The Lallantop
Advertisement

वर्ल्ड कप के महारथी: जोहानसबर्ग में खून की उल्टी, वानखेडे तक लड़ता रहा चैंपियन!

Yuvraj Singh. क्रिकेट इतिहास के सबसे शानदार फाइटर्स में से एक. युवी ने 2011 में जो किया, वो इतिहास में पहली बार हुआ था.

Advertisement
Yuvraj Singh chosen as player of the tournament during 2011 World Cup
वर्ल्ड कप जीतने के बाद युवराज सिंह (तस्वीर - सोशल मीडिया)
pic
पुनीत त्रिपाठी
3 अक्तूबर 2023 (Published: 18:08 IST)
font-size
Small
Medium
Large
font-size
Small
Medium
Large
whatsapp share

20 मार्च, 2011. चिन्नास्वामी स्टेडियम में मेज़बान भारत, वेस्ट इंडीज़ के खिलाफ़ खेल रही थी. भारत ने पहले बैटिंग की. 42वें ओवर की तीसरी बॉल पर सिंगल लेने के बाद युवराज सिंह पिच पर बैठ गए. उल्टी की. शायद थोड़ा-सा खून भी गिरा. एक ब्रेक, और फिर खड़े हो गए युवराज. अंपायर ने उनसे बात की, युवराज ने फिर बैटिंग शुरू की. 45वें ओवर की लास्ट बॉल पर जब युवी आउट हुए, वो 113 रन बना चुके थे. भारत ने बोर्ड पर 240 रन टांग दिए थे. पहली पारी का टोटल, 268.

भारत ने ये मैच 80 रन से जीता. फील्डिंग में जो करते हैं, वो करने के साथ युवी ने डेवन थॉमस और आंद्रे रसल के विकेट्स भी निकाले. 113 रन, दो ज़रूरी विकेट. मैन ऑफ द मैच चुने गए युवराज ने कहा,

'अपनी पारी से खुश हूं. पेट में दर्द हो रहा था. पर मैं आखिर तक बैटिंग करना चाहता था...'

वक्त को वापस मोड़ना मुमकिन नहीं, पर घड़ी के कांटे को पीछे घुमाया जा सकता है. इस कहानी के लिए कांटे को कुछ महीने पहले तक घुमाते हैं. और आपको लिए चलते हैं जोहानसबर्ग. यहां भारत-साउथ अफ्रीका का वनडे मैच चल रहा था. मैच के बाद देर रात युवराज को खांसी आई, फिर खून की उल्टी हुई. ये बात कई सालों बाद खुद युवी ने बताई. बायोप्सी हुई, और उसमें ट्यूमर आया. इस ट्यूमर के साथ युवी वर्ल्ड कप खेलने पहुंचे. उनकी टीम को भी नहीं पता था, उनका स्टार ऑलराउंडर क्या सह रहा है, किस चीज़ से लड़ रहा है.

आप सोच रहे होंगे हम ये क़िस्से आपको क्यों सुना रहे हैं. वनडे वर्ल्ड कप 2023 भारत में हो रहा है. द लल्लनटॉप ने एक नई सीरीज़ शुरू की है 'वर्ल्ड कप के महारथी'. इस सीरीज़ में हम आपको हर वनडे वर्ल्ड कप के प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट के बारे में बताएंगे. हमने 2019 से शुरू किया. पहले केन विलियमसन (2019), और फिर मिचल स्टार्क (2015). अब बारी है युवी पाजी की. क्रिकेट के इतिहास के सबसे तगड़े फाइटर्स में से एक, जिसे चुना गया था 2011 वनडे वर्ल्ड कप का प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट.

# कैसा रहा था वर्ल्ड कप?

- बांग्लादेश को हराने के बाद इंग्लैंड के खिलाफ मैच टाई रहा. दोनों टीम्स ने 338 रन्स बनाए. युवी ने पचासा जड़ा.

- आयरलैंड के खिलाफ अगले मैच में भारत 208 रन चेज़ कर रहा था. युवी ने पांच विकेट लिए थे, और चेज़ में फिर पचासा जड़ा. प्लेयर ऑफ द मैच. 2011 वनडे वर्ल्ड कप में ऐसा पहली बार हुआ. किसी प्लेयर ने एक ही मैच में पचासा जड़ा और पांच विकेट भी लिए. 2019 में शाकिब-अल-हसन ने इसकी बराबरी की.

- द नीदरलैंड्स से अगला मैच. 51 रन, और दो विकेट. एक और मैन ऑफ द मैच. इस मैच के दौरान भी युवी को दिक्कतें आई थी. भारत को अगले मैच में हार का सामना करना पड़ा. साउथ अफ्रीका ने तीन विकेट से जीत हासिल की. इस वर्ल्ड कप में भारत की इकलौती हार.

- फिर वो वेस्ट इंडीज़ का मैच. टीम को मोमेंटम वापस अपनी ओर खींचना था. युवी ने शतक जड़ा, फिर से दो विकेट्स लिए. फिर POTM का अवार्ड.

- ऑस्ट्रेलिया. बड़ी टीम. बड़ा मुकाबला. क्वॉर्टरफाइनल में स्टीव स्मिथ ने शतक जड़ा. जवाब में भारत की पारी लड़खड़ा रही थी, पर युवी ने पहले गौतम गंभीर और फिर सुरेश रैना के साथ पारी को संभाला. 57 रन की पारी, दो विकेट, और एक बार फिर मैन ऑफ द मैच. एक वर्ल्ड कप में चार मैन ऑफ द मैच अवार्ड. पहली बार ऐसा हुआ था. पहली बार ऐसा युवी ने ही किया था.

- सेमीफाइनल में बल्ला नहीं चला, पर युवी ने युनूस ख़ान और असद शफ़ीक को आउट कर पाकिस्तान के मिडल ऑर्डर को तोड़ दिया. भारत ने पाकिस्तान को 231 रन से हराया था.

फिर आई फ़ाइनल की बारी. श्रीलंका. वानखेडे स्टेडियम. श्रीलंका ने टॉस जीता, पहले बैटिंग की. महेला जयवर्धने ने शतक जड़ा. धीमी पिच. मुथैया मुरलीधरन, नुवान कुलसेकरा, लसिथ मलिंगा- इस अटैक के सामने चेज़ करना कभी भी आसान नहीं था. 275 का टार्गेट. 31 रन पर सहवाग-सचिन वापस लौट चुके थे. गंभीर ने 97 रन बनाकर अहम भूमिका निभाई. पर आखिरी रन्स धोनी के बल्ले से आए. वो छक्का हर भारतीय को याद ही है.

ये भी पढ़ें - 'तो वर्ल्डकप जीत ना पाएंगे...', युवराज सिंह क्या कमजोरी बताते हैरान करने वाला बयान दे गए!

युवराज उस वक्त क्रीज़ पर थे. 24 बॉल में 21 रन बनाकर खेल रहे थे. दूसरे छोर पर कैप्टन एमएस धोनी सेट थे. काम सिर्फ साथ देने का था, सो युवी ने सिर्फ साथ ही दिया. कुलसेकरा को लगे उस छक्के के साथ ही धोनी-युवी ने पूरे देश का लंबा इंतज़ार ख़त्म किया था. इंतज़ार, जो 28 साल चला था. सपना, जो तेंडुलकर से लेकर बल्ला उठाने वाला हर बच्चा तक देख रहा था.

टूर्नामेंट में युवी के स्टैट्स. आठ पारियों में 90 की औसत से 362 रन. चार मैच में नाबाद लौटा था ये प्लेयर, टीम को जिताकर. अब बॉलिंग में स्टैट्स देखिए. नौ मैच में 15 विकेट, पांच की इकनॉमी. युवी ने कहा था कि वो इंडिया के इकलौते लेफ्ट ऑर्म स्पिनर हैं, और उन्होंने विकेट्स चटकाने का ज़िम्मा खुद पर ले लिया था. क्या बखूबी लिया ये ज़िम्मा, इस पंजाबी मुंडे ने!

चार मैन ऑफ द मैच जीतने वाले युवराज की फील्डिंग की चर्चा हुई ही नहीं, जो होनी चाहिए थी. युवा बैकवर्ड पॉइंट पर फील्डिंग कर रहे थे, जो लिमिटेड ओवर्स फॉर्मेट में सबसे अहम पोजीशन्स में से एक है. तिलकरत्ने दिलशान ने 500, सचिन ने 482 रन बनाए, शाहिद अफरीदी और ज़हीर ख़ान ने 21-21 विकेट्स लिए, पर जो इम्पैक्ट युवी का था, शायद ही किसी और प्लेयर का रहा हो. युवी ने वर्ल्ड कप में साबित कर दिया था, उनसे बड़ा मैचविनर कोई नहीं. युवराज का हर शॉट, हर बॉल, हर कैच, भारतीय फ़ैन्स के ज़ेहन में दर्ज हो गया.

युवराज सिंह के बाद इस सीरीज़ में हम आपको और पीछे ले चलेंगे. उस प्लेयर की ओर, जिसने 2007 वनडे वर्ल्ड कप में प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट अवार्ड जीता था. आप हमें कॉमेंट्स में बता सकते हैं, ये रिपोर्ट आपको कैसी लगी.

ये भी पढ़ें - गंभीर-कोहली झगड़े का सही इस्तेमाल तो युवराज सिंह ने सुझाया है!

वीडियो: वर्ल्ड कप 2023 की टीम इंडिया देख युवराज टेंशन में क्यों आए?

Comments
thumbnail

Advertisement

Advertisement