों में स्लीप एपनिया को कंट्रोल करना ज़्यादा ज़रूरी है

-खर्राटे आना बंद हो जाते हैं.

-नींद बार-बार नहीं टूटती.

-सांस की तकलीफ ठीक हो जाती है.

-शरीर में ऑक्सीजन की जो कमी हो रही होती है, जिससे हेल्थ रिस्क हो सकते हैं, वो ठीक हो जाती है.

-अगर रात में जोर से खर्राटे आते हैं, नींद टूटती है, दिन में सुस्ती रहती है, वेट बहुत ज़्यादा है तो ज़रूर अपने डॉक्टर से मिलें और इलाज करवाएं.

ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया कितना ख़तरनाक हो सकता है, ये तो आपको समझ में आ ही गया होगा. अगर आपको डायबिटीज या हाइपरटेंशन की दिक्कत है तो और भी ज़्यादा सावधान होने की ज़रुरत है. जो लक्षण डॉक्टर साहब ने बताए, अगर वो आपको भी महसूस होते हैं तो ध्यान दें. डॉक्टर से मिलें और सही समय पर इलाज लेना शुरू कर दें.

(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से जरूर पूछें. ‘दी लल्लनटॉप ’आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)

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