2000 में मोहम्मद कैफ, 2008 में विराट कोहली, 2012 में उन्मुक्त चंद, 2018 मेंपृथ्वी शॉ और 2022 में यश धुल. ये सभी नाम भारतीय क्रिकेट के अंडर 19 युग में हमेशायाद किए जाएंगे. शनिवार देर रात यश ढुल की टीम ने नॉर्थ साउंड मैदान पर इतिहास रचदिया है. भारत ने इंग्लैंड को चार विकेट से हराकर अंडर-19 विश्वकप ट्रॉफी जीत लीहै. इस जीत के साथ यश भारतीय क्रिकेट हिस्ट्री में उन कप्तानों की लिस्ट में जुड़गए हैं. जिन्होंने विश्वकप खिताब जीता है. टीम इंडिया के लिए वैसे तो इस विश्वकपसभी खिलाड़ियों ने बेमिसाल क्रिकेट खेली और टीम को ट्रॉफी दिलाई. लेकिन कुछ ऐसेबल्लेबाज़ रहे. जिनकी बैटिंग की शैली ने इंग्लैंड, ऑस्ट्रेलिया, बांग्लादेश जैसेतमाम देशों को चित्त कर दिया. इस स्टोरी में हम उन्हीं टीम इंडिया के राइज़िंगबैट्समेन्स के बारे में बात करेंगे.# यश धुलअंडर-19 वर्ल्ड कप में शतक जड़ने वाले भारतीय कप्तानों की बात करें तो ये लिस्ट बेहदछोटी है. सिर्फ तीन ही ऐसे खिलाड़ी हुए हैं जिन्होंने ये कारनामा किया है. और तीनोंही दिल्ली से आते हैं. विराट कोहली, उन्मुक्त चंद के बाद ये कारनामा किया है यश धुलने. 11 साल की उम्र में उन्होंने बाल भवन क्रिकेट अकेडमी ज्वाइन की और इस खेल कोअपना प्रोफेशन बनाने की ठानी. 12 साल की उम्र में दिल्ली अंडर-14 टीम में जगह बनाई.इसके बाद अंडर-16 विजय मर्चेंट ट्रॉफी में उन्होंने पंजाब के खिलाफ 186 रन की पारीखेली जिसके बाद उन्हें दिल्ली की टीम का कप्तान बना दिया गया. इसके बाद उन्हेंदिल्ली की अंडर-18 टीम की कप्तानी भी सौंपी गई. 19 साल के धुल ने 2021 में हुई वीनूमांकड़ ट्रॉफी में 75 से ज्यादा की औसत से 302 बनाए और टूर्नामेंट के लीडिंग रनस्कोरर भी रहे. जिसके बाद 2022 में उन्हें अंडर-19 एशिया कप और वर्ल्ड कप की टीम काकप्तान बनाया गया. धुल ने अपना सुनेहरा कारवां इस वर्ल्ड कप में भी जारी रखा. ये इसटूर्नामेंट में भारत के लिए तीसरे सबसे ज्यादा रन बनाने वाले बल्लेबाज़ रहे. महज़ चारपारियों में उन्होंने 76.33 की औसत से 229 रन जड़े. जिसमे सेमिफाइनल में ऑस्ट्रेलियाके खिलाफ खेली 110 रन की शानदार पारी भी शामिल है.# शेक रशीदकप्तान के बाद अब बात करते हैं टीम के उपकप्तान शेक रशीद की. आंध्र प्रदेश से आनेवाले इस बल्लेबाज़ का सफर थोड़ा अलग रहा. अंडर-14 और अंडर-16 से रिजेक्ट होने के बादउन्होंने क्रिकेट छोड़ने का मन बना लिया. लेकिन उनके पिता शेक बलीशा वली ने हार नहींमानी. उन्होंने अपनी बैंकर की नौकरी छोड़ी और अपने बेटे को सही ट्रेनिंग और गाइडेंसदिलवाने की ठान ली. उनकी मेहनत रंग भी लाने लगी. 2021 में उन्हें बांग्लादेश यूथट्राई सीरीज के लिए अंडर-19 ए टीम का कप्तान चुना गया. वहीं मौजूदा टीम के कप्तानधुल उस टीम के उपकप्तान थे. टीम का प्रदर्शन इस टूर्नामेंट में अच्छा नहीं रहा. टीमफाइनल में नहीं पहुंच पाई. जिसके बाद उन्हें कप्तानी से हटा दिया गया. उनकाव्यक्तिगत परफॉरमेंस अच्छा था, इसलिए वे एशिया कप में जगह बनाने में कामयाब हो गए.उन्होंने इस सीरीज के दो मैच में 100 के ऊपर की स्ट्राइक रेट से 155 रन बनाए. शेकयहां भी नहीं चूके. भारतीय टीम को चैंपियन बनाने में उन्होंने अहम भूमिका निभाई.दूसरे सेमिफाइनल में इंग्लैंड के खिलाफ नाबाद 98* रन की पारी खेली. फाइनल में भीबेहतरीन पारी खेली. बता दें कि सेमिफाइनल में उनके अलावा कोई भी बल्लेबाज़ तीस काआंकड़ा भी पार नहीं कर पाया. इस बेहतरीन प्रदर्शन के दम पर उन्होंने वर्ल्ड कप केलिए भी अपनी जगह एक उपकप्तान के तौर पर बुक कर ली. उनका बल्ला वर्ल्ड कप में भीजमकर बोला है. वो भी अहम मौकों पर. ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ हुए सेमिफाइनल मैच मेंउन्होंने 94 रन की पारी खेली और कप्तान धुल के साथ मिलकर 204 रन की शानदारपार्टनरशिप की. इसके बाद फाइनल में भी उन्होंने अपना रोल बखूबी निभाया. इस लौस्कोरिंग मैच में उन्होंने 84 गेंदों पर 50 रन की पारी खेली और भारत को पांचवीं बारचैंपियन बनाने में अहम भूमिका निभाई.# अंगकृष रघुवंशीपिता अवनीश रघुवंशी एक टेनिस खिलाडी और मां मलिका एक बास्केटबॉल प्लेयर. इस चीज़ सेही ये बात समझ आ गई होगी कि अंगकृष को बचपन में स्पोर्ट्स चुनने में कुछ ज्यादा सोचविचार करना नहीं पड़ा होगा. उनके माता पिता ने उनके उज्वल भविष्य के लिए उन्हेंमुंबई में पूर्व ऑल राउंडर अभिषेक नायर के पास रहने और क्रिकेट की ट्रेनिंग लेने केलिए भेज दिया. अंगकृष के लिए नायर से पूरी बातचीत उनके चाचा ने की जो भी खुद मुंबईके लिए खेलते थे. ऐसा नहीं था कि सिर्फ फैमिली प्रेशर के चलते ये सब हो रहा था. खुदअंगकृष में भी वो स्पार्क था कि उनपर दांव खेला जाए. दांव कामयाब भी हुआ. 2019 मेंउन्होंने मुंबई के लिए अंडर-16 मर्चेंट ट्रॉफी में जगह बना ली जो उस साल टीमचैंपियन बनी. उसी साल हुई वीनू मांकड़ ट्रॉफी में उन्होंने दो अर्धशतक के साथ 214 रनठोके. उनका बल्ला बोलता रहा जिसके दम पर उन्होंने बांग्लादेश ट्राई सीरीज के लिएशेक की कप्तानी वाली अंडर-19 ए में भी जगह बना ली. इसके बाद आया एशिया कप. अंगकृषने फाइनल में शेक के साथ शानदार पार्टनरशिप की और नाबाद 56 रन की पारी खेली. जिसकेबाद उन्हें वर्ल्ड कप का टिकट मिला. ग्रुप मैच मैं आयरलैंड के खिलाफ उन्होंने रन ओबॉल 79 की पारी खेली और हरनूर सिंह के साथ मिलकर 164 रन की ओपनिंग पार्टनरशिप की.इसके बाद फिर जब टीम को उनकी ज़रूरत पड़ी तो उन्होंने युगांडा के खिलाफ़ 120 गेंदमें 144 रन की शानदार पारी खेली. इसके बाद बांग्लादेश के खिलाफ क्वार्टर फाइनल मेंभी 44 रन की अहम पारी खेली जिसके दम पर भारत ने पांच विकेट से मैच जीत लिया. फाइनलमें भले ही उनका बल्ला ना चला हो लेकिन वो 278 रन के साथ इस टूर्नामेंट में भारत केसर्वाधिक स्कोरर रहे.