2011 वर्ल्ड कप फाइनल में युवी से पहले धोनी के आने का 'दूसरा' कारण जानते हैं आप?
नहीं जानते तो मुरली की सुनिए.
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2011 का World Cup फ़ाइनल. बेहतरीन फॉर्म में चल रहे युवराज सिंह से पहले कप्तान महेंद्र सिंह धोनी बैटिंग करने आए. लोगों को यह अजीब लगा. लेकिन फिर धोनी ने कमाल की बैटिंग करते हुए 91 रन की नाबाद पारी खेली. और मैच फिनिश करने के लिए उनका लगाया हुआ छक्का हमेशा के लिए इतिहास में दर्ज हो गया.
फाइनल में धोनी के युवी से पहले आने पर कई कहानियां हैं. कोई कहता है कि क्रीज़ पर लेफ्ट-राइट कॉम्बिनेशन को बनाए रखने के लिए धोनी पहले आए, तो किसी का दावा है कि टीम को दवाब से निकालने के लिए धोनी ने ऐसा किया. विरेंदर सहवाग की मानें तो धोनी ने ऐसा सचिन तेंडुलकर के कहने पर किया था.
# Murali का खुलासा
लेकिन इन सभी कहानियों से अलग पूर्व श्रीलंकाई स्पिनर मुथैया मुरलीधरन का अपना ही दावा है. मुरलीधरन का कहना है कि धोनी ने वह निर्णय उनकी वजह से लिया. मुरलीधरन का मानना है कि IPL में चेन्नई की टीम में होने की वजह से धोनी उनकी 'दूसरा' को अच्छे से पढ़ लेते थे, लेकिन युवराज के लिए इसे समझना आसान नहीं होता.
क्रिकइंफो से बात करते हुए मुरलीधरन ने कहा,
'मैं कहूंगा कि चेन्नई के नेट्स पर मेरी बोलिंग खेलने के चलते धोनी को मेरी दूसरा अच्छे से समझ आती थी. मुझे याद है कि वर्ल्ड कप के दौरान युवराज सिंह को मेरी दूसरा समझ नहीं आती थी. फाइनल में उन्हें ही बल्लेबाजी करने उतरना था, लेकिन मुझे लगता है कि मेरी वजह से धोनी पहले बल्लेबाज़ी करने उतरे.'मुरलीधरन का कहना है कि बहुत कम ऐसे भारतीय बल्लेबाज़ थे जो उनकी दूसरा को समझ पाते थे. भारतीय टीम में सचिन तेंडुलकर, वीवीएस लक्ष्मण और गौतम गंभीर ऐसे बल्लेबाज थे जो उनकी दूसरा को पढ़ पाते थे. यही नहीं श्रीलंका की टीम में भी सिर्फ कुछ ही बल्लेबाज़ उनकी इस गेंद को समझ पाते थे. मुरलीधरन ने कहा,
'सचिन तेंडुलकर निश्चित तौर पर पढ़ लेते थे. मुझे लगता है राहुल द्रविड़ उतना अच्छे से नहीं समझ पाते थे. लक्ष्मण और गंभीर दोनों ही समझ जाते थे. सहवाग के बारे में मुझे नहीं लगता कि वे हर बार समझ पाते थे.जब मैं दूसरा फेंकता था, तो मैं गेंद की सीम का इस्तेमाल नहीं करता था. तो आप सीम देख कर तो नहीं समझ सकते. आपको उसे पढ़ने के लिए मेरी कलाई को ध्यान से देखना पड़ेगा. श्रीलंकाई बल्लेबाज़ों की बात करूं तो संगकारा, जयवर्धने, अरविन्द डिसिल्वा और मर्वन अट्टापट्टू पढ़ लेते थे. दिलशान को कभी समझ नहीं आया.'बता दें कि मुरलीधरन इंटरनेशनल क्रिकेट में सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले गेंदबाज़ हैं. उनकी इस कामयाबी का सबसे बड़ा कारण था उनका बल्लेबाज़ों को चकमा देना. बल्लेबाज़ समझ नहीं पाते थे की गेंद किस तरह टर्न होगी और अपना विकेट मुरली को दे बैठते थे. मुरलीधरन के नाम वनडे में 534 और टेस्ट में 800 विकेट हैं. किसी भी दूसरे गेंदबाज ने इनसे ज्यादा विकेट ना तो वनडे में लिए हैं और ना ही टेस्ट में.