6 साल में तीन बार पिच पर विवाद, हर बार ऑस्ट्रेलिया ने हमें हराया!
वर्ल्ड कप फाइनल हारने के बाद से इस तरह के सवाल लगातार उठ रहे हैं- क्या टीम इंडिया साइकोलॉजिकल प्रेशर में थी, इसलिए ऐसी पिच चुनी गई? क्या दूसरी पिच इस्तेमाल होती तो नतीजा कुछ और होता? लेकिन पिच को लेकर ये विवाद पहली बार नहीं हुआ है. और ऑस्ट्रेलिया ने ऐसे मौके पर हमें पहली बार नहीं हराया है.
भारत अपना तीसरा वर्ल्ड कप नहीं जीत पाया. अहमदाबाद के नरेन्द्र मोदी स्टेडियम में ऑस्ट्रेलिया ने टीम इंडिया को हराकर छठा वनडे वर्ल्ड कप अपने नाम कर लिया. लेकिन, टीम इंडिया की हार के बाद जिस बात पर सबसे ज्यादा बवाल मचा, वो है पिच. जिस पिच पर फाइनल खेला गया. मैच से पहले से ही पिच पर खूब बहस हो रही थी. मिचेल स्टार्क, पैट कमिंस और रोहित शर्मा, सबसे सवाल किए गए. और आख़िर में पुरानी पिच इस्तेमाल की गई. ड्राई पिच थी, घास ज्यादा नहीं थी. और दूसरी पारी में ड्यू फैक्टर भी आ गया, यानी रात को पड़ने वाली ओस.
ऊपर हमने जिन कंडीशन्स के बारे में बात की, उसका मैच पर क्या असर हुआ पहले यही समझने की कोशिश करते हैं. पिच स्लो थी, इसलिए पहले बैटिंग करते हुए बॉल अटक कर बल्ले पर आ रही थी. यानी रन बनाना मुश्किल था. इतना मुश्किल कि मिडिल ओवर्स के एक फेज़ में भारतीय बल्लेबाज़ 97 बॉल तक एक भी बाउंड्री नहीं लगा पाए. नीदरलैंड्स के खिलाफ 62 बॉल में शतक ठोकने वाले केएल राहुल 107 बॉल में सिर्फ 66 रन ही बना सके. सूर्यकुमार यादव जैसा प्लेयर, जो पेस को यूज़ कर ग्राउंड के चारों तरफ शॉट्स खेलता है, वो 18 रन पर अटक गया. हालांकि, यहां ऑस्ट्रेलिया की सूझबूझ भरी गेंदबाजी और फील्डिंग की दाद देना भी जरूरी है. नतीजा ये रहा कि टीम इंडिया 240 रन ही बना सकी.
कट टू, सेकंड इनिंग्स. वर्ल्ड कप जीतने के लिए ऑस्ट्रेलिया को बनाने थे 241 रन. जसप्रीत बुमराह और मोहम्मद शमी ने 10 ओवर में तीन विकेट गिरा दिए थे. कंगारुओं पर प्रेशर बन गया था. और यहां एंट्री हुई ओस की. बॉल और ग्राउंड गिले होते चले गए. स्पिनर्स बॉल को ग्रिप नहीं कर पा रहे थे, और बॉल स्किड करके अच्छी स्पीड से बल्ले तक आने लगी. टीम इंडिया की बैटिंग से बिल्कुल उलट ऑस्ट्रेलिया के लिए रन बनाना आसान हो गया. यानी पिच, और उसके साथ ड्यू फैक्टर ने मिलकर वर्ल्ड कप फ़ाइनल में एक बहुत अहम रोल प्ले किया. और हम वर्ल्ड कप हार गए.
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टीम इंडिया हारी और सोशल मीडिया पर ऐसे कई सवाल घूमने लगे- क्या टीम इंडिया साइकोलॉजिकल प्रेशर में थी, और इसलिए पिच से जुड़ा ये फैसला लिया गया? अगर कोई दूसरी स्ट्रिप यूज़ की गई होती, तो क्या मैच का नतीजा कुछ और होता? क्या हमारी टीम सिचुएशन का प्रेशर झेल नहीं पाई? और ऐसे तमाम सवाल टीम इंडिया और BCCI की तरफ दागे जा रहे हैं.
लेकिन ज़रा एक नज़र इतिहास पर भी डालते चलिए. पिच को लेकर ऐसा विवाद पहली बार नहीं हुआ है. पहले भी दो बार टीम इंडिया पर ऐसा साइकोलॉजिकल प्रेशर रहा है. पिच को अपने स्ट्रेंथ पर रखने की कोशिश की गई, पर फैसला बैकफायर हुआ. और ऑस्ट्रेलिया ने इन पिचेस पर हमें पहले भी हराया है. शुरुआत 2017 से करते हैं.
पुणे टेस्ट, 2017ऑस्ट्रेलिया, भारत के दौरे पर आया. 2014-15 में ऑस्ट्रेलिया ने हमें चार मैच की टेस्ट सीरीज़ में 2-0 से हराया था. स्वागत करने की बारी हमारी थी. पहला टेस्ट पुणे में खेला जा रहा था. मैच के लिए चुनी गई टर्निंग पिच. ऐसी पिच कि तीन ही दिन में टेस्ट मैच ख़त्म हो गया. स्टीव ओ'कीफ़ ने 12 विकेट लिए और ऑस्ट्रेलिया को जीत दिला दी. भारत के बेहद क़ाबिल स्पिन खेलने वाले बल्लेबाज़ों ने घुटने टेक दिए. विकेट पर बॉल लो आ रही थी. भारतीय बल्लेबाज तो नहीं टिके लेकिन ऑस्ट्रेलिया के लिए स्टीव स्मिथ ने शानदार पारी खेली थी.
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तब भी खूब बयानबाज़ी हुई थी. तब भी कहा गया था, अपनी स्ट्रेंथ्स पर खेलिए, पर कम-से-कम क्रिकेट लायक पिच को रखिए. डबल-एज्ड स्वोर्ड (ऐसी चीज़ जिससे फायदा या नुकसान, दोनों हो सकता है) का ख़ामियाज़ा हमें ही भुगतना पड़ा था. ICC ने इस पिच को 'पूअर' रेटिंग दे दी थी. इस मैच में भारत ने दोनों पारी मिलाकर 212 रन बनाए थे.
इंदौर टेस्ट, 2023दूसरी घटना हाल फिलफाल की है. फरवरी-मार्च 2023 में ऑस्ट्रेलिया एक बार फिर भारत के दौरे पर थी. इस बार लालच था, वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप फाइनल के लिए क्वालिफाई करने का. भारत ने नागपुर और दिल्ली टेस्ट जीत लिया था. जीत का कारवां होलकर स्टेडियम पहुंचा. इंदौर में मैच से पहले भी पिच को लेकर खूब चर्चा हुई. स्पिनिंग ट्रैक यूज़ होगा या नैचुरल ट्रैक? एक बार फिर BCCI और टीम मैनेजमेंट ने स्पिन फ्रेंडली ट्रैक पर खेलना का निर्णय लिया. और एक बार फिर, फैसला बैकफायर कर गया.
पहले घंटे से ही बॉल ऐसे घूम रही थी और लो रह रही थी, मानो फिरोज़ शाह कोटला जिसे अब अरूण जेटली स्टेडियम कहा जाता है, का पांचवां दिन चल रहा हो. 109 पर भारत के सारे प्लेयर्स पवेलियन लौट गए. ऑस्ट्रेलिया को उस्मान ख़्वाजा ने 197 तक पहुंचा दिया. दूसरी पारी में चेतेश्वर पुजारा ने पचासा जड़ा, पर टीम टोटल 163 पर थम गया. 77 रन का टार्गेट चेज़ करने उतरी ऑस्ट्रेलिया के लिए ट्रैविस हेड और मार्नस लाबुशेन क्रीज़ पर जम गए. दोनों ने आसानी से लक्ष्य को पा लिया. सीरीज़ में ऑस्ट्रेलिया के वापसी हो गई थी. आख़िरी टेस्ट ड्रॉ रहा था, और भारत ने सीरीज़ को 2-1 से जीत लिया था. हालांकि, इंदौर टेस्ट की पिच को भी ICC से पूअर रेटिंग मिली थी.
कुछ ऐसा ही हुआ अहमदाबाद में. वर्ल्ड कप के फाइनल में. नतीजा, भारत वर्ल्ड कप नहीं जीत सका.
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