14वीं शताब्दी में गुजरात पर बहादुर शाह का शासन था. उस वक़्त के राजकवियों ने जोइतिहास लिखा, उसके मुताबिक बहादुर शाह ने पावागढ़ पर कब्जा कर लिया था. इस दौरानजाम लखाजी ने बहादुर शाह की मदद की थी और बहादुर शाह ने जाम लखाजी पर खुश होकर 12गांव इनाम में दिए थे. जब वो उन गांवों को अपने कब्जे में लेने जा रहा था, तो जामलखाजी के दो भतीजों तमाची देड़ा और हमीरजी जडेजा ने उनकी हत्या कर दी. इस दौरानउनके बेटे जाम रावल वहां से भाग गए और बाद में उन्होंने हमीरजी जडेजा को मार डाला.हमीरजी के दो बेटे थे खेंगरजी और साहिबजी. वो वहां से दिल्ली आ गए और मुगल बादशाहहुमायूं के साथ मिल गए. हुमायूं की सेना एक बार शेर के शिकार पर निकली थी, तो दोनोंउस सेना के साथ थे. शिकार के दौरान एक शेर ने हुमायूं पर हमला किया तो दोनों ने शेरको मार दिया और हुमायूं की जान बचा ली. हुमायूं ने खुश होकर उनके साथ एक लाखसैनिकों की फौज भेज दी, ताकि वो जाम रावल से बदला ले सके.हुमायूं की पेंटिंग.जाम रावल ने भी लड़ाई की तैयारी शुरू कर दी. एक दिन रात में सपने में उन्हेंआशापुरा देवी आईं और उन्होंने याद दिलाया कि जाम रावल ने हमीरजी को न मारने की कसमखाई थी, लेकिन जाम रावल की वजह से ही हमीरजी की मौत हुई थी. हालांकि देवी ने उन्हेंसजा नहीं दी, क्योंकि जाम रावल जी ने हमेशा देवी की पूजा की थी. इसके बाद जाम रावलको देवी ने कहा कि वो समुद्र पार कर जाए और काठियावाड़ को राजधानी बनाए.जब वो जगा तो उसने अपने लोगों से बात की. लोगों ने भी कहा कि उन्हें देवी का आदेशमानना चाहिए. जाम रावल अपने सैनिकों के साथ वहां से निकल गया, लेकिन रास्ते मेंउसने तमाची को मार दिया. उसने रास्ते में पड़ने वाले ध्राल को जीत लिया और इसे अपनेभाई हरधोलजी को दे दिया. बाद में हरधोलजी की भी हत्या हो गई और ध्राल का शासनहरधोलजी के बड़े बेटे जशोजी को मिल गया. इस तरह से जाम रावल ने अपना साम्राज्य बड़ाकर लिया.जाम रावल की आदमकद मूर्ति.एक दिन जब जाम रावल शिकार पर निकला, तो उसने देखा कि एक खरगोश ने शिकारी कुत्तों कोभगा दिया, जिसके बाद उसने सोचा कि इस जमीन के खरगोश जब इतने बहादुर हैं तो यहांपैदा होने वाले लोग कितने बहादुर होंगे. इसके बाद उसने इस जगह को अपनी राजधानीबनाने की सोची. इसके लिए उसने वास्तुविदों और ग्रह-नक्षत्र देखने वालों को बुलायाऔर अगस्त 1540 में इसकी नींव रखी. ये शहर दो नदियों रंगमती और नागमती के किनारेबसाया गया था और इसे नाम दिया गया नवानगर. नवानगर यानि नया शहर. बाद में नवानगर कानाम बदलकर जामनगर हो गया, जिसका मतलब था जाम का शहर.अंग्रेजों के शासन काल में जाम साहब रंजीतसिंह जी ने 1920 के आस-पास इसे आधुनिक रूपदिया. 1940 में जाम साहब दिग्विजय सिंह रंजीतसिंह ने इसे और विकसित किया. उस वक्तयह अंग्रेजों के नवानगर राज्य का हिस्सा था. जामनगर को तेल का शहर कहा जाता है.इसकी वजह ये है कि भारत की सबसे बड़ी प्राइवेट तेल कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज नेदुनिया की सबसे बड़ी तेल रिफाइनरियों में से एक रिफाइनरी यहां पर लगाई. यह रिफाइनरीजामनगर के मोती खावड़ी गांव में है. एस्सार की भी तेल रिफाइनरी जामनगर में ही है,जो दूसरी बड़ी तेल रिफाइनरी है.जामनगर के शासक रंजीतसिंह जी विभाजी महाराज, (1872-1933)इस शहर की खासियत ये है कि शहर में आईलैंड, बीच, पहाड़ियां, मंदिर, राजमहल और बेहदखूबसूरत पक्षी विहार है, जहां 75 से ज्यादा पक्षी मिलते हैं. इस शहर में खास तौर परसीमेंट, मिट्टी के बर्तन, कपड़े और नमक बनता है. यह शहर ज़री की कढ़ाई और पीतल केकाम के लिए मशहूर है. इस शहर में बड़े पैनामे पर तकरीबन 5 हजार और छोटे स्तर परकरीब 10,000 उद्योग पीतल के काम से जुड़े हैं. इस जिले में बाक्साइट की खदानें भीहैं. जामनगर में देश का इकलौता आयुर्वेदिक महाविद्यालय अपनी टाई एंड डाई (बन्धानी)कला के लिए मशहूर है. इस जिले में विधानसभा की कुल पांच सीटें हैं.1. कलावाड (एससी)यह सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित सीट है. इस सीट से 2012 में बीजेपी केमेघजीभाई अमराभाई चावड़ा ने जीत हासिल की थी. उन्होंने कांग्रेस के डॉ दिनेश परमारको 6 हजार से अधिक वोटों से हराया था. 2007 में ये सीट सुरक्षित न होकर सामान्य थी.इस सीट पर रणछोड़भाई चना भाई फाल्दू (आरसी फाल्दू) ने कांग्रेस के जसमतभाईठक्करसीभाई ताला (जेटी पटेल) को 6 हजार से अधिक वोटों से हरा दिया था. इस बारकांग्रेस ने प्रवीनभाई एन. मुझाडिया को उम्मीदवार बनाया है. वहीं बीजेपी की ओर सेमुलजीभाई दयाभाई घाइयाडा चुनावी मैदान में हैं.धर्म रक्षा के लिए प्रयासरत मेघजीभाई चावड़ा.2. जामनगर ग्रामीणजामनगर ग्रामीण सीट पर कांग्रेस के राघवजी हंसराज पटेल ने 2012 के विधानसभा चुनावमें बीजेपी के रणछोड़भाई चनाभाई फाल्दू को हराया था. राघवजी ने इस सीट पर 3 हजार सेअधिक वोटों से जीत दर्ज की थी. 2017 में हुए राज्यसभा चुनाव में क्रॉस वोटिंग केबाद पार्टी ने उन्हें बाहर कर दिया. राघवजी बीजेपी में शामिल हो गए. 2007 में येसीट अनुसूचित जाति के लिए सुरक्षित थी. उस वक्त बीजेपी के लालजीभाई प्रेमजी भाईसोलंकी ने जीत दर्ज की थी. उन्होंने कांग्रेस के डॉ दिनेश परमार को लगभग 10 हजारवोटों से हरा दिया था. डॉ दिनेश परमार इस सीट से 2002 में जीत हासिल कर चुके थे. इसबार कांग्रेस ने वल्लभ धराडिया को उम्मीदवार बनाया है. उनके सामने बीजेपी ने राघवजीपटेल को मैदान में उतारा है.रणछोड़भाई चनाभाई फाल्दू.3. जामनगर उत्तरीयह सीट 2008 में अस्तित्व में आई थी. यहां 2012 में पहली बार विधानसभा के चुनाव हुएथे. जामनगर उत्तरी सीट 2012 के चुनाव में कांग्रेस के खाते में थी. कांग्रेस केधर्मेंद्रसिंह मेरूभाई जडेजा ने बीजेपी के मुलूभाई हरदासभाई बेरा अय्यर को लगभग 10हजार वोटों से हरा दिया था. कांग्रेस विधायक धर्मेंद्रसिंह को इलाके के लोग हरखूभाईके नाम से भी जानते हैं. हरखूभाई ने कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया था और बीजेपी मेंशामिल हो गए थे. बीजेपी ने इस चुनाव में उन्हें अपना उम्मीदवार बनाया है. कांग्रेसने इस बार जीवन कुंभरवाडिया को मैदान में उतारा है.4. जामनगर दक्षिणी2012 के चुनाव में ये सीट बीजेपी के खाते में थी. यहां से बीजेपी की वसुबेननरेंद्रभाई त्रिवेदी ने जीत हासिल की थी. उन्होंने कांग्रेस के जीतेंद्र हरिदास लाल(जीतू लाल) को लगभग 3 हजार वोटों से हराया था. 2007 में जामनगर दक्षिणी सीट का नामजामनगर था. 2007 में भी यहां से बीजेपी की वसूबेन त्रिवेदी ने ही जीत हासिल की थी.उस वक्त भी उनके सामने कांग्रेस के जीतू लाल ही सामने थे, जो 1080 वोटों से हार गएथे. 2012 में जीत हासिल करने के बाद जब आनंदीबेन पटेल मुख्यमंत्री बनी थीं, तोकैबिनेट में उन्हें जगह दी गई थी. आनंदीबेन पटेल की कुर्सी जाने के बाद वसुबेन कोमंत्रीमंडल से इस्तीफा देना पड़ा था. बीजेपी ने इस बार उनका टिकट काटकर आरसी फाल्दूको उम्मीदवार बनाया है, जो जामनगर ग्रामीण से 2012 में चुनाव हार गए थे. कांग्रेसने इस सीट से अशोक लाल को उम्मीदवार बनाया है.वसुबेन त्रिवेदी, आनंदीबेन से करीबियत का खामियाज़ा भुगता.5. जामजोधपुर2012 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी के चिमनभाई धर्मसीभाई सापरिया को जीत मिली थी.उन्होंने कांग्रेस के हरदास करसन खावा अहीर को 28 हजार से अधिक वोटों से मात दी थी.चिमनभाई को कैबिनेट में जगह मिली और उन्हें कृषि मंत्री बना दिया गया था. 2007 मेंकांग्रेस के वृजराज सिंह हेमंत सिंह जडेजा ने चिमनभाई सपारिया को मात दी थी.चिमनभाई ये चुनाव बस 17 वोटों से हार गए थे. इस बार फिर से चिमनभाई सपारिया बीजेपीके टिकट पर मैदान में हैं. कांग्रेस ने चिरागभाई आर कलारिया को चुनावी मैदान मेंउतारा है.--------------------------------------------------------------------------------गुजरात चुनाव की लल्लनटॉप कवरेज यहां पढ़िए:मोदी के पास फरियाद लेकर आई थी शहीद की बहन, रैली से घसीटकर निकाला गयाकहानी गुजरात के उस कांग्रेसी नेता की, जो निर्विरोध विधायक बनावो 12 बातें, जो बताती हैं कि गुजराती जनता कैसे नेताओं को अपना विधायक चुनेगीचुनाव आयोग को खुला खत : रैलियों में शामिल इस ‘गैरकानूनी’ भीड़ पर ऐक्शन कब होगा?वीडियो: इस विधायक के भाई की हत्या पर गुजरात में बवाल हुआ था