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जसप्रीत बुमराह को BCCI ने 2019 में ही 'खत्म' कर दिया था!

जसप्रीत बुमराह का वर्कलोड मैनेजमेंट कैसा था?

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Jasprit Bumrah. Photo: Getty Images
जसप्रीत बुमराह. फोटो: AFP
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2 अक्तूबर 2022 (Updated: 2 अक्तूबर 2022, 18:42 IST)
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जसप्रीत बुमराह साउथ अफ्रीका के खिलाफ़ T20 सीरीज़ से चोट की वजह से बाहर हो गए हैं. चिंता की बात ये है कि भारतीय टीम मौजूदा सीरीज़ के ठीक बाद T20 विश्वकप खेलने के लिए ऑस्ट्रेलिया रवाना होगी. ऐसे में बुमराह का ना होना भारतीय टीम के लिए शुभ संकेत नहीं है.

जसप्रीत बुमराह को बैक स्ट्रेस फ्रैक्चर बताया जा रहा है. हालांकि उनके लिए ये कोई नई इंजरी नहीं है. साल 2019 में पहली बार बुमराह को ये इंजरी हुई थी. 2019 में क्रिकेट विश्वकप के ठीक बाद वेस्ट इंडीज़ के दौरे पर बुमराह टीम के साथ थे. वेस्ट इंडीज़ के खिलाफ़ दूसरे जमैका टेस्ट में उन्होंने हैट्रिक भी ली. लेकर सभी फॉर्मेट्स में जी-जान से लगे बुमराह को यहीं पर बैक स्ट्रेस फ्रैक्चर ने घेर लिया. इसके बाद बुमराह का UK में इलाज करवाया गया. और लगभग चार महीने के बाद उनकी फिर से टीम इंडिया में वापसी हो सकी.

बुमराह जब टीम से बाहर हुए तो उन्हें वो चोट लगी जिसका एक कारण सही से वर्कलोड मैनेजमेंट नहीं करना है. स्ट्रेस फ्रैक्चर इंजरी घुटना मुढ़ने या पैर टूटने से अचानक लगी चोट जैसी नहीं होती. स्ट्रेस फ्रैक्चर की स्थिति में हड्डी पर पहले से बहुत ज़्यादा भार पड़ रहा होता है. ऐसे में कमजोर हिस्से पर अचानक अधिक भार पड़ता है और स्ट्रेस फ्रैक्चर के चांस बड़ जाते हैं.

गेंदबाज़ों में इसके होने की वजह इसलिए होती है क्योंकि गेंदबाज़ अपने फ्रंटफुट पर बहुत ज़्यादा फोर्स डालते हैं. जो ज़्यादा फिट होते हैं वो इस फोर्स को आसानी से निपट लेते हैं. लेकिन जब आपका शरीर, आपके पैर थके हुए होते हैं. आपकी मांसपेशियां ठीक तरीके से काम नहीं करती तो फिर आपकी हड्डियां ज़्यादा स्ट्रेस लेती हैं. इसलिए ज़्यादा वर्कलोड बोन स्ट्रेस फ्रैक्चर के कारणों में से एक माना है.

कुछ रिसर्च ऐसा भी बताती हैं कि वर्कलोड में अचानक से बढ़ोत्तरी होने पर इसका खतरा बढ़ जाता है. वहीं कम वर्कलोड वाली स्थिति में भी इंजरी का रिस्क रहता है. इस चोट का एक कारण क्रिकेट के फॉर्मेट्स का बदलाव भी हो सकता है. खिलाड़ी T20 से वनडे और टेस्ट फॉर्मेट में खेलते हैं. ऐसे में अलग-अलग फॉर्मेट के अलग-अलग वर्कलोड के चलते इंजरी का रिस्क ज़्यादा रहता है.

अब सवाल ये उठता है कि बुमराह के साथ ऐसा क्यों हुआ? दरअसल पहली बार इस चोट के लगने से पहले बुमराह टीम इंडिया के लिए एक ऐसी मशीन बन गए. जिसे डेब्यू के बाद से लगातार चलाया गया. कभी T20 से वनडे और वनडे से टेस्ट लगातार खिलाया गया. अब आपको समझाते हैं कैसे.

बुमराह का वर्कलोड मैनेजमेंट: 

बुमराह ने साल 2016 में 23 जनवरी को भारत के लिए पहली बार वनडे फॉर्मेट में डेब्यू किया. उसके बाद से 2019 तक(बुमराह को पहली बार स्ट्रेस फ्रैक्चर से पहले) भारत ने 19 वनडे सीरीज़  खेलीं. जिनमें से बुमराह को 14 वनडे सीरीज़ में खिलाया गया. यानि बुमराह ने चोट लगने से पहले भारत के कुल वनडे मैच में लगभग 77% मुकाबले खेले. जबकि 2020 में बुमराह के वापसी करने के बाद भारत ने कुल खेली 11 वनडे सीरीज़ खेलीं. जिनमें बुमराह पांच सीरीज़ का हिस्सा रहे.  

T20 फॉर्मेट की बात करें तो बुमराह ने 2016 जनवरी में वनडे के ठीक तीन दिन बाद यहां भी डेब्यू किया. उनके डेब्यू के बाद से उन्हें 2019 में बैक स्ट्रेस फ्रैक्चर होने तक भारत ने 21 T20 सीरीज़ खेलीं. जिनमें से बुमराह 16 सीरीज़ का हिस्सा रहें. यानि लगभग 80% सीरीज़ में वो खेले. जबकि स्ट्रेस फ्रैक्चर की चोट से वापसी करने के बाद भारत की खेली 18 T20 सीरीज़ में से बुमराह छह ही सीरीज़ का हिस्सा बनें.

वहीं अगर टेस्ट की बात करें तो जसप्रीत बुमराह ने जनवरी 2018 में इंडिया के लिए डेब्यू किया. 2019 में उन्हें स्ट्रेस फ्रैक्चर होने से पहले तक भारत ने कुल छह टेस्ट सीरीज़ खेलीं. इनमें से बुमराह ने चार टेस्ट सीरीज़ खेलीं. जबकि भारत ने उनकी चोट के बाद कुल 10 टेस्ट सीरीज़ खेली हैं. जिनमें से बुमराह 08 टेस्ट सीरीज़ में टीम के साथ रहे.

वर्कलोड की बात करें तो एक आंकड़ा और हमारे हाथ लगा. 2018 में टेस्ट में बुमराह के डेब्यू करने के बाद से उनके चोट लगने तक बुमराह तीसरे सबसे अधिक गेंदबाज़ी करने वाले गेंदबाज़ रहे हैं. उन्होंने इस दौरान 5041 गेंदें फेंकी, जो कि बड़े-बड़े गेंदबाज़ों से कहीं अधिक हैं.

ऐसे में अगर हमें ये लग रहा है कि बुमराह को लगी चोट पिछले कुछ महीनों या एक-दो साल की खामी है. तो ऐसा नहीं है, बुमराह के शुरुआती दिनों से ही उन्हें इस कदर इस्तेमाल किया गया कि उन्हें ये गंभीर चोट उबर आई. अब बस यही उम्मीद की जा सकती है कि बुमराह की चोट ठीक हो, टीम मैनेजमेंट उनका सही से इस्तेमाल करे. जिससे की वो भारतीय टीम के लिए आगे काम आ सकें.  

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