किंग विराट कोहली को अनुष्का ने ऐसे बनाया चलता-फिरता 'कॉलेज'!
Virat Kohli निर्विवाद रूप से वनडे के सबसे बड़े खिलाड़ी बन चुके हैं. लेकिन दुनिया का बस चलता तो उन्हें कबका खत्म कर देती. और इसीलिए, विराट ना सिर्फ़ सबसे बड़े क्रिकेटर हैं, बल्कि वह चलते-फिरते कॉलेज भी हैं. कॉलेज, जिस पर बस नज़र रखकर आप जीने का सलीका सीख सकते हैं.
एक टीम, जिसे आप सालों तक अकेले खींचते हैं. ऐसी-ऐसी सिचुएशन से मैच निकाल लेते हैं, जहां सब हार मान चुके हों. दुनिया आपकी फ़ैन. लोग तारीफ़ें करते नहीं थकते. फिर आता है डाउनफ़ॉल. ये अलग बात है कि इस डाउनफ़ॉल में भी तमाम दिग्गजों के पूरे करियर से ज्यादा ऊंचाई थी. लेकिन स्टैंडर्ड तो आपने ही सेट किया था.
और उसी की आड़ में आपको चुका हुआ बताया जाने लगता है. जिस टीम के लिए आपने दिन-रात की परवाह नहीं की. किसी से भी भिड़ गए, वही आपको किनारे लगाने लगती है. बल्ले से शतक नहीं आया. ताक में बैठे लोगों ने करियर खत्म होने की भविष्यवाणी शुरू कर दी. बोर्ड में बैठे दादाओं ने कप्तानी ले ली.
IPL में तो खैर, टीम हर बार ही गड़बड़ कर रही थी. तो अब क्या ही नया होता. वापसी की कोई उम्मीद नहीं दिख रही थी. तक़रीबन हर पारी में आउट होने का नया तरीका दिख जाता. कभी कोई बोलिंग स्टाइल तो कभी फ़ील्डर की ब्रिलिएंस. पूरी दुनिया के साथ सितारे भी खिलाफ़ हो गए थे. सबने उम्मीद छोड़ दी थी. सिवाय दो लोगों के. या शायद बस एक इंसान था, जिसका विश्वास नहीं हिला था.
# Virat x Anushkaअनुष्का शर्मा. विराट कोहली के उरूज़ पर साथ आने वाली अनुष्का ने बुरे वक्त में साथ नहीं छोड़ा. लोग कह सकते हैं कि यही तो परिवार का काम होता है. लेकिन ये कहने वालों को भी पता है कि इस काम को करना कितना बड़ा काम होता है. सब नहीं कर पाते. अनुष्का चट्टान की तरह खड़ी रहीं. कोहली के साथ तमाम धार्मिक स्थलों पर जाती रहीं.
इसे लेकर बहुत मजाक भी बना. तरह-तरह की बातें हुईं. लेकिन इसमें नया क्या था. ये देश यही तो करता है. बेरोजगारी इतनी ज्यादा है, कि दूसरों के जीवन पर जोक करना भी रोजगार मान लिया गया है. और ज्यादातर लोगों के लिए तो ये फ़ुलटाइम काम है. तो ये अपना काम करते रहे, अनुष्का अपना काम करती रहीं. लेकिन इन सबके बीच, मैदान पर तो वापसी विराट कोहली को ही करनी थी.
खेल से ब्रेक लिया गया. और फिर वापसी हुई. एशिया कप 2022 का मैच. सामने अफ़ग़ानिस्तान. ओपन करते हुए कोहली ने शतकों का इंतजार खत्म कर दिया. भारत को जिताया. प्लेयर ऑफ़ द मैच बने. और बोले,
‘सबसे पहले तो शुक्रगुजार हूं कि आज का दिन ऐसा गया. खेल से ब्रेक लेने ने मुझे आराम से बैठ, अपने बारे में बहुत सारी चीजों पर गौर करने का वक्त दिया. मैं एक खास व्यक्ति का ज़िक्र करना चाहूंगा- अनुष्का. वह इस कठिन वक्त में मेरे साथ खड़ी रहीं.
मैं उनका ज़िक्र इसलिए भी कर रहा हूं कि उन्होंने इन महीनों में मुझे एकदम प्राकृतिक, अनगढ़ रूप में देखा. अनुष्का ही वह व्यक्ति थीं जो मेरे लिए चीजों को परिपेक्ष्य में रख रही थीं. मुझे सही दिशा दिखा रही थीं. आगे बढ़ते हुए मुझे सही विज़न दे रही थीं और मैं बहुत रिलैक्स्ड व्यक्ति के रूप में सिस्टम में वापस आया.’
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ख़ैर, अफ़ग़ानिस्तान के खिलाफ़ आए शतक की क्या ही वैल्यू. तो चर्चाएं जारी रहीं. मैच बीतते रहे, बातें चलती रहीं. World Cup 2023 आया. कोहली वही कोहली दिखे, जो बड़े इवेंट्स में रहते हैं. तगड़े वाले. फिर एक नई चर्चा लाई गई. यूं तो ये ग़ैर-जरूरी थी. लेकिन इस दुनिया में कुछ भी ग़ैर-जरूरी नहीं होता. इसी तर्ज़ पर चलते हुए कोहली की बैटिंग को टुक-टुक बताया गया.
जिस कोहली के कैल्कुलेशन से कैल्कुलेटर शर्मा जाए, उसे स्लो बैटर. स्टैट पैडर, इत्यादि सब बताया गया. हजारों रन, दर्ज़नों शतक. सब बर्बाद. क्योंकि कानपुर में बैठे कर्ण ने कोहली की असलियत पकड़ ली थी. उसे पता चल गया था कि कोहली सिर्फ़ अपने लिए खेलता है. रिकॉर्ड्स के लिए खेलता है. और इसी के चलते उसकी बैटिंग में दम नहीं है.
ये अलग बात है कि यही बेदम बैटिंग कोहली को वनडे के शिखर पर बिठा गई. वानखेडे स्टेडियम. सचिन के सामने विराट ने वनडे में पचासवीं बार तीन अंकों का सफर तय कर लिया. और बन गए वनडे के सबसे बड़े बल्लेबाज. और फिर हमें याद आया वही मैच. जहां कोहली ने शायद पहली बार, अपनी तारीफ़ करते हुए कहा था,
‘मैं सोचता हूं कि आज का दिन बीते कुछ मैचेज़ का बिल्ड अप था. ईमानदारी से कहूं तो मैंने पूरी शिद्दत से बैटिंग की. खुद को ही आश्चर्यचकित कर दिया. मुझे जो चीज सबसे आश्चर्यचकित कर रही थी, वो ये थी कि मेरे 60 रन के स्कोर्स फ़ेल्यॉर थे. ये मेरे लिए बहुत चौंकाने वाली बात थी. मैं बहुत अच्छी बैटिंग कर रहा था, अपना योगदान दे रहा था. लेकिन इसे काफी नहीं माना जा रहा था.’
आगे विराट ने जो कहा, वो दिखाता है कि मैदान पर विपक्षियों पर चीखते वक्त जिस विराट को घमंडी बताते नहीं थका जाता. वो अंदर से कैसे हैं. विराट बोले,
'लेकिन जैसा कि मैंने कहा, ऊपरवाले ने भूतकाल में मुझे बहुत से अच्छे पल दिए थे, और इसीलिए मैं इस पोजिशन में हूं जहां मेरे बारे में ऐसी बातें की जा सकती हैं.'
और फिर बात खत्म करते-करते कोहली जीवन का एक बड़ा सबक भी दे गए. वह बोले,
‘अंततः एक व्यक्ति के रूप में आपको पता होता है कि आप कहां स्टैंड करते हैं और आपको अपनी यात्रा के लिए क्या करना है. लोगों की राय हो सकती है. लेकिन वो ये महसूस नहीं कर सकते, जो आप करते हैं. मैंने बीते कुछ महीनों को बहुत अलग तरीके से महसूस किया, ये मेरे जीवन का खास वक्त रहा. मैं इस वक्त के लिए बहुत शुक्रगुजार हूं. क्रिकेट में आगे बढ़ने के लिए मुझे अपने लिए अपना नजरिया बदलना ही था.’
आज विराट निर्विवाद रूप से वनडे के सबसे बड़े खिलाड़ी बन चुके हैं. लेकिन दुनिया का बस चलता तो उन्हें कबका खत्म कर देती. और इसीलिए, विराट ना सिर्फ़ सबसे बड़े क्रिकेटर हैं, बल्कि वह चलते-फिरते कॉलेज भी हैं. कॉलेज, जिस पर बस नज़र रखकर आप जीने का सलीका सीख सकते हैं.
सीख सकते हैं, कि आप कब खत्म होंगे, ये बस आपका फैसला होगा. किसी साथी, प्रशंसक, दोस्त, कलीग का नहीं. बस आप तय करेंगे कि कब खत्म हो जाना है, और कब अपने ऊपर उठ रहे सवालों को खत्म करना है. आप गेम से बाहर कब होंगे, ये आपके अलावा कोई और नहीं तय करेगा.
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