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BCCI का ये टीम सेलेक्शन हमें फिर T20 वर्ल्ड कप हराएगा!

इस साल अक्टूबर-नवंबर में T20 वर्ल्ड कप होना है. और शेड्यूल देखें तो उससे पहले टीम इंडिया को 10 T20 मैच खेलने हैं. और इस शेड्यूल की शुरुआत IPL2022 के बाद शुरू हो रही इंडिया-साउथ अफ्रीका सीरीज से होगी. इस सीरीज के लिए इंडियन क्रिकेट टीम घोषित हो गई है.

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South Africa, Team India, KL Rahul
South Africa के खिलाफ़ Team India की अगुवाई KL Rahul करेंगे (पीटीआई फोटो)
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सूरज पांडेय
22 मई 2022 (Updated: 22 मई 2022, 03:08 IST)
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इस साल अक्टूबर-नवंबर में T20 वर्ल्ड कप होना है. और शेड्यूल देखें तो उससे पहले टीम इंडिया को 10 T20 मैच खेलने हैं. अगर जुलाई थर्ड वीक के बाद वर्ल्ड कप शुरू होने तक कोई और सीरीज ना आ जाए. अभी तक के शेड्यूल में कुल यही 10 मैच दिख रहे हैं. और इस शेड्यूल की शुरुआत IPL2022 के बाद शुरू हो रही इंडिया-साउथ अफ्रीका सीरीज से होगी.

इस सीरीज के लिए इंडियन क्रिकेट टीम घोषित हो गई है. और अब मैं आपको बताऊंगा कि क्यों ये टीम सेलेक्शन पहले ही हमें T20 वर्ल्ड कप की रेस से बाहर कर रहा है.

# टीम का फिनिशर कौन?

इस टीम में केएल राहुल, रुतुराज गायकवाड़, ईशान किशन, श्रेयस अय्यर, दीपक हूडा, ऋषभ पंत, हार्दिक पंड्या, वेंकटेश अय्यर और दिनेश कार्तिक जैसे बैटर हैं. और कार्तिक को छोड़कर ये सारे के सारे टॉप-4 में खेलते हैं. वेंकटेश अय्यर को जरूर KKR ने मिडल ऑर्डर में ट्राई किया है. और साथ ही वह मध्य प्रदेश के लिए भी मिडल ऑर्डर में खेलते हैं. लेकिन बीते बरस के जिस प्रदर्शन के दम पर उन्हें इंडियन टीम में एंट्री मिली थी, वह ओपन करते हुए आया था.

जबकि एक दौर के फिनिशर रहे हार्दिक भी गुजरात के लिए लगातार नंबर-4 खेले हैं. ऐसे में मेरी समझ में नहीं आ रहा कि मेकशिफ्ट ओपनर्स और मेकशिफ्ट विकेटकीपर्स के बाद हम मेकशिफ्ट फिनिशर्स के साथ क्यों जा रहे हैं? अगर हम हार्दिक को फिनिशर देख रहे हैं तो उन्हें क्यों नहीं कहा गया कि वो गुजरात में भी मुंबई वाला अपना रोल जारी रखें? और अगर हार्दिक हमारे फिनिशर नहीं हैं तो हम टॉप-4 में किस-किसको एडजस्ट करेंगे? और क्या डीके को किसी का साथ नहीं चाहिए होगा?

इनके अलावा दीपक हूडा को छोड़कर बाकी बचे सारे नाम या तो ओपन करते हैं या नंबर तीन खेलते हैं. ऐसे में ये किस वैज्ञानिक का प्लान था कि इतने अहम साल में हम अपनी टीम में सारे टॉप ऑर्डर के बल्लेबाज ही भर लें?

# ऑलराउंडर्स कहां हैं?

ऑन पेपर तो इस टीम के पास ऑलराउंडर के रूप में दीपक हूडा, हार्दिक पंड्या, वेंकटेश अय्यर और अक्षर पटेल हैं. लेकिन इन्हें थोड़ा क़रीब से देखें तो हूडा और वेंकी कभी-कभार ही बोलिंग करते हैं. जबकि अक्षर की बैटिंग और बोलिंग में गहरा अंतर है. अब बचे हार्दिक. तो भैया हार्दिक ने इस IPL सीजन ज्यादातर बार नई गेंद से बोलिंग की है.

और भुवी, आवेश, उमरान और अर्शदीप के रहते हुए उन्हें नई गेंद कैसे मिलेगी? और फिर उनकी फिटनेस वाली समस्या है ही. लंबे वक्त से वह चोट से जूझ रहे हैं. कभी बोलिंग लायक फिट होते हैं तो कभी नहीं. ऐसे में वर्ल्ड कप की प्लानिंग में हम किस ऑलराउंडर के साथ जा रहे है? अनफिट वाले, जो बोलिंग नहीं करता या फिर जिसकी बैटिंग वीक है?

# स्ट्राइकर्स कौन?

हां ठीक है भइया कि स्ट्राइकर्स फुटबॉल-हॉकी जैसे सीजन में ही होते हैं. लेकिन यहां भी तो स्ट्राइक अर्थात प्रहार करने ही होते हैं ना? बिना स्ट्राइक के क्रिकेट के इस फॉर्मेट में कहां काम चलता है? लेकिन ये टीम देखेंगे तो इसमें स्ट्राइक करने वालों के लिए जैसे नो-एंट्री का बोर्ड लगा हो.

ऋषभ पंत लगभग 152, केएल राहुल 135, श्रेयस अय्यर 134, दीपक हूडा 133, हार्दिक पंड्या 131, रुतुराज गायकवाड़ 126, ईशान किशन 120, वेंकटेश 107 ये हाईएस्ट स्कोर नहीं, हमारे तथाकथित टॉप ऑर्डर का स्ट्राइक रेट है. यानी ये 100 गेंदें खेलकर इतने रन बनाते हैं. और क्रिकेट के इस छोटे से फॉर्मेट में यह स्टाइल हमारे पुरखों के जमाने में शायद चल जाती. अब नहीं चलेगी.

पूरी दुनिया तेजी से रन बनाने का गेम खेलती है. और हमारा टॉप ऑर्डर पहले आंखें जमाता है. फिर 15 गेंदों के बाद एक बेहद कलात्मक शॉट जड़कर कॉमेंटेटर्स को खुश कर देता है. पहली 40 गेंदों पर 50-60 बनाने वाले ये लोग क्रिकेट के इस फॉर्मेट की टीम में एक-दो ही चाहिए. लेकिन हम इन्हीं के इर्द-गिर्द टीम बनाने पर यकीन करते हैं. विराट कोहली और रोहित शर्मा का T20 स्ट्राइक रेट भी 140 के अंदर ही है. हर टीम में बमुश्किल एक एंकर होता है और हमारी तो पूरी टीम ही एंकर्स की है.

और इसी के चलते हमारे यहां लियम लिविंगस्टन, जॉनी बेयरस्टो या ग्लेन मैक्सवेल जैसे मैड हिटर्स नहीं हैं. क्योंकि यहां लोगों को पता है कि सेल्फलेस खेलेंगे तो संजू सैमसन और राहुल त्रिपाठी की तरह बाहर ही बैठे रहेंगे. जबकि टुक-टुक खेला तो टीम इंडिया के लिए बड़े-बड़े टूर्नामेंट्स खेलेंगे. और यकीन मानिए, जब तक ये माइंडसेट नहीं बदलेगा, हम ऐसे ही रोते रहेंगे.

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