लॉर्ड्स में अम्पायर की गलती से हारने वाली है श्री लंका
मैच में गलतियां सबसे होती हैं लेकिन इस बार अंपायर से हो गयी. और घाटा हो गया श्री लंका का. लेकिन मामला है क्या?
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क्रिकेट में गलतियां होती रहती हैं. बॉलर से, तो कभी बैट्समैन से. फील्डर से तो पूछो ही मत. लेकिन सबसे ज़्यादा घातक गलतियां होती हैं अम्पायरों से. घातक इस तरह से कि ऐसी गलतियां मैच के नतीजे पलट देती हैं.
लॉर्ड्स में इंग्लैण्ड और श्री-लंका के बीच टेस्ट मैच चल रहा है. सीरीज़ का तीसरा टेस्ट. इंग्लैण्ड 2-0 से आगे चल रहा है. मैच का चौथा दिन चल रहा था और इंग्लैंड की दूसरी इनिंग्स का छियालिसवां ओवर चल रहा था. इंग्लैंड का स्कोर था 132 रन पर 5 विकेट. बॉलिंग कर रहे थे नुवान प्रदीप. नुवान की गेंद टप्पा खाने के बाद कुछ नीचे रह गयी और एलेक्स हेल्स बोल्ड हो गए. लेकिन गेंद एलेक्स तक पहुंच सकती, इसके पहले ही अंपायर रॉड टकर ने नो-बॉल का सिग्नल दे दिया. अब एलेक्स का बोल्ड होना इंग्लैंड के लिए चिंता की बात नहीं थी. वो नॉट आउट रहे. लेकिन जब रीप्ले दिखाया गया तो मालूम चला कि नो-बॉल का डिसीज़न ग़लत था. पैर का एक बहुत ही छोटा सा हिस्सा लाइन के पीछे था. लिहाज़ा एलेक्स हेल्स आउट थे. इस रीप्ले को मैदान में लगी बड़ी स्क्रीन पर भी दिखाया गया. इसे मैदान में मौजूद सभी प्लेयर्स, दोनों अम्पायरों और बैठे दर्शकों ने भी देखा.
मैच देख रहे लोगों ने तो हल्ला करना शुरू कर दिया. साथ ही श्री लंका के प्लेयर्स ने अंपायर से तुरंत इसके बारे में बात की. लेकिन रॉड टकर ने अपने नो-बॉल के फैसले को नहीं बदला और मैच आगे चालू हुआ. एलेक्स हेल्स उस वक्त 58 रन पर थे और उन्होंने कुल 94 रन मारे. श्री लंका के लिए गनीमत यही रही कि वो सेंचुरी न मार पाए. लेकिन श्री लंका हमेशा उस एक विकेट के बारे में सोचती ही रहेगी जो उसका होते हुए भी न उसका न हो सका. ये विकेट श्री लंका को सीरीज़ की पहली जीत दिला सकता था. इंग्लैंड का स्कोर हो जाता 132 रन पर 6 विकेट. उस वक़्त इंग्लैण्ड के पास 260 रनों की लीड थी. लेकिन इस विकेट के न गिरने से 101 रन और जुड़ गए.
क्रिकेट के मैदान पर ऐसी गलतियां होती ही रहती हैं. आखिर अंपायर भी इंसान ही होता है. और मैच के दौरान ऐसा कितनी ही बार देखा गया है जब ग्राउंड अंपायर विकेट गिरने पर टीवी अम्पायर से नो-बॉल चेक करने के लिए कहता है. ऐसे में नो बॉल निकलने पर आउट बैट्समैन को नॉट-आउट दे दिया जाता है. लेकिन इस केस में ऐसा नहीं किया जा सकता था. भले ही बाद में मालूम चल गया था कि गेंद लीगल है और बैट्समैन आउट, लेकिन अंपायर मजबूर थे. क्यूं? क्यूंकि क्रिकेट भले ही खेल हो, लेकिन उसके भी कुछ नियम हैं. नियमों के हिसाब से, बॉलर के लाइन से आगे पैर रखते ही अंपायर नो बॉल का सिग्नल देते हैं. सिग्नल देते वक़्त वो चिल्लाते भी हैं. चिल्लाते इसलिए हैं जिससे बैट्समैन को टाइम रहते ये मालूम चल जाए कि गेंद नो-बॉल है और वो हौंक के मार सके. क्यूंकि नो-बॉल पर आउट होने की नहीं होती. ऐसे में जब अंपायर रॉड टकर ने एक बार नो-बॉल कह दी थी, तो एलेक्स हेल्स ने बिना आउट होने की परवाह किये बल्ला भांज दिया. (वैसे ऐसा सिर्फ़ कहा ही जाएगा क्यूंकि हेल्स ने ऐसा कुछ नहीं किया. लेकिन नियम तो नियम हैं.) लेकिन वो आउट हो गए. और कायदे से उन्हें आउट नहीं दिया जा सकता था. लेकिन जब रीप्ले दिखाया गया तो गेंद नो-बॉल नहीं थी. ऐसे में एलेक्स को आउट दे देना उनके साथ ज़्यादती होती. क्यूंकि वो तो अंपायर की गलती का शिकार बन जाते. इन सभी वजहों से अंपायर ने अपने फैसले को कायम रखा और नो-बॉल का डिसीज़न नहीं बदला.
इस पूरी घटना के बाद एक और अजीब घटना हुई. श्री लंका के ऑफिशियल्स और प्लेयर्स ने लॉर्ड्स मैदान की विज़िटिंग टीम की बालकनी से श्री लंका का झंडा लटका दिया. ऐसा करना लॉर्ड्स के मैदान में साफ़ मना है. वहां की बालकनी में किसी भी देश का झंडा लहराना मना है. ये सब कुछ लॉर्ड्स के मैदान की गाइडलाइंस में आता है. इसी तरह से 2002 नेटवेस्ट ट्रॉफी में सौरव गांगुली ने अपनी टीशर्ट उतार कर लहरा दी थी. जिसपर काफ़ी कॉन्ट्रोवर्सी भी हुई थी. श्री लंका के सपोर्ट स्टाफ ने टीम को अपना सपोर्ट दिखाने के मकसद से बालकनी से झंडा लटकाया था. हालांकि जब उन्हें बताया गया कि ऐसा करने की उन्हें परमीशन नहीं है तो उन्होंने उस झंडे को हटा लिया.