22 साल के इंज़माम ना अड़ते, तो सालों पहले इतिहास रच देता विलियमसन का देश!
न्यूज़ीलैंड के लिए एक बंदा नौ मैच में पांच बार नाबाद रहा. जब तक टिका रहा, मैच जिताकर ही दम लिया. पर सेमीफाइनल में इंज़माम ने उनकी मेहनत पर पानी फेर दिया.
वर्ल्ड कप के महारथी सीरीज़ में हमने आपको रिवर्स ऑर्डर में 2019 से 1996 वनडे वर्ल्ड कप के क़िस्से सुनाए. उन प्लेयर्स के बारे में बताया, जिन्होंने इन टूर्नामेंट्स में अपनी छाप छोड़ी. अब बारी है 1992 वर्ल्ड कप. ये पहला वर्ल्ड कप था, जिसमें प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट चुना गया. इस वर्ल्ड कप को जीता पाकिस्तान ने. इमरान ख़ान की टीम.
पाकिस्तानी लोग कहते हैं कि अगर ये वर्ल्ड कप नहीं होता, इमरान कभी पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नहीं बन पाते. उनकी टीम बहुत खराब परिस्थितियों से उबरी और वहां से आगे बढ़कर उन्होंने इस टूर्नामेंट को अपने नाम किया. हालांकि, प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट इमरान की टीम से नहीं आया.
इस वर्ल्ड कप में कई बदलाव देखे गए थे. पहली बार वर्ल्ड कप में रंग-बिरंगी जर्सी पहनी जा रही थी. रंगभेद से लगे बैन के बाद साउथ अफ्रीका पहली बार वर्ल्ड कप खेल रही थी. सचिन तेंडुलकर का पहला वर्ल्ड कप, ब्रायन लारा का पहला वर्ल्ड कप.
पाकिस्तान की टीम के बारे में खुद उनके कप्तान में कहा था, ये फटीचर टीम है. वकार युनूस नहीं थे, सईद अनवर नहीं थे, जावेद मियांदाद के खेलने पर भी शक़ था. पर इमरान की टीम ने शानदार प्रदर्शन किया और दुनिया जीत ली. हालांकि, हम इस रिपोर्ट में बात करेंगे न्यूजीलैंड के एक बल्लेबाज़ की, जिसने अपने बल्ले से कमाल किया था.
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बात मार्टिन क्रो की हो रही है, जिनके पैदा होते ही लगभग तय हो गया था, लड़का क्रिकेट खेलेगा. मार्टिन के पिता डेव और उनके चाचा जेफ, दोनों क्रिकेटर्स ही थें. उनके कज़न रसल क्रो हॉलिवुड के जानेमाने अभिनेता हैं. 19 साल की उम्र में इस लड़के ने न्यूजीलैंड के लिए डेब्यू कर लिया. 21 साल की उम्र में क्रो ने 1983 वर्ल्ड कप के सारे मैच खेले. किवी टीम में उनसे ज्यादा रन्स सिर्फ एक बल्लेबाज़ ने बनाए थे. टैलेंट का सबूत दुनिया को वहीं मिल गया था. आगे चलकर क्रो को कैप्टेंसी भी सौंप दी गई. इसी दौरान 1992 वर्ल्ड कप भी आया, और इत्तेफ़ाक से ये ऑस्ट्रेलिया-न्यूजीलैंड में ही खेला भी जा रहा था.
कैसा रहा था वर्ल्ड कप?- पहले मैच में दोनों होस्ट्स आमने-सामने थे. ऑकलैंड के ईडन पार्क में हुए इस मैच में क्रो ने टॉस जीता और ऑस्ट्रेलिया से फील्डिंग कराई. उनकी टीम ने बोर्ड पर 248 रन चढ़ाए. क्रो ने सेंचुरी लगाई. ऑस्ट्रेलिया के लिए डेविड बून ने भी शतक जड़ा, पर दूसरा कोई भी बल्लेबाज़ 40 रन के आंकड़े को पार नहीं कर सका. ऑस्ट्रेलिया की पारी 211 पर ऑलआउट हो गई. पहले मैच में न्यूजीलैंड को 37 रन की मज़बूत जीत मिली.
- अगला मैच श्रीलंका से था. इस मैच में जॉन राइट और केन रदरफोर्ड ने अच्छी बैटिंग कर 207 के टार्गेट को चेज़ किया. फिर बारी साउथ अफ्रीका की थी. 191 का टार्गेट. इस बार मार्क ग्रेटबैच का बल्ला बोला. 60 बॉल में 68 रन बनाकर ग्रेटबैच ने न्यूजीलैंड को मज़बूत पोजीशन में पहुंचाया. उनका साथ दिया रॉड लैथम ने. रॉड के बेटे टॉम मौजूदा न्यूज़ीलैंड टीम का अहम हिस्सा हैं.
- अगले मैच में ज़िम्बाब्वे पर जीत. पहले बैटिंग कर क्रो ने 43 बॉल में 74 रन बनाए, 172 के स्ट्राइक रेट से बैटिंग करना उन दिनों आम बात नहीं थी. ज़िम्बाब्वे 105 रन तक ही पहुंच सकी. वेस्ट इंडीज़ के खिलाफ 204 का टार्गेट. क्रो ने फिर ज़िम्मा उठाया, फिर रन्स बनाए. 81 बॉल पर 81 रन बनाकर क्रो नाबाद रहे, न्यूजीलैंड ने ये मैच पांच विकेट से जीत लिया.
- जीत का सिलसिला भारत के खिलाफ भी बना रहा. तेंडुलकर के 84 और मोहम्मद अजहरुद्दीन के 54 रन की मदद से भारत 230 तक पहुंची थी. पर मार्क ग्रेटबैच और एंड्र्यू जोन्स ने पचासे जड़कर न्यूज़ीलैंड को चार विकेट से मैच जिताया.
- अगला मैच इंग्लैंड से था. 201 का टार्गेट न्यूजीलैंड ने 40 ओवर में ही छू लिया. जोन्स ने 78 और क्रो ने 73 रन बनाकर जीत पक्की की. छह मैच, छह जीत. क्रो की टीम कमाल का प्रदर्शन कर रही थी.
- पाकिस्तान से ग्रुप स्टेज का आखिरी मैच था. पाकिस्तान ने न्यूज़ीलैंड को बैटिंग करने भेजा. न्यूजीलैंड चेज़ कर लगातार मैच जीत रही थी. पाकिस्तान का दांव सही चल गया. ग्रेटबैच को छोड़कर कोई बल्लेबाज़ नहीं चला. पेसर गाविन लार्सेन 37 रन ना बनाते, तो न्यूजीलैंड का टोटल शायद 150 तक भी नहीं पहुंच पाता. पर उससे कोई ख़ास फर्क पड़ा नहीं. इमरान ख़ान की टीम ने क्रो की टीम को एकतरफा हराया. रमीज़ राजा ने 119 रन बनाकर मैच ही ख़त्म कर दिया. पाकिस्तान ने सेमीफाइनल की उम्मीद बचा ली.
- क्रो की टीम ने अबतक अच्छा परफॉर्म किया था. सेमीफाइनल का टिकट उनके पास पहले ही था. हालांकि, सेमीफाइनल में इस टीम का सामना फिर से पाकिस्तान से ही हो गया. पिछले मैच में क्या हुआ था, आप जानते ही हैं. टीम ने हार से सीख ले ली थी. क्रो ने टॉस जीतकर बैटिंग करने का फैसला लिया. कुछ पिछले मैच के बाद पॉइंट प्रूव करना था, कुछ पिच की गवाही थी.
ख़ैर, बैटिंग अच्छी हुई. क्रो ने 83 बॉल में 91 रन की शानदार पारी खेली. वसीम अकरम, आक़िब जावेद, मुश्ताक अहमद, इमरान ख़ान, किसी को समझ नहीं आ रहा था, उन्हें आउट कैसे किया जाए. आखिरकार एक सिंगल के चक्कर में क्रो रनआउट हो गए. वर्ल्ड कप सेमीफाइनल में 263 का टार्गेट कम नहीं था.
क्रो की टीम कॉन्फिडेंट थी. ये कॉन्फिडेंस और बढ़ गया जब रमीज़ राजा और इमरान ख़ान, दोनों 134 रन से पहले ही आउट हो गए. फिर आई इस टूर्नामेंट की सबसे यादगार पारी. वो पारी, जिसने पाकिस्तान को अपना फ्यूचर कैप्टन भी दे दिया. इंजमाम-उल-हक ने 37 बॉल में तूफ़ान ला दिया. सात चौके और एक छक्के के साथ इंज़ी ने 60 रन बनाए और पाकिस्तान को 45वें ओवर तक 227 तक पहुंचा दिया. जावेद मियांदाद ने एक छोर संभाले रखा और पाकिस्तान को फ़ाइनल तक पहुंचाया. क्रो का वर्ल्ड कप फ़ाइनल खेलने और जीतने का सपना, सपना रह गया.
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114 के औसत से क्रो ने शानदार बैटिंग की. नौ मैच में वो पांच बार नाबाद रहे थे. इस दौरान उन्होंने 456 रन बनाए. एक शतक, चार पचासे, 90 का स्ट्राइक रेट. एक-के-बाद-एक कई सारी मैच विनिंग पारियां. क्रो ने अच्छी कैप्टेंसी भी की, और न्यूजीलैंड को सेमीफाइनल तक ले गए.
हालांकि, इंजमाम-उल-हक की एक शानदार पारी ने पूरी टीम का काम खराब कर दिया. उतने हाई-प्रेशर में वैसी पारियां कम ही देखी गई हैं. क्रो इस वर्ल्ड कप के बाद क्रिकेट के इतिहास में दर्ज हो गए. 1992 पहला वर्ल्ड कप था, जिसमें प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट अवार्ड चुना गया था. 2016 में कैंसर से क्रो का देहांत हो गया.
इस सीरीज़ में हमने आपके साथ 2019 से 1992 तक का सफर तय किया. कॉमेंट्स में हमें बताएं, आपको ये सीरीज़ कैसी लगी.
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