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वेस्ट इंडीज़ तुझे हुआ क्या है?

पहले तो चलना सीखना होगा.

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West Indies team T20 World Cup
वेस्टइंडीज़ टीम (फोटो - ICC)
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गरिमा भारद्वाज
21 अक्तूबर 2022 (Updated: 21 अक्तूबर 2022, 17:52 IST)
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T20 वर्ल्ड कप (T20 World Cup 2022) का फर्स्ट राउंड खत्म हो गया है. और पहला राउंड ही क्रिकेट फैन्स के लिए झटकों से भरा रहा. 21 अक्टूबर की सुबह वेस्टइंडीज इस टूर्नामेंट से बाहर हो गई. दो बार की चैम्पियन वेस्ट इंडीज़ को आयरलैंड ने हरा दिया. और आयरलैंड 13 साल बाद सुपर 12 में पहुंच पाया है.

खैर, एक क्रूशियल मुकाबले में वेस्ट इंडीज़ जैसी नामी टीम का हारना एक बड़ी खबर है. पर जो लोग इस वर्ल्ड कप को पहले मैच से फॉलो कर रहे हैं, उनके लिए ये शायद बड़ा झटका न हो. फर्स्ट राउंड के तीन में से केवल एक मैच टीम जीत पाई. इस टूर्नामेंट की शुरुआत से ही वेस्ट इंडीज़ की बल्लेबाजी बकवास रही. स्कॉटलैंड के खिलाफ ये कुल 118 रन बना पाए. ज़िम्बाब्वे के खिलाफ बनाए 153. वो तो गेंदबाजों ने कमाल करके इस स्कोर को डिफेंड कर लिया. 

और तीसरे और इस लेग के आखिरी मुकाबले में ये कुल 146 रन बना पाए. और इन तीनों ही मैच में सिर्फ एक बल्लेबाज की तरफ से पचासा आया, जो कि आयरलैंड खिलाफ ब्रैंडन किंग ने लगाया. इसके साथ, पूरे टूर्नामेंट में इनके टॉप छह बल्लेबाजों में से सिर्फ एक बल्लेबाज ने और कुल एक बार 150 के ऊपर की स्ट्राइक रेट से बल्लेबाजी की. जो कि पहले मुकाबले में काइल मेयर्स ने 13 गेंदों में 20 रन बना कर की. 

बल्लेबाजी के ऐसे आंकड़े देखकर तो लगता है कि अच्छा हुआ वेस्टइंडीज़ की टीम पहले ही बाहर निकल गई. लेकिन फिर विश्वास नहीं होता कि ये वही टीम है जिसने टी20 क्रिकेट खेलने के अंदाज को बदल डाला था. जो दो बार वर्ल्ड चैंपियन बनी. वही टीम जिसके खिलाड़ी दुनियाभर के नामी फ्रेंचाइजी लीग में खेलते हैं और शोहरत भी कमाते हैं. खैर इस पर बातें आगे.

लेकिन एक बात का क्रेडिट वेस्टइंडीज़ को मिलना चाहिए. वो ये कि टूर्नामेंट से बाहर होने के बाद कप्तान ने भी माना कि कि उन्होंने अच्छी बल्लेबाजी नहीं की. आयरलैंड के खिलाफ हार के बाद कप्तान निकलस पूरन ने कहा,  

‘ये मुश्किल है, हमने इस पूरे टूर्नामेंट में अच्छी बल्लेबाजी नहीं की और आज भी नहीं. आयरलैंड ने बहुत शानदार बल्लेबाजी की और गेंदबाजी भी अच्छी की. (ब्रैंडन) किंग अच्छी बल्लेबाजी कर रहे हैं, अल्ज़ारी (जोसेफ) ने अच्छी गेंदबाजी की. लेकिन हम निराश हैं और घर पर बैठे हमारे फ़ैन्स को हमने निराश किया है.’ 

इस सच्चाई के लिए फुल क्रेडिट. लेकिन ये सच्चाई तो बीते तीन बरस से हम देख और सुन रहे हैं. और उससे ज्यादा समय से ही ये टीम बदलाव के दौर से गुज़र रही है. इतने लम्बे समय के बावजूद इनके प्लेयर्स सेटल नहीं हैं और जब रिज़ल्ट की बात आती है, तो एकदम ज़ीरो. इनके कैप्टन की भाषा में कहें तो,

‘हमने अपना मौका गंवा दिया’ 

ठीक है. आपकी टीम युवा है, सेटल होने में समय लग रहा है. मान ली आपकी बात. लेकिन हमारा सवाल सिर्फ इतना सा है कि भाई आपलोग जो चीज़ IPL में आकर करते हो, बस उसे इंटरनेशनल क्रिकेट में दोहराना ही तो है. और ऐसा नहीं होता है. आज की तारीख में विंडीज टीम की प्लेइंग 11 के करीब आठ लोग IPL में खेलते हैं, और अपने-अपने दिन में धमाल भी मचाते हैं. 

किंत...परंतु...लेकिन...विंडीज के फैन्स की ख्वाहिश इस साल भी नहीं पूरी होने वाली. क्योंकि टीम का कोर ही गायब है. कोर ग्रुप वहीं जिसके इर्द-गिर्द टीम बनाई जाती है. जैसे इंडियन टीम ने रोहित शर्मा, विराट कोहली, भुवनेश्वर कुमार के इर्द गिर्द टीम बनाई है. लेकिन विंडीज टीम से ये स्ट्रक्चर मिसिंग है. 

इस टीम के बड़े नाम आंद्रे रसल, सुनील नरेन टीम के साथ जुड़े ही नहीं. अब बचे हुए स्क्वॉड में थोड़े-बहुत अनुभव के साथ आपको सिर्फ ब्रैंडन किंग, इविन लुईस और निकलस पूरन मिल जाएंगे. एक और हैं जिन्होंने फ्लाइट ही मिस कर दी. ठीक पहचाना. शिमरॉन हेटमायर. 

इसमें ब्रैंडन ने अपनी टीम के लिए कुल 32 मैच खेले हैं. निकलस पूरन कप्तान तो हैं, लेकिन टॉप 5 बल्लेबाज के तौर पर उनके रिकॉर्ड्स बहुत उत्साहित नहीं करते. 72 मैच में 25 की एवरेज और 129.02 की स्ट्राइक रेट. लेकिन इतने बड़े टूर्नामेंट से पहले उनके ऐसे आंकड़े तो सेलेक्शन कमिटी ने भी देखे होंगे. चलिए यहां पर बैनिफिट ऑफ डाउट दे देते हैं कमिटी को. टीम युवा है. नई कोर की तलाश चल रही है तो एक खिलाड़ी पर दाव लगाना तो बनता है.

इनके बाद इविन लुईस का ज़िक्र करते हैं. 53 मैच में करीब 29 की एवरेज और 151 के करीब की स्ट्राइक रेट. पहली नज़र में रिकॉर्ड बढ़िया हैं. लेकिन ये रिकॉर्ड उस वक्त बेमानी साबित होते हैं जब करो या मरो की स्थिति में आपका बल्ला खामोश होना पसंद करे. 

अब सवाल कि जीत दिलाएगा कौन? कोर ग्रुप जो कमज़ोर है और सीनियर खिलाड़ी जिसमें जेसन होल्डर अकेले बचे हैं. यानी इस सवाल का जवाब टीम और सेलेक्शन कमिटी को ढूंढना होगा. और हार से ये भी तय हो गया है कि मंथन के लिए वक्त ही वक्त. 

इस टीम को सबसे पहले चलना सीखना होगा. दौड़ना तो दूर की बात.

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