2002. टीम इंडिया में एक लड़का आया. लड़का भी नहीं. बच्चा. हाइट इतनी कि गिलेस्पीवगैरह से बात करनी हो तो माथे पर पंजा फैला के धूप रोक कर बात करता था. नॉटिंघम मेंपहला मैच खेला. टीम इंडिया सालों बाद स्पेशलिस्ट विकेट कीपर के साथ खेल रही थी. येवो दौर था जब कीपिंग पर बैटिंग को उस तरह से तरजीह नहीं दी जाती जैसी आज T20 केज़माने में दी जाने लगी है. उस वक़्त कीपिंग स्किल अपर हैंड हुआ करती थी. बाकी,पार्थिव की बैटिंग भी कुछ कम नहीं थी. 2004 में पार्थिव को ड्रॉप कर दिया गया. पहलाबड़ा ब्रेक. उनकी कीपिंग और बैटिंग, दोनों में ही खामियां नज़र आ रही थीं. ये ब्रेकथा चार साल का. 2004 से 2008 तक. इस बीच कुल 43 टेस्ट मैच मिस किये. एक टेस्ट मैचखेला 2008 में. धोनी को रेस्ट दिया गया था. ये दौर धोनी का था. ऐसे में किसी का भीविकेट कीपर होना एक बुरा स्वप्न ही था. उसे तब ही मौका मिल सकता था जब धोनी या तोचोटिल हों या उनका मैच खेलने का मूड न हो. उन्हें ड्रॉप तो क्यूं ही किया जाता.खैर. एक टेस्ट मैच. श्री लंका के खिलाफ़. श्री लंका में. कुल रन 14. एक इनिंग्स में13. दूसरी में एक. फिर से ड्रॉप. अगले 83 मैच में पार्थिव पटेल को नहीं खिलाया गया.वो टीवी पर मैच देख रहे थे. डोमेस्टिक सर्किट में अच्छा खेल रहे थे. मगर हाय येबदनसीबी. धोनी था कि डटा हुआ था. धोनी के जाने तक साहा अपनी ओर ध्यान खींच चुके थे.पार्थिव दिखते थे तो IPL में. वो रन बना रहे थे और बनाये जा रहे थे. उन पर T20बैट्समैन का ठप्पा लग चुका था. टेस्ट में उनकी जगह जा चुकी थी. 83 मैच बाद धोनी केजाने और साहा के चोट लगने के बाद फाइनली एक वो पॉइंट आया, जहां पार्थिव ही एकमात्रचॉइस दिख रहे थे. ऋषभ पन्त कहीं भी पार्थिव से आगे नहीं दिख रहे थे.इंडिया के सामने चुनौती ये थी कि पाकिस्तान के धांसू बॉलिंग अटैक के सामने सहवाग@virendersehwag के साथ ओपनिंग कौन करेगा. आकाश चोपड़ा की जगह किसे भेजा जाए? ऐसेमें कप्तान गांगुली ने पार्थिव पटेल @parthiv9 की तरफ इशारा किया. #ParthivPatel#Sehwag #INDvsPAKhttps://t.co/SN5qKnU1vg— Lallantop Sports (@LallantopSports) March 9, 2022 उस वक्त तक कुल मिलाकरपार्थिव पटेल ने 21 मैच खेले थे. और 127 मैच मिस किये थे. धोनी के आने से पहले सेखेल रहा है. धोनी के जाने के बाद फिर ग्लव्स पहने खड़ा था. पहले मैच के 14 साल 111दिन बाद वह अपना बाइसवां मैच खेल रहा था. और इस पॉकेट-साइज़ के पोर्टेबल विकेटकीपरने दूसरी इनिंग्स में 54 गेंद में 67 रन बनाये. स्ट्राइक रेट 124.07 का. 11 चौके औरएक छक्का. हुआ ये कि इनिंग्स के ग्यारहवें ओवर में फ्लड लाइट्स ऑन कर दी गयी थीं.क्यूंकि रोशनी कम होने लगी थी. और हाल ये हो गया था कि रोशनी कुछ और कम होती तो मैचबंद करवा दिया जाता. भले ही मैच से पहले दोनों कप्तान मैच को लाइट्स में खेलने काक़रार कर चुके होते हैं, मगर नेचुरल लाइट्स के पूरी तरह से बंद हो जाने पर मैच नहींखेला जाता है. ऐसे में अगले दिन टीम को 40-50 रन बनाने पड़ते. पार्थिव ने गियर बदला.चौथे में पहुंचे. और लगे गेंद पीटने. दूसरी इनिंग्स में पार्थिव के ऊपर एक पैसे काप्रेशर नहीं था. कुछ भी खोने को नहीं था. वो रिप्लेसमेंट के तहत आये थे. मतलब साहाअगर अगले मैच के लिए अवेलेबल होते हैं तो पार्थिव को वापस जाना होगा. यही सोचकरशायद वो खेल रहे थे. हालांकि इस मैच के बाद पार्थिव को टीम इंडिया के लिए तीन औरटेस्ट मैच खेलने के मौके मिले. लेकिन लंबे वक्त तक टीम से बाहर रहने की वजह सेउन्होंने 9 दिसंबर 2020 को क्रिकेट से संन्यास ले लिया. पार्थिव पटेल ने भारत केलिए कुल 25 टेस्ट मैच, 38 वनडे और दो T20 मुकाबले खेले हैं.