रोहित-आगरकर के टीम सेलेक्शन को मत देखिए, मौज आ रही है... आने दीजिए
रोहित-आगरकर के सेलेक्शन और प्रेस कॉन्फ़्रेंस की चीर-फाड़.
कथनी- टीम का बैलेंस देखना होगा. दो रिस्ट स्पिनर्स को फिट करना मुश्किल था.
करनी- रविंद्र जडेजा, अक्षर पटेल टीम में.
कथनी- तिलक में बहुत उम्मीद दिखी, इसलिए उन्हें लिया.
करनी- संजू सैमसन में भी एक वक्त ऐसा ही सबकुछ दिखा था, आज वो कहां हैं?
रोहित शर्मा और अजीत आगरकर ने मिलकर Asia Cup 2023 के लिए भारतीय टीम अनाउंस की. और इस अनाउंसमेंट पर उठे सवालों के जवाब देते वक्त फिर से स्वीट टॉक हो गई. कप्तान साब ने चार जोक मार दिए, सभा में बैठी जनता हंस दी. बात खत्म हो गई.
लेकिन इस टीम में इतनी समस्याएं हैं, कि क्या ही कहा जाए. रविंद्र जडेजा की कॉपी अक्षर पटेल, हार्दिक पंड्या लेफ्ट आर्म बैट्समैन के आगे इन्हें बोलिंग ही नहीं देते. और अगर ये दोनों एक जैसे हैं, तो लेफ्टी के आगे फिर जड्डू को भी बोलिंग नहीं मिलेगी?
एक बोलिंग ऑप्शन कम हो गया. और जब ऐसा हुआ, तो जाहिर तौर पर लोगों को वो बल्लेबाज याद आते हैं तो थोड़ी-बहुत बोलिंग भी कर सकें. सचिन, गांगुली, सहवाग, रैना जैसे लोग. जो इस टीम में एकदम नहीं हैं. और जब इस बारे में कुछ पूछा गया तो कप्तान साब बोले,
'ओवरनाइट थोड़े ना होगा.'
आगे उन्होंने हंसी-मजाक में ये भी कहा कि शर्मा-कोहली यानी खुद और पूर्व कप्तान विराट कोहली एशिया कप में बोलिंग करेंगे. लेकिन ऐसी ही बातें तो हम पहले भी सुन चुके हैं. छोटे कप्तान हार्दिक ने भी बल्लेबाजों से बोलिंग कराने की बात की थी. लेकिन नतीजा क्या निकला?
बल्लेबाजों से बोलिंग कराने का मतलब ये थोड़े है कि मेन बोलर्स से बोलिंग ही ना कराएं. और इतना ही नहीं. इसी प्रेस कॉन्फ़्रेंस में रोहित ने कहा कि वो चाहते हैं कि नंबर आठ और नौ पर भी बैट चलाने वाले लोग रहें. जबकि हार्दिक हाल ही में बोल रहे थे कि उनका फंडा क्लियर है, सात बैटर और चार बोलर.
बताइए, टीम इंडिया के तमाम कप्तानों में से दो मुख्य ही एकमत नहीं हैं. और समस्या यहीं नहीं खत्म होती, इस टीम के साथ इतनी समस्याएं हैं कि कप्तान छोड़िए, यहां कोच भी टिकाऊ नहीं है. कभी द्रविड़, कभी लक्ष्मण तो कभी सितांशु कोटक. और इन तमाम लोगों ने मिलकर एशिया कप के लिए इंजर्ड केएल राहुल को चुन लिया.
जी हां, राहुल जी इंजर्ड हैं. ये बात आगरकर जी ने ही बताई. और ये भी कहा कि उनके बैकअप के रूप में संजू सैमसन को रखा गया है. संजू बैकअप हैं, सूर्या टीम में हैं. संजू और सूर्या के स्टैट्स देखेंगे तो हाथ-पैर-मुंह-सर... सब पीटने का मन करेगा. इतना भारी अंतर है कि संजू के स्टैट्स से कम से कम दो सूर्या निकलेंगे. और उसके बाद भी कुछ रन बच ही जाने हैं.
लेकिन आपको संजू पर भरोसा नहीं है. आप सूर्या को लंबी रस्सी, अंग्रेजी में Longer Rope दे रहे हैं. इससे कोई समस्या भी नहीं है. लेकिन कोई सेंस तो बनना चाहिए ना. संजू के पास उमर है, हुनर है और सालों से इंडिया के लिए खेलने का अनुभव भी है.
संजू अपने डेब्यू के बाद से उन्होंने कुल बारह पारियां खेली हैं. जबकि सूर्या के नाम नौ तो सिंगल डिजिट स्कोर हैं. फिर भी सेलेक्टर्स को सूर्या पर ज्यादा भरोसा है, जबकि संजू ये भरोसा जीत ही नहीं पा रहे. लेकिन इससे क्या, हम लोगों को तो फ़नी प्रेस कॉन्फ़्रेंस मिल गई, मौज करिए. टूर्नामेंट्स तो आते-जाते रहेंगे.
वीडियो: रोहित शर्मा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में फ्लेक्सिबिलिटी का मतलब अच्छे से समझा गए!