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जयसूर्या ने 12 गेंदों में खत्म कर दिया था इस भारतीय के 12 साल का करियर

वो खिलाड़ी जिसके होम ग्राउंड पर फैंस ने लगाए थे हाय-हाय के नारे.

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मनोज प्रभाकर ने टीम इंडिया के लिए 130 वन डे और 39 टेस्ट मैच खेले हैं. फोटो- इंडिया टुडे आर्काइव
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विपिन
2 मार्च 2020 (Updated: 2 मार्च 2020, 17:26 IST)
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2 मार्च, साल 1996. विल्स क्रिकेट विश्वकप. दिल्ली का फिरोज़ शाह कोटला मैदान. टूर्नामेंट का 24वां मैच. इस मैच को टीम इंडिया की हार के अलावा एक ऐसे खिलाड़ी की विदाई के लिए याद किया जाता है, जो 12 साल टीम इंडिया के लिए खेला. और इस एक मैच ने उसका करियर तबाह कर दिया. नाम है मनोज प्रभाकर.
टीम इंडिया के पूर्व दाएं हाथ के बल्लेबाज़ और मीडियम पेसर ऑल-राउंडर. 1983 में कपिल की टीम विश्वकप जीती. इसके अगले ही साल मनोज को टीम इंडिया का टिकट मिल गया. तब वो 21 साल के थे. उस वक्त मनोज ने बिल्कुल भी नहीं सोचा होगा कि जिस टीम के खिलाफ उन्होंने पहली बार भारतीय टीम की जर्सी में क्रिकेट के सपने की शुरुआत की. 12 साल बाद उसी के खिलाफ खेला गया मैच उनका आखिरी मैच साबित होगा. और उनका करियर अचानक से खत्म हो जाएगा.
2 मार्च, 1996 को क्या हुआ था?
दिल्ली का अरुण जेटली क्रिकेट स्टेडियम. तब वो फिरोज़ शाह कोटला स्टेडियम के नाम सा जाना जाता था. वर्ल्ड कप का 24वां मैच. भारत और श्रीलंका आमने-सामने थे. श्रीलंका के कप्तान अर्जुना राणातुंगा ने टॉस जीतकर पहले फील्डिंग ली. भारतीय फैंस खुश थे. पारी की शुरुआत करने सचिन तेंडुलकर के साथ मनोज प्रभाकर उतरे थे. लेकिन वो मनोज का दिन नहीं था. सिर्फ सात रन बना पाए और पुष्पकुमारा की गेंद पर गुरुसिंहा को कैच देकर चलते बने.
मनोज वापस लौट गए. लेकिन सचिन उस दिन अलग ही रौद्र रूप लेकर उतरे थे. श्रीलंकाई गेंदबाज़ों की ऐसे धुलाई कर रहे थे कि मानो आज ही विश्वकप का फाइनल हो. सचिन ने इस पारी में पांच छक्के, आठ चौकों के साथ 137 रन बनाए. उनके अलावा कप्तान मोहम्मद अज़हरुद्दीन ने नाबाद 72 रन. टीम इंडिया ने 272 रनों का बड़ा लक्ष्य श्रीलंका के सामने रख दिया.
अब वो लम्हा आना था जिसने मनोज प्रभाकर के लिए 2 मार्च की तारीख को दर्दनाक कर दिया. श्रीलंकाई टीम 272 रनों को चेज़ करने मैदान में उतरी. श्रीलंका के सबसे विस्फोटक बल्लेबाज़ सनत जयसूर्या ने रोमेश कालूविथरना के साथ पारी की शुरुआत की. 90 के दशक में ये जोड़ी वर्ल्ड क्रिकेट की खतरनाक ओपनिंग जोड़ी होती थी.
भारत की तरफ से गेंदबाज़ी की शुरुआत की मनोज प्रभाकर ने. वही प्रभाकर जो बल्ले से भी पारी की शुरुआत करने उतरे थे. लेकिन पहले ओवर में ही कालूविथरना ने उनपर जमकर हमला बोला और ओवर से 11 रन ले लिए. इसके बाद तीसरे ओवर में कप्तान अज़हर ने फिर से प्रभाकर को गेंद दे दी. लेकिन शायद वो भी नहीं जानते थे कि इस ओवर में जयसूर्या उनकी गेंदों को वो हाल करने वाले हैं कि वो फिर कभी मैदान पर भारत के लिए गेंदबाज़ी नहीं कर पाएंगे.
ये मैदान प्रभाकर का होम ग्राउंड था, उस समय वो दिल्ली स्टेट टीम के कप्तान भी थे. लेकिन प्रभाकर के खिलाफ दर्शकों में इतना गुस्सा था कि मैदान पर फैंस 'प्रभाकर हाय-हाय' नारे लगाने लगे. ऐसे गिने-चुने ही क्रिकेटर्स होंगे जिन्हें अपने होम ग्राउंड पर इस तरह की हूटिंग सुनने को मिली होगी.
तीसरे ओवर की पहली गेंद पर जयसूर्या ने चार रन ले लिए. लगा अगली गेंद पर प्रभाकर श्रीलंकई रनरेट को रोकेंगे. लेकिन अगली ही गेंद पर जयासूर्या ने लेग साइड पर लंबा छक्का जड़ दिया. अब तक दो गेंदों पर 10 रन आ चुके थे. ओवर की तीसरी गेंद पर कोई रन नहीं आया. लेकिन चौथी गेंद पर फिर से जयसूर्या ने लेग साइड पर चौका लगा दिया.
प्रभाकर को कुछ समझ नहीं आ रहा था कि ओवर की पांचवी गेंद को जयसूर्या ने कट शॉट के साथ चार रनों के लिए भेज दिया. आखिरी गेंद पर विकेटों के पीछे एक और चौका लेकर जयसूर्या ने ओवर से कुल 22 रन बटोर लिए.
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श्रीलंका के खिलाफ मैच में हार के बाद सचिन, मनोज और संजय. फोटो: AP

अब मिडिल ओवर्स में कप्तान अज़हर ने फिर से प्रभाकर को गेंद दी. लेकिन जब वो मैच के अपने आखिरी दो ओवर फेंकने आए तो कुछ अलग दिखा. वो मीडियम पेसर से एक ऑफ स्पिन गेंदबाज़ बन गए. ये देखकर किसी भी फैन को यकीन नहीं हो रहा था. बहुत से क्रिकेट देखने वालों ने ऐसा मैदान पर शायद ही कभी देखा था. आखिर के अपने दो ओवरों में भी प्रभाकर ने 14 रन खर्चे.
लेकिन इस मैच में चार ओवरों में 47 रन लुटा दिए थे. और यही स्पेल टीम इंडिया से उनकी छुट्टी का कारण बना.
इस विश्वकप के बाद भारतीय टीम को इंग्लैंड जाना था. लेकिन प्रभाकर को टीम में जगह नहीं मिली. इस फैसले के बाद उन्होंने क्रिकेट जगत से संन्यास का ऐलान कर दिया.


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