"छोटी बाउंड्री, बड़ा बल्ला...", टीम इंडिया की हार पर सबसे बारीक बात सुनील गावस्कर ने कह दी
Sunil Gavaskar ने लिखा कि टेस्ट क्रिकेट में धैर्य की जरूरत होती है, खास कर उन पिच पर जहां बोलर्स को मदद मिल रही होती है. लेकिन आज के ज्यादातर बैटर्स इसको नहीं मानते हैं.
टेस्ट सीरीज में न्यूजीलैंड से मिली हार के बाद टीम इंडिया की चौतरफा आलोचना जारी है. आलोचना करने वालों में अब पूर्व भारतीय कप्तान सुनील गावस्कर भी शामिल हो गए हैं. गावस्कर ने टीम इंडिया की रणनीति पर सवाल उठाते हुए कहा है कि न्यूजीलैंड से करारी हार के बाद अब ऑस्ट्रेलिया सीरीज पहाड़ पर चढ़ने जैसा लग रहा है. उन्होंने कहा कि किसी ने, यहां तक कि न्यूजीलैंड ने भी, नहीं सोचा होगा कि भारत के खिलाफ वो क्लीन स्वीप करेगी, और वो भी भारत में.
3 नवंबर को तीसरे टेस्ट मैच के तीसरे दिन ही न्यूजीलैंड ने 25 रन से जीत दर्ज की. और तीन मैचों की सीरीज में 3-0 से क्लीन स्वीप कर लिया. यह पहली बार है जब टीम इंडिया होम ग्राउंड पर सभी मैच हार कर सीरीज गंवाई है.
अब इस पर सुनील गावस्कर का स्पोर्ट्स स्टार में एक लेख छपा है. इसमें उन्होंने लिखा,
"छोटी बाउंड्री और बड़े बल्ले का मतलब ये हो गया है कि गलत शॉट से भी छक्के लग रहे हैं. बैटर्स ताकत लगा कर खेल रहे हैं, जैसा वे वॉइट बॉल क्रिकेट में खेलते हैं. इससे होता ये है कि जब बॉल टर्न या उछाल लेती है तो ये स्लिप में फील्डर के पास जाती है. तकनीक से ज्यादा ये टेम्पेरामेंट का मुद्दा है. असल में छोटी बाउंड्री और बड़े बल्ले को लेकर सोच की दिक्कत है. तीन या चार डॉट बॉल खेलने के बाद बैटर्स को लगता है कि वे बड़े शॉट खेलकर मोमेंटम बदल सकते हैं."
गावस्कर ने आगे लिखा कि वॉइट बॉल के साथ ये स्ट्रैटजी काम कर सकती है, क्योंकि ये रेड बॉल की तरह स्विंग या स्पिन नहीं होती है. उन्होंने लिखा कि टेस्ट क्रिकेट में धैर्य की जरूरत होती है, खास कर उन पिच पर जहां बोलर्स को मदद मिल रही होती है. लेकिन आज के ज्यादातर बैटर्स इसको नहीं मानते हैं.
आगे वे लिखते हैं कि एक नई सोच आ गई है कि चाहे जो हो जाए, हम टेस्ट क्रिकेट में भी धुआंधार स्पीड से खेलेंगे. और इसका मतलब है कि गेंदबाजों को थकाने या पिच की कंडीशन सही होने पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया जा रहा है.
ये भी पढ़ें- हरभजन सिंह ने उधेड़कर रख दी टीम इंडिया की कमी, बताया ऐसे क्यों हार रहे हैं हम!
गावस्कर के मुताबिक, आक्रामक रणनीति पर ज्यादा निर्भरता के कारण चेतेश्वर पुजारा और अजिंक्या रहाणे जैसे खिलाड़ियों को प्लेइंग-11 में जगह नहीं मिल रही है. पुजारा और रहाणे ने ऑस्ट्रेलिया अटैक को थका दिया था और फिर इसका फायदा धीमी, लेकिन अच्छी शुरुआत के रूप में मिला. लेकिन यहां पर ये सोच देखने को नहीं मिली. अब इंग्लैंड के बल्लेबाजों की तरह बॉल को पीटने की रणनीति चल रही है, जो विदेशी पिचों पर सफल नहीं रही.
22 नवंबर से पर्थ में भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी का पहला टेस्ट खेला जाएगा. इस सीरीज को लेकर भी गावस्कर ने लिखा कि भारतीय टीम को वहां की पिच पर वॉर्म-अप गेम खेलने की जरूरत है. उनका मानना है कि इससे यशस्वी जायसवाल और सरफराज खां जैसे नए बल्लेबाजों को प्रैक्टिस का अच्छा मौका मिलेगा.
वीडियो: हरभजन सिंह ने गिना दी टीम इंडिया की कमी, बताया ऐसे क्यों हार रहे हैं हम मैच?