'आपकी पाकिस्तान के ख़िलाफ़ खेली इनिंग ने विश्वकप को सफ़ल बना दिया है'
विश्वकप के आयोजक सदस्य ने जब भारतीय बल्लेबाज़ को फैक्स कर ये कहा था.
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3 मार्च 2003. प्रिटोरिया के सबसे महंगे होटल का एक कमरा. सेंच्युरियन से लगभग आधे घंटे की दूरी पर. सेंच्युरियन कुछ 40 घंटे पहले वन-डे क्रिकेट की सबसे ऐतिहासिक इनिंग्स का गवाह बना था. सचिन तेंडुलकर ने 75 गेंदों में 98 रन बनाये थे.
उस दिन को तमाम वजहों से याद रखा जा सकता है - सचिन के 98 रन, उनका डायपर पहन कर खेलना, शोएब अख्तर के करियर का सबसे महंगा 10 ओवर का स्पेल, थर्ड मैन के ऊपर लगा छक्का, रज़्ज़ाक का कैच छोड़ना और वसीम अकरम का उन्हें गाली देते हुए पूछना,
'तुझे पता है तूने किसका कैच छोड़ा है?'या फ़िर मैच ख़तम होने के बाद प्रेज़ेंटेशन सेरेमनी में होस्ट रॉबिन जैकमैन के ऐतिहासिक शब्द जिसमें वो पूरी कोशिश कर रहे थे कि दर्शकों के शोर के बीच उनकी आवाज़ उनके मुंह से तीन अंगुल दूर मौजूद माइक्रोफ़ोन में कैसे भी पहुंच जाए. लेकिन तमाम कहानियों में जो कहानी मुझे सबसे ज़्यादा पसंद आई वो थी उस एक ख़त की कहानी जो कि मैच ख़तम होने के दो दिन बाद सचिन को मिला.
फ़ैसल शरीफ़ आगे चलकर तो IPL के डिजिटल डायरेक्टर बने लेकिन 2003 में वो बतौर जर्नलिस्ट क्रिकेट पर लिखा करते थे. सचिन तेंडुलकर ने उन्हें बातचीत करने के लिए वक़्त दिया था. फ़ैसल होटल में पहुंचे तो उन्हें बताया गया कि सचिन के लिए एक ख़त इंतज़ार कर रहा है जिसे उन्हें साथ में लेकर ऊपर सचिन के कमरे में जाना है. फ़ैसल ने जब ऊपर पहुंच कर सचिन के कमरे का दरवाज़ा खटखटाया तो हाथ में रिमोट लिए सचिन ने दरवाज़ा खोला. सचिन का पहला वाक्य था,
'श्री लंका ने टॉस जीत लिया है और पहले बैटिंग करेगी.'
विश्वकप 2003 के दौरान सचिन तेंडुलकर और सौरव गांगुली की तस्वीर. फोटो: Getty Images
ये जानकारी देने के बाद उन्हें अपनी शिष्टता का ख़याल आया और उन्होंने फ़ैसल को हेलो कहा. फ़ैसल ने तुरंत ही कहा कि साउथ अफ़्रीका को मुश्किल होगी क्यूंकि उन्हें किंग्समीड में रात में स्कोर चेज़ करना होगा. सचिन ने जवाब दिया कि ऐसी कोई बात नहीं है, दिन हो या रात, अंत में बात टिककर बैटिंग करने पर आ जाती है और आपको कैसे भी स्कोर का पीछा करना होता है.
ये वाकई कोई ऐसा खिलाड़ी ही कह सकता था जिसने कुछ ही घंटों पहले 75 गेंदों में 98 रन बनाए थे. जिसने सिर्फ़ एक शॉट से दुनिया के सबसे तेज़ बॉलर को दो कदम पीछे हट जाने पर मजबूर कर दिया था. उसने क्रिकेट को इतना आसान बना दिया था कि खेल से जुड़े सफ़ेद बालों वाले बुद्धिमानों की सारी नुक्ताचीनियां विशुद्ध बकैती मालूम देने लगी थी. लाइट्स, मैदान वगैरह-वगैरह के मायने सचिन के लिए ख़तम हो गए थे. वो अब 'चाहे कोई भी कंडीशन या सिचुएशन हो, टिक कर बैटिंग करना और स्कोर चेज़ करना होता है' वाले ज़ोन में था. वहां खेलने का अलावा बाकी सब बेमानी था.
सचिन जितनी भी देर फ़ैसल से बात कर रहे थे, उनकी नज़रें टीवी की ओर थीं. ये कोई बेअदबी नहीं थी बल्कि उनकी आगे के वर्ल्ड कप की तैयारी का हिस्सा था. सचिन का कहना था कि साउथ अफ़्रीका से शायद इंडिया को आगे खेलना पड़े और उनकी टीम में एक नए बॉलर के बारे में उन्होंने सुन रखा था. श्री लंका के ख़िलाफ़ वो खेल रहा था इसलिए वो उसकी गेंदबाज़ी को गौर से देखना चाहते थे. ये बॉलर था 21 साल का मोंडे ज़ोंडेकी.
इसके बाद फ़ैसल ने सचिन तेंडुलकर से कुछ डेढ़ घंटे बात की. इंटरव्यू शुरू होने से ठीक पहले सचिन ने उस ख़त को पढ़ा. असल में वो एक फ़ैक्स था. भेजने वाले का नाम था डॉक्टर अली बाखर. अली 2003 वर्ल्ड कप ऑर्गनाइज़िंग कमिटी के मुखिया थे और ख़त में उन्होंने सचिन से कहा था -
'हम चाहते थे कि ये वर्ल्ड कप अब तक का सबसे शानदार वर्ल्ड कप हो. आप की पाकिस्तान के ख़िलाफ़ खेली इनिंग्स ने हमारे इस इवेंट को सफ़ल बना दिया है. शुक्रिया.'
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