चेतेश्वर, गिल का करियर बनाने वाला बोलर... जिसकी गेंदबाजी से बिशन पाजी डर गए!
जब पेसर की स्पिन बोलिंग से डरे बिशन सिंह बेदी.
जसप्रीत बुमराह. मोहम्मद शमी. मोहम्मद सिराज़. टीम इंडिया के पास इस समय कमाल के पेसर हैं, जो पूरी दुनिया में कमाल करते हैं. लेकिन एक ज़माना था, जब टीम इंडिया के पास ऐसे पेसर नहीं हुआ करते थे. हमारी ताकत स्पिन गेंदबाजी हुआ करती थी. विदेशी दौरों पर भी टीम में सिर्फ एक-दो तेज गेंदबाजों को रखा जाता था, ताकि वो गेंद को पुरानी कर स्पिन गेंदबाजों की मदद कर सकें.
ऐसा इसलिए, क्योंकि उस ज़माने में टीम इंडिया में इरापल्ली प्रसन्ना, बिशन सिंह बेदी और भगवत चंद्रशेखर जैसे दिग्गज़ स्पिनर्स होते थे. और यही टीम को खूब सारे मैच जिताते थे. लेकिन एक दफ़ा ऐसा हुआ, कि इन दिग्गज़ स्पिनर्स के जलवे नहीं चले. और एक फास्ट बोलर को स्पिन गेंदबाजी कर टीम को जीत दिलानी पड़ी थी.
और इस जीत के बाद टीम के कप्तान बिशन सिंह बेदी ने इस खिलाड़ी को कोने में बुलाया. और कहा, ‘तुम अब से स्पिन गेंदबाजी नहीं करोगे’. बिशन पाजी ने ऐसा किससे और क्यों कहा, चलिए आपको बताते हैं.
बेदी से ये बात सुनने वाले बंदे का नाम था करसन घावरी. टीम इंडिया के पेसर. इन्होंने टीम इंडिया के लिए 39 टेस्ट मैच खेले और इसमें 33.54 की एवरेज से 109 विकेट्स निकाले. अभी तक इंडिया के लिए 100 विकेट निकालने वाले टॉप 10 पेसर्स में इनका नाम शामिल है. इस रिकॉर्ड से आप इनका कद समझ गए होंगे. नहीं समझे तो जान लीजिए कि इनकी बाउंसर्स से पूरी दुनिया के बैटर कांपते थे.
क्रिकेट कंट्री के अनुसार, एक डॉमेस्टिक मैच में उत्तर प्रदेश और बॉम्बे का आमना-सामना होना था. इस मैच से पहले उत्तर प्रदेश की टीम के ओपनर घावरी से बॉम्बे टीम के ड्रेसिंग रूम में मिले और उनके पैर छूकर कहा- आप मेरी तरफ बाउंसर मत फेंकना! करसन घावरी की इन्हीं बाउंसर्स वाली गेंदबाजी ने टीम इंडिया को कई मैच जिताए.
भूमिका के बाद, अब चलिए आपको उस मैच की ओर लेकर चलते हैं, जिनका हम ऊपर ज़िक्र कर रहे थे.
ये बात साल 1976-77 की है. इंग्लैंड की टीम पांच मैच की टेस्ट सीरीज़ के लिए इंडिया के दौरे पर आई थी. इस सीरीज़ के शुरू के तीन टेस्ट मैच इंग्लैंड की टीम जीत चुकी थी. इंडिया को बचे हुए दो मुकाबलों में किसी तरह अपनी इज्ज़त बचानी थी. और टीम इंडिया ने ऐसे में गज़ब वापसी की. उन्होंने चौथा मुकाबला अपने नाम किया.
लेकिन मुंबई के वानखेडे में खेला गया पांचवां मुकाबला टक्कर का था. इंग्लैंड अपनी दूसरी पारी में चेज़ करता हुआ जीत की ओर बढ़ रहा था. इंडियन स्पिनर्स बिशन पाजी, प्रसन्ना, चंद्रशेखर की जोड़ी विकेट्स नहीं निकाल पा रही थी. ये देख, मैच में बिशन पाजी की गैर मौजूदगी में कप्तानी कर रहे सुनील गावस्कर को एक आइडिया आया.
उन्होंने अपने पेसर घावरी से स्पिन गेंदबाजी करने को कहा. घावरी ने इसके बारे में स्पोर्टस्टार को बताया,
‘वानखेडे में इंग्लैंड के खिलाफ, बिशन हमारे कप्तान थे. उन्होंने 15 से 20 ओवर गेंदबाजी की, लेकिन अनलकी रहे कि उन्हें कोई विकेट नहीं मिली. वो मसाज़ के लिए मैदान से बाहर गए और सुनील गावस्कार को लीड करने के लिए कहा. सुनील ने मुझे गेंद दी और स्पिन गेंदबाजी करने को कहा. मैंने आठ से नौ ओवर गेंदबाजी की और पांच विकेट निकाल लिए.’
इसके बाद बिशन पाजी का रिएक्शन बताते हुए घावरी बोले,
‘जब बिशन मैदान पर वापस आने के लिए तैयार हुए, उन्होंने देखा कि इंग्लैंड की टीम बिखर गई. बिशन ने मैनेजर से पूछा, ‘ये कैसे हुआ? क्या हमने नई गेंद ली?’ मैनेजर ने जवाब दिया, ‘नहीं, ये पुरानी गेंद ही है. करसन ने स्पिन गेंदबाजी की और पांच विकेट निकाली लिए. बिशन चौंक गए.’
इसके बाद ड्रेसिंग रूम में बिशन पाजी के साथ हुई चर्चा पर घावरी बोले,
‘बेदी ने मुझे स्पिन नहीं फेंकने को कहा, नेट्स में भी नहीं. मैंने पूछा, ‘पाजी क्यों? मैंने पांच विकेट निकाले थे.’ बिशन बोले, एक लेफ्ट आर्म स्पिनर होकर आप पांच विकेट निकालोगे तो मैं किस काम आऊंगा?’
घावरी खुद भी मानते है कि वो इंडिया के लिए स्पिन गेंदबाजी नही कर सकते थे. क्योंकि इंडिया के पास उस समय बिशन पाजी, चंद्रशेखर, प्रसन्ना और एस. वेंकटराघवन जैसे बड़े स्पिनर्स थे.
घावरी ने इंडिया के लिए टेस्ट के साथ 19 वनडे मुकाबले भी खेले. जिसमें उन्होंने 4.11 की इकॉनमी से रन खर्च कर 15 विकेट निकाले. अपने क्रिकेटिंग करियर के बाद, घावरी ने कोचिंग पोजिशन संभाली. और शुभमन गिल, चेतेश्वर पुजारा जैसे खिलाड़ियों को आगे बढ़ाया.
जी हां, ये भी सच है. इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, चेतेश्वर पुजारा के पापा अरविंद पुजारा एक दफ़ा चेतेश्वर को घावरी के पास लेकर गए. ये पता करने के लिए कि क्या चेतेश्वर इंटरनेशनल लेवल पर अच्छा कर पाएंगे. इस बारे में अरविंद पुजारा ने बताया,
‘उन्होंने एक घंटे के लिए मेरे बेटे को (बल्लेबाजी करते हुए) देखा और मुझसे कहा, छोकरे के ऊपर मेहनत करी जावे छे.’
यानी- छोकरे के ऊपर मेहनत की जानी चाहिए.
जबकि शुभमन गिल के बारे में घावरी ने IANS को बताया था. घावरी ने बताया कि जब उन्होंने PCA (पंजाब स्टेडियम) में BCCI की पेस बोलिंग अकैडमी की नौकरी पकड़ी, तब वहां पर बल्लेबाजों को लाना मुश्किल था. घावरी बोले,
‘शुरू के चार-पांच दिनों में, मैं उनको ट्रेन करता लेकिन गेंदबाजों के पास नेट्स पर प्रैक्टिस के लिए कोई बल्लेबाज नहीं होते थे. हम उन्हें गेंदबाजी के बारे में सिखाते लेकिन असली प्रैक्टिस के लिए, हमें बल्लेबाजों की जरुरत थी. मुझे देश के भविष्य के लिए तेज गेंदबाजों को तैयार करने का काम सौंपा गया था.
लेकिन बल्लेबाजों को बिना गेंदबाजी किए, ये पॉसिबल नहीं था. मैं पंजाब क्रिकेट असोसिएशन (PCA) के टच में गया, ताकि वो अंडर-16, अंडर-19 लेवल के बल्लेबाज हमारे पास भेज सकें. और फिर एक दिन बारिश हुई. जिसने मुझे और असिस्टेंट कोच योगिंदर पाल को ट्रेनिंग से ब्रेक लेने के लिए मजबूर कर दिया.
मैं रोड की दूसरी तरफ गया जहां बहुत बड़ा ग्राउंड था (जिसमें PCA डिस्ट्रिक्ट गेम करवाता था) और वहां कुछ बच्चे खेल रहे थे. वहां पर एक 10 या 11 साल का बच्चा था जो कि बहुत कमाल का खेल रहा था, एक दम सही और सीधे शॉट्स. मैं बाउंड्री के पास बैठे एक व्यक्ति के पास गया और उनसे बात की. वो उस बच्चे के पिता थे.’
बता दें कि वो बच्चा शुभमन गिल थे. यहां पर शुभमन के पिता और घावरी के बीच हुई बातचीत के बाद से शुभमन ने अकैडमी में जाकर प्रैक्टिस शुरू की. और आजकल वह क्या कर रहे हैं आपको पता है.
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